महौषधि सौंठ -
सौंठ
में अदरक के सारे गुण मौजूद होते हैं। सौंठ दुनिया की सर्वश्रेष्ठवातनाशक
औषधि है. आम का रस पेट में गैस न करें इसलिए उसमें सौंठ और घी डाला जाता
है। सौंठ में उदरवातहर (वायुनाशक) गुण होने से यह विरेचन औषधियों के साथ
मिलाई जाती है। यह शरीर में समत्व स्थापित कर जीवनी शक्ति और रोग प्रतिरोधक
सामर्थ्य को बढ़ाती है ।
बहुधा
सौंठ तैयार करने से पूर्व अदरख को छीलकर सुखा लिया जाता है । परंतु उस
छीलन में सर्वाधिक उपयोगी तेल (इसेन्शयल ऑइल) होता है, छिली सौंठ इसी कारण
औषधीय गुणवत्ता की दृष्टि से घटिया मानी जाती है । वेल्थ ऑफ इण्डिया ग्रंथ
के विद्वान् लेखक गणों का अभिमत है कि अदरक को स्वाभाविक रूप में सुखाकर ही
सौंठ की तरह प्रयुक्त करना चाहिए । तेज धूप में सुखाई गई अदरक उस सौंठ से
अधिक गुणकारी है जो बंद स्थान में कृत्रिम गर्मी से सुखाकर तैयार की जाती
है ।
गर्म प्रकृति वाले लोगो के लिए सौंठ अनुकूल नहीं है.
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भोजन से पहले अदरक को चिप्स की तरह बारीक कतर लें। इन चिप्स पर पिसा काला
नमक बुरक कर खूब चबा-चबाकर खा लें फिर भोजन करें। इससे अपच दूर होती है,
पेट हलका रहता है और भूख खुलती है।
- सौंठ और उड़द उबालकर इसका पानी पीने से लकवा ठीक हो जाता है |
- सौंठ मिलाकर उबाला हुआ पानी पीने से पुराना जुकाम खत्म होता है। सौंठ के टुकड़े को रोजाना बदलते रहना चाहिए।
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सोंठ, पीपल और कालीमिर्च को बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें 1
चुटकी त्रिकुटा को शहद के साथ चाटने से जुकाम में आराम आता है।
- सौंठ, सज्जीखार और हींग का चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करने से सारे तरह के दर्द नष्ट हो जाते हैं।
- सौंठ और जायफल को पीसकर पानी में अच्छी तरह मिलाकर छोटे बच्चों को पिलाने से दस्त में आराम मिलता है।
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सौंठ, जीरा और सेंधानमक का चूर्ण ताजा दही के मट्ठे में मिलाकर भोजन के
बाद सेवन करने से पुराने अतिसार (दस्त) का मल बंधता है। आम (कच्ची ऑव) कम
होता है और भोजन का पाचन होता है।
- सौंठ को पानी या दूध में घिसकर नाक से सूंघने से और लेप करने से आधे सिर के दर्द में लाभ होता है।
- लगभग 12 ग्राम की मात्रा में सौंठ को गुड़ के साथ मिलाकर खाने से शरीर की सूजन खत्म हो जाती है।
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सोंठ, कालीमिर्च और हल्दी का अलग-अलग चूर्ण बना लें। प्रत्येक का 4-4
चम्मच चूर्ण लेकर मिला लें और इसे कार्क की शीशी में भरकर रख लें। इसे 2
ग्राम (आधा चम्मच) गर्म पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए। इससे
श्वासनली की सूजन और दर्द में लाभ मिलता है। ब्रोंकाइटिस के अतिरक्त यह
खांसी, जोड़ों में दर्द, कमर दर्द और हिपशूल में लाभकारी होता है। इसे
आवश्यकतानुसार एक हफ्ते तक लेना चाहिए। पूर्ण रूप से लाभ न होने पर इसे 4-5
बार ले सकते हैं।
सोंठ और कायफल के मिश्रित योग से बनाए गये काढे़ का सेवन करने से वायु प्रणाली की सूजन में लाभ मिलता है।
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सोंठ, हरड़, बहेड़ा, आंवला और सरसों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करें। इससे रोजाना
सुबह-शाम कुल्ला करने से मसूढ़ों की सूजन, पीव, खून और दांतों का हिलना बंद
हो जाता है। सौंठ को गर्म पानी में पीसकर लेप बना लें। इससे रोजाना दांतों
को मलने से दांतों में दर्द नहीं होता और मसूढे़ मजबूत होते हैं।
- सोंठ, मिर्च, पीपल, नागकेशर का चूर्ण घी के साथ माहवारी समाप्त होने के बाद स्त्री को सेवन कराने से गर्भ ठहर जाता है।
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महारास्नादि में सोंठ का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम पीने और रोजाना रात को 2
चम्मच एरण्ड के तेल को दूध में मिलाकर सोने से पहले सेवन करने से अंगुलियों
की कंपन की शिकायत दूर हो जाती है।
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यदि दिल कमजोर हो, धड़कन तेज या बहुत कम हो जाती हो, दिल बैठने लगता हो तो 1
चम्मच सोंठ को एक कप पानी में उबालकर उसका काढ़ा बना लें। यह काढ़ा रोज
इस्तेमाल करने से लाभ होता है।
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10 ग्राम सोंठ और 10 ग्राम अजवायन को 200 मिलीलीटर सरसों के तेल में डालकर
आग पर गर्म करें। सोंठ और अजवायन भुनकर जब लाल हो जाए तो तेल को आग से
उतार लें। यह तेल सुबह-शाम दोनों घुटनों पर मलने से रोगी के घुटनों का दर्द
दूर हो जाता है। 10 ग्राम सोंठ, 10 ग्राम कालीमिर्च, 5 ग्राम बायविडंग और 5
ग्राम सेंधानमक को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को एक छोटी बोतल
में भर लें, फिर इस चूर्ण में आधा चम्मच शहद मिलाकर चाटने से गठिया का दर्द
दूर हो जाता है।
- 6 ग्राम पिसी हुई सोंठ में 1 ग्राम नमक मिलाकर गर्म पानी से फंकी लेने से पित्त की पथरी में फायदा होता है।
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सोंठ, गुग्गुल तथा गुड़ को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सोते
समय पीने से मासिक-धर्म सम्बन्धी परेशानी दूर हो जाती हैं।
50
ग्राम सोंठ, 25 ग्राम गुड़ और 5 ग्राम बायविडंग को कुचलकर 2 कप पानी में
उबालें। जब एक कप बचा रह जाए तो उसे पी लेना चाहिए। इससे मासिक-धर्म नियमित
रूप से आने लगता है।
- गुड़ के साथ 10 ग्राम सोंठ खाने से पीलिया का रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
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बुढ़ापे में पाचन क्रिया कमजोर पड़ने लगती है. वात और कफ का प्रकोप बढ़ने
लगता है. हाथो पैरो तथा शारीर के समस्त जोड़ो में दर्द रहने लगता है. सौंठ
मिला हुआ दूध पीने से बुढ़ापे के रोगों से राहत मिलती है.
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