Tuesday, February 18, 2014

मासिक धर्म की समस्या

मासिक धर्म की समस्या

10 से 15 साल की आयु की लड़की के अंडाशय हर महीने एक विकसित डिम्ब (अण्डा) उत्पन्न करना शुरू कर देते हैं। वह अण्डा अण्डवाहिका नली (फैलोपियन ट्यूव) के द्वारा नीचे जाता है जो कि अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है, उसका अस्तर रक्त और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अण्डा उर्वरित हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। यदि उस डिम्ब का पुरूष के शुक्राणु से सम्मिलन न हो तो वह स्राव बन जाता है जो कि योनि से निष्कासित हो जाता है। इसी स्राव को मासिक धर्म, रजोधर्म या माहवारी (Menstural Cycle or MC) कहते हैं।

ऑस्ट्रेलिया में हुए शोध के मुताबिक जिन लड़कियों के भाई उनसे उम्र में बड़े होते हैं, उनका मासिक धर्म देर से शुरू होता है। एक और शोध के मुताबिक टीवी देखना और कृत्रिम रोशनी में ज़्यादा वक्त गुजारने से भी मासिक धर्म जल्द शुरू होने की समस्या हो सकती है। एक अन्य थिअरी के मुताबिक मासिक धर्म जल्द होने की वजह मां से कमजोर भावनात्मक रिश्ता भी है। हालांकि, इंग्लैंड के डॉक्टर हाइंडमार्श का मानना है कि इन अवधारणाओं के पीछे ठोस मेडिकल तर्क नहीं है। कम उम्र मंक ही मासिक धर्म शुरू होने की वजह से लड़कियां अपनी हम उम्र लड़कियों की तुलना में काफी लंबी जाती हैं। लेकन जानकारों के मुताबिक जब वे बड़ी होती हैं तो उनका कद अपनी हम उम्र लड़कियों की तुलना में छोटा रहता है

लड़कियों में 12 साल से पहले मासिक धर्म शुरू होने की समस्या को ‘प्रेकोसस प्यूबर्टी’ कहते हैं। हैदराबाद में प्रैक्टिस कर रहे कई डॉक्टरों का मानना है कि पिछले कुछ सालों में प्रेकोसस प्यूबर्टी की समस्या बढ़ी है। इसके चलते इस बीमारी की रोकथाम के लिए लिए इलाज कराने वालों की तादाद भी बढ़ी है।मासिक धर्म की गड़बड़ी स्त्री के लिए किसी मानसिक परेशानी से कम नहीं। इसके अलग-अलग कारणों से अधिकतम स्त्रियां त्रस्त एवं परेशान रहती है।

माहवारी चक्र की सामान्य अवधि क्या है?
माहवारी चक्र महीने में एक बार होता है, सामान्यतः 28 से 32 दिनों में एक बार। हालांकि अधिकतर मासिक धर्म का समय तीन से पांच दिन रहता है परन्तु दो से सात दिन तक की अवधि को सामान्य माना जाता है।

माहवारी सम्बन्धी समस्याएं
ज्यादातर महिलाएं माहवारी (Menstrual cycle) की समस्याओं से परेशान रहती है लेकिन अज्ञानतावश या फिर शर्म या झिझक के कारण लगातार इस समस्या से जूझती रहती है. यहां समस्या बताने से पहले यह भी बता दें कि माहवारी है क्या. दरअसल दस से पन्द्रह साल की लड़की के अण्डाशय हर महीने एक परिपक्व अण्डा या अण्डाणु पैदा करने लगता है। वह अण्डा डिम्बवाही थैली (फेलोपियन ट्यूब) में संचरण करता है जो कि अण्डाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है तो रक्त एवं तरल पदाथॅ से मिलकर उसका अस्तर गाढ़ा होने लगता है। यह तभी होता है जब कि अण्डा उपजाऊ हो, वह बढ़ता है, अस्तर के अन्दर विकसित होकर बच्चा बन जाता है। गाढ़ा अस्तर उतर जाता है और वह माहवारी का रूधिर स्राव बन जाता है, जो कि योनि द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है। जिस दौरान रूधिर स्राव होता रहता है उसे माहवारी अवधि/पीरियड कहते हैं। औरत के प्रजनन अंगों में होने वाले बदलावों के आवर्तन चक्र को माहवारी चक्र कहते हैं। यह हॉरमोन तन्त्र के नियन्त्रण में रहता है एवं प्रजनन के लिए जरूरी है। माहवारी चक्र की गिनती रूधिर स्राव के पहले दिन से की जाती है क्योंकि रजोधर्म प्रारम्भ का हॉरमोन चक्र से घनिष्ट तालमेल रहता है। माहवारी का रूधिर स्राव हर महीने में एक बार 28 से 32 दिनों के अन्तराल पर होता है। परन्तु महिलाओं को यह याद करना चाहिए कि माहवारी चक्र के किसी भी समय गर्भ होने की सम्भावना है।

माहवारी से पहले की स्थिति के क्या लक्षण हैं?
माहवारी होने से पहले (पीएमएस) के लक्षणों का नाता माहवारी चक्र से ही होता है। सामान्यतः ये लक्षण माहवारी शुरू होने के 5 से 11 दिन पहले शुरू हो जाते हैं। माहवारी शुरू हो जाने पर सामान्यतः लक्षण बन्द हो जाते हैं या फिर कुछ समय बाद बन्द हो जाते हैं। इन लक्षणों में सिर दर्द, पैरों में सूजन, पीठ दर्द, पेट में मरोड़, स्तनों का ढीलापन अथवा फूल जाने की अनुभूति होती है।

भारी माहवारी के स्राव के क्या कारण हैं?

भारी माहवारी स्राव के कारणों में शामिल है –
(1) गर्भाषय के अस्तर में कुछ निकल आना।
(2) जिसे अपक्रियात्मक गर्भाषय रक्त स्राव कहा जाता है। जिस की व्याख्या नहीं हो पाई है।
(3) थायराइड ग्रन्थि की समस्याएं
(4) रक्त के थक्के बनने का रोग
(5) अंतरा गर्भाषय उपकरण
(6) दबाव।

सामान्य पांच दिन की अपेक्षा अगर माहवारी रक्त स्राव दो या चार दिन के लिए चले तो चिन्ता का कोई कारण होता है? नहीं, चिन्ता की कोई जरूरत नहीं। समय के साथ पीरियड का स्वरूप बदलता है, एक चक्र से दूसरे चक्र में भी बदल जाता है।

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