Saturday, April 26, 2014

गुर्दा रोग की प्राकृतिक चिकित्सा

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गुर्दा रोग की प्राकृतिक चिकित्सा
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गुर्दा शरीर का महत्वपूर्ण अंग है इसे अंग्रेजी में किडनी कहा जाता है। गुर्दे का वजन लगभग 150 ग्राम होता है इसका आकार सेम के बीज या काजू की भांति होता है। यह शरीर में पीछे कमर की ओर रीढ़ के ढांचे के ठीक नीचे के दोनों सिरों पर स्थित होते हैं। शरीर में दो गुर्दे होते हैं। गुर्दे लाखों छलनियों तथा लगभग 140 मील लंबी नलिकाओं से बने होते हैं। गुर्दों में उपस्थित नलिकाएं छने हुए द्रव्य में से जरूरी चीजों जैसे सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम आदि को दोबारा सोख लेती हैं और बाकी अनावश्यक पदार्थों को मूत्र के रूप में बाहर निकाल देती हैं। किसी ख़राबी की वजह से यदि एक गुर्दा कार्य करना बंद कर देता है तो उस स्थिति में दूसरा गुर्दा पूरा कार्य संभाल सकता है।
गुर्दे शरीर को विषाक्‍त होने से बचाते हैं और स्वस्थ रखते हैं। गुर्दों का विशेष संबंध हृदय, फेफड़ों, यकृत और प्लीहा (तिल्ली) के साथ होता है। हृदय एवं गुर्दे परस्पर सहयोग के साथ कार्य करते हैं। इसलिए जब किसी को हृदयरोग होता है तो उसके गुर्दे भी प्रभावित हो सकते हैं। जब गुर्दे ख़राब होते हैं तो रोगी का रक्‍तचाप बढ़ जाता है और वह धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है।

गुर्दे का कार्य :
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• गुर्दा रक्त में से जल और बेकार पदार्थो को अलग करता है।
• शरीर में रसायन पदार्थों का संतुलन, हॉर्मोन्स छोड़ना, रक्तचाप नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करता है।
• यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायता करता है।
• इसका एक और कार्य है विटामिन-डी का निर्माण करना, जो मनुष्य की हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है।
• गुर्दे रक्‍त में मौजूद विकारों को छान कर साफ़ करते हैं और शरीर को स्वच्छ रखते हैं।
• रक्‍त को साफ कर मूत्र बनाने का कार्य भी गुर्दों के द्वारा ही पूरा होता है।
• गुर्दे रक्‍त में उपस्थित अनावश्यक कचरे को मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल देते हैं।
• गुर्दों के सही से काम न करने पर शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है।
गुर्दे के रोग के कारण :
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• लगातार दूषित पदार्थ खाने, दूषित जल पीने और नेफ्रॉन्स के टूटने से गुर्दे के रोग उत्पन्न होते हैं।
• किडनी के लिए मधुमेह, पथरी और हाईपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) बडे़ जोखिम कारक हैं।
• गंदा मांस, मछली, अंडा, फल और भोजन और गंदे पानी का सेवन गुर्दे की बीमारी का कारण बन सकते हैं।
• भोजन और पेय पदार्थों में भी कीटाणुनाशकों, रासायनिक खादों, डिटरजेंट, साबुन, औद्योगिक रसायनों के अंश पाएं जाते हैं। ऐसे में फेफड़े और जिगर के साथ ही गुर्दे भी सुरक्षित नहीं हैं।
• शरीर में नमक की मात्रा अधिक होने के कारण गुर्दे शरीर से व्यर्थ पदार्थो को निकालने में अक्षम हो जाते हैं |
• गुर्दे के रोग का बहुत समय तक पता नहीं चलता, लेकिन जब भी कमर के पीछे दर्द उत्पन्न हो तो इसकी जांच करा लेनी चाहिए।
गुर्दे के रोग :
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गुर्दे के गंभीर रोगों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
1. एक्यूट रीनल फेल्योर :
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इसमें गुर्दे आंशिक अथवा पूर्ण रूप से काम करना बंद कर देते हैं परंतु लगातार उपचार द्वारा यह धीरे-धीरे पुन: कार्यशील हो जाते हैं।
2. क्रोनिक रीनल फेल्योर :
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यह तब होती है जब किडनी ख़राब हो या तीन माह या इससे अधिक समय से काम नहीं कर रही हो। इसका यदि ठीक प्रकार से इलाज न हो तो क्रोनिक किडनी समस्या बढ़ती जाती है। वृक्क (गुर्दा) रोग में क्रोनिक किडनी रोग के पांच चरण होते हैं। किडनी समस्या के अंतिम चरण में गुर्दे केवल पंद्रह प्रतिशत ही कार्य कर पाते हैं। इसमें नेफ्रॉन्स की अत्यधिक मात्रा में क्षति हो जाती है जिसके कारण गुर्दो की कार्यक्षमता लगातार कम होती चली जाती है।
गुर्दे की जांच :
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उपर्युक्त दोनों तरह के रोगों के निदान के लिए सबसे पहले रक्त यूरिया, नाइट्रोजन तथा किरेटिनाइन का रक्त परीक्षण करवाना चाहिए।
मूत्र जांच भी करा लेना चाहिए क्योंकि इससे यह पता चलता है कि गुर्दो की कार्यशीलता और कर्यक्षमता कैसी है।
लक्षण :
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• जब गुर्दा किसी रोग से रोगग्रस्त हो जाता है तो मूत्र सम्बन्धी तकलीफ शुरू हो सकती है।
• आंखों के ‍नीचे सूजन या पैरों के पंजों में सूजन हो सकती है।
• पाचन क्रिया भी कमजोर पड़ जाती है।
प्राकृतिक चिकित्सा :
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1- किडनी पैक :
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प्राकृतिक चिकित्सा में साधारण सी दिखने वाली क्रियाएं शरीर पर अपना रोगनिवारक प्रभाव छोडती हैं | किसी सूती या खादी के कपडे की पट्टी को सामान्य ठन्डे जल में भिगोकर , निचोड़कर अंग विशेष पर लपेटने के पश्चात् उसके ऊपर से ऊनी कपडे की [सूखी] पट्टी इस तरह लपेटी जाती है कि अन्दर वाली सूती/खादी पट्टी पूर्ण रूप से ढक जाये |
किडनी पैक के लाभ :
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गुर्दों के अतिरिक्त पेट के समस्त रोगों,पुरानी पेचिस, कोलायिटिस,पेट की नयी-पुरानी सूजन,अनिद्रा,बुखार एवं स्त्रियों के गुप्त रोगों की रामबाण चिकित्सा है | इसे रात्रि भोजन के दो घंटे बाद पूरी रात तक लपेटा जा सकता है |
किडनी पैक के लिए आवश्यक साधन :
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* खद्दर या सूती कपडे की पट्टी इतनी चौड़ी जो पेडू सहित नाभि के तीन-चार अंगुल ऊपर तक आ जाये एवं इतनी लम्बी कि पेट के तीन-चार लपेट लग सकें |
* सूती कपडे से दो इंच चौड़ी एवं इतनी ही लम्बी ऊनी पट्टी |
विधि :-
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खद्दर या सूती पट्टी को ठन्डे पानी में भिगोकर अच्छी तरह से निचोड़ लें तत्पश्चात पेडू से नाभि के तीन – चार अंगुल ऊपर तक लपेट दें ,इसके ऊपर से ऊनी पट्टी इस तरह से लपेट दें कि नीचे वाली गीली पट्टी पूरी तरह से ढक जाये |एक से दो घंटा या सारी रात इसे लपेट कर रखें |
2- कमर (पीठ पर) की गर्म – ठंडी सेंक :
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प्रातः कमर पर गर्म-ठंडी सेंक गुर्दों के लिए अत्यंत लाभदायक है | गर्म-ठंडी सेंक के लिए एक रबड़ की थैली में गर्म पानी भरें | एक बर्तन में खूब ठंडा पानी रख लें | गर्म सेंक रबड़ की थैली से एवं ठंडी सेंक पानी में एक छोटा तौलिया भिगोकर निम्नलिखित क्रम से करें -
• गर्म सेंक – 3 मिनट ठंडी सेंक - 1 मिनट
• गर्म सेंक – 3 मिनट ठंडी सेंक - 1 मिनट
• गर्म सेंक – 3 मिनट ठंडी सेंक - 1 मिनट
• गर्म सेंक – 3 मिनट ठंडी सेंक - 3 मिनट
यदि गर्म सेंक के लिए रबड़ की थैली उपलब्ध न हो तो ठंडी सेंक की तरह गर्म पानी में छोटा तौलिया भिगोकर, हल्का निचोड़कर सेंक की जा सकती है | सेंक के दौरान तौलिया प्रति मिनट पुनः पानी में भिगोकर बदलते रहें |
आहार चिकित्सा एवं परहेज :
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नियंत्रित आहार से खराब किडनी को ठीक किया जा सकता है।
• नियमित नींबू, आलू का रस और हमेशा शुद्ध जल का अधिक से अधिक सेवन करें।
• गुर्दे की सूजन से पीड़ित रोगी को भोजन करने के तुरंत बाद मूत्र त्याग करना चाहिए। इससे न सिर्फ गुर्दे की बीमारी से बचे रहेंगे बल्कि कमर दर्द, लिवर के रोग, गठिया, पौरुष ग्रंथि की वृद्धि आदि अनेक बीमारियों से भी बचाव होगा।
• गुर्दे के रोग में बथुआ फायदेमन्द होता है। पेशाब कतरा-कतरा सा आता हो या पेशाब रुक-रुककर आता हो तो इसका रस पीने से पेशाब खुलकर आने लगता है।
• गुर्दे के रोगी को आलू खाना चाहिए। इसमें सोडियम की मात्रा बहुत पायी जाती है और पोटेशियम की मात्रा कम होती है।
• मकोय का रस 10-15 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है। इससे गुर्दे और मूत्राशय की सूजन व पीड़ा दूर होती है।
• गुर्दे की खराबी से यदि पेशाब बनना बन्द हो गया हो तो मूली का रस 20-40 मिलीलीटर दिन में 2 से 3 बार पीना चाहिए।
• पुनर्नवा के 10 से 20 मिलीलीटर पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा सेवन करने से गुर्दे के रोगों में बेहद लाभकारी होता है।
• गाजर और ककड़ी या गाजर और शलजम का रस पीने से गुर्दे की सूजन, दर्द व अन्य रोग ठीक होते हैं। यह मूत्र रोग के लिए भी लाभकारी होता है।
परहेज :
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• ज्यादा मात्रा में दूध, दही, पनीर व दूध से बनी कोई भी वस्तु न खाएं।
• इस रोग से पीड़ित रोगी को मांस, मछली, मुर्गा, चॉकलेट, काफी, दूध, चूर्ण, बीयर, वाइन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
• गुर्दा रोग में सूखे फल(ड्राई फ्रूट), केक, पेस्ट्री, नमकीन, मक्खन नहीं खाना चाहिए।
• भोजन में मसालेदार भोज्यपदार्थ का सदा के लिए त्याग कर दें।
• नमक का प्रयोग कम-से-कम करें |
• तनाव और प्रदूषण से दूर रहें।
योग चिकित्सा :
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1. खड़े होकर किए जाने वाले आसन :
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वृक्षासन, ताड़ासन,अंर्धचंद्रासन, त्रिकोणासन और पश्चिमोत्तनासन।
2. बैठकर किए जाने वाले आसन :
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उष्ट्रासन और योगमुद्रा ।
3. लेटकर किए जाने वाले आसन :
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सर्पासन, धनुरासन और हलासन।
यदि उपरोक्त आसन न कर सकें तो सूर्यनमस्कार और खड़े रहकर किए जाने वाले अंग संचालन को नियमित करें। अंगसंचालन (सूक्ष्म व्यायाम) जिसमें कमर का अधिक व्यायाम होता हो वह ‍करें। जल्दी लाभ के लिए किसी योग चिकित्सक से योग के सभी बंधों (मूल बंध,उड्डीयान बंध, जालंधर बंध) को सीख लें। तीनों बंध और अर्थमत्येंद्रासन का नियमित अभ्यास करें ।

Friday, April 25, 2014

Hypertension and Ayurveda उच्च रक्तचाप और आयुर्वेद

 
उच्च रक्तचाप और आयुर्वेद
उच्च रक्त चाप के लक्षण व उपचार
रक्त चाप बढने से तेज सिर दर्द,थकावट,टांगों में दर्द ,उल्टी होने की शिकायत और चिडचिडापन होने के लक्छण मालूम पडते हैं। यह रोग जीवन शैली और खान-पान की आदतों से जुडा होने के कारण केवल दवाओं से इस रोग को समूल नष्ट करना संभव नहीं है। जीवन चर्या एवं खान-पान में अपेक्षित बदलाव कर इस रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर के मुख्य कारण--
१) मोटापा
२) तनाव(टेंशन)
३) महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन
४) ज्यादा नमक उपयोग करना
अब यहां ऐसे सरल घरेलू उपचारों की चर्चा की जायेगी जिनके सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने से बिना गोली केप्सुल लिये इस भयंकर बीमारी पर पूर्णत: नियंत्रण पाया जा सकता है-
१) सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोगी को नमक का प्रयोग बिल्कुल कम कर देना चाहिये। नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है।
२) उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है।लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू वस्तु है।यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है।
३)एक बडा चम्मच आंवला का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह -शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।
४) जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास मामूली गरम पानी में काली मिर्च पावडर एक चम्मच घोलकर २-२ घंटे के फ़ासले से पीते रहें। ब्लड प्रेशर सही मुकाम पर लाने का बढिया उपचार है।
५) तरबूज का मगज और पोस्त दाना दोनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर मिला लें। एक चम्मच सुबह-शाम खाली पेट पानी से लें।३-४ हफ़्ते तक या जरूरत मुताबिक लेते रहें।
६) बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा निंबू निचोडकर २-२ घंटे के अंतर से पीते रहें। हितकारी उपचार है।
७) तुलसी की १० पती और नीम की ३ पत्ती पानी के साथ खाली पेट ७ दिवस तक लें।
८) पपीता आधा किलो रोज सुबह खाली पेट खावें। बाद में २ घंटे तक कुछ न खावें। एक माह तक प्रयोग से बहुत लाभ होगा।
९) नंगे पैर हरी घास पर १५-२० मिनिट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।
१०) सौंफ़,जीरा,शकर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पावडर बनालें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।
११) उबले हुए आलू खाना रक्त चाप घटाने का श्रेष्ठ उपाय है।आलू में सोडियम(नमक) नही होता है।
पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह-शाम पीयें। अन्य सब्जीयों के रस भी लाभदायक होते हैं।
१३) नमक दिन भर में ३ ग्राम से ज्यादा न लें।
१४) अण्डा और मांस ब्लड प्रेशर बढाने वाली चीजें हैं। ब्लड प्रेशर रोगी के लिये वर्जित हैं।
१५) करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।
१६) केला,अमरूद,सेवफ़ल ब्लड प्रेशर रोग को दूर करने में सहायक कुदरती पदार्थ हैं।
१७) मिठाई और चाकलेट का सेवन बंद कर दें।
१८)सूखे मेवे :--जैसे बादाम काजू, आदि उच्च रक्त चाप रोगी के लिये लाभकारी पदार्थ हैं।
१९)चावल:-(भूरा)उपयोग में लावें। इसमें नमक ,कोलेस्टरोल,और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है। इसमें पाये जाने वाले केल्शियम से नाडी मंडल की भी सुरक्षा हो जाती है।
२०)अदरक:-प्याज और लहसून की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैलसियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।
२०)लालमिर्च:-धमनियों के सख्त होने के कारण या उनमे प्लेक जमा होने की वजह से रक्त वाहिकाएं और नसें संकरी हो जाती हैं जिससे कि रक्त प्रवाह में रुकावटें पैदा होती हैं। लेकिन लाल मिर्च से नसें और रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं, फलस्वरूप रक्त प्रवाह सहज हो जाता है और रक्तचाप नीचे आ जाता है.

Stomatitis; Ayurvedic treatment and Home remedies

मुंह में अगर छाले हो जाएं तो जीना मुहाल हो जाता है। खाना तो दूर पानी पीना भी मुश्किल हो जाता है। लेकिन, इसका इलाज आपके आसपास ही मौजूद है। मुंह के छाले गालों के अंदर और जीभ पर होते हैं।

संतुलित आहार, पेट में दिक्कत, पान- मसालों का सेवन छाले का प्रमुख कारण है। छाले होने पर बहुत तेज दर्द होता है। आइए हम आपको मुंह के छालों से बचने के लिए घरेलू उपचार बताते हैं।

मुंह के छालों से बचने के घरेलू उपचार –

शहद में मुलहठी का चूर्ण मिलाकर इसका लेप मुंह के छालों पर करें और लार को मुंह से बाहर टपकने दें।

मुंह में छाले होने पर अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उनका रस चूसना चाहिए।

छाले होने पर कत्था और मुलहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने चाहिए।

अमलतास की फली मज्जा को धनिये के साथ पीसकर थोड़ा कत्था मिलाकर मुंह में रखिए। या केवल अमलतास के गूदे को मुंह में रखने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।

अमरूद के मुलायम पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुंह के छाले से राहत मिलती है और छाले ठीक हो जाते हैं।

सूखे पान के पत्ते का चूर्ण बना लीजिए, इस चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटिए, इससे मुंह के छाले समाप्त हो जाएंगे।

पान के पत्तों का रस निकालकर, देशी घी में मिलाकर छालों पर लगाने से फायदा मिलता है और छाले समाप्त हो जाते हैं।

नींबू के रस में शहद मिलाकर इसके कुल्ले करने से मुंह के छाले दूर होते हैं।

ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन कीजिए, इससे पेट साफ होगा और मुंह के छाले नहीं होंगे।

मशरूम को सुखाकर बारीक चूर्ण तैयार कर लीजिए, इस चूर्ण को छालों पर लगा दीजिए। मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे।

मुंह के छाले होने पर चमेली के पत्तों को चबाइए। इससे छाले समाप्त हो जाते हैं।

छाछ से दिन में तीन से चार बार कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।

खाना खाने के बाद गुड चूसने से छालों में राहत होती है।

मेंहदी और फिटकरी का चूर्ण बनाकर छालों पर लगाएं, इससे मुंह के छाले समाप्त होते हैं।

अगर आपको बार-बार मुंह के छाले हो रहे हैं तो अपने मुंह की सफाई पर विशेष ध्यान दीजिए। ज्यादा मसालेदार और गरिष्ठ भोजन करने से बचें। अगर फिर भी छाले ठीक न हो रहे हों तो चिकित्सक से सलाह अवश्य कर लीजिए |
मुंह में अगर छाले हो जाएं तो जीना मुहाल हो जाता है। खाना तो दूर पानी पीना भी मुश्किल हो जाता है। लेकिन, इसका इलाज आपके आसपास ही मौजूद है। मुंह के छाले गालों के अंदर और जीभ पर होते हैं।
संतुलित आहार, पेट में दिक्कत, पान- मसालों का सेवन छाले का प्रमुख कारण है। छाले होने पर बहुत तेज दर्द होता है। आइए हम आपको मुंह के छालों से बचने के लिए घरेलू उपचार बताते हैं।
मुंह के छालों से बचने के घरेलू उपचार –
शहद में मुलहठी का चूर्ण मिलाकर इसका लेप मुंह के छालों पर करें और लार को मुंह से बाहर टपकने दें।
मुंह में छाले होने पर अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उनका रस चूसना चाहिए।
छाले होने पर कत्था और मुलहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने चाहिए।
अमलतास की फली मज्जा को धनिये के साथ पीसकर थोड़ा कत्था मिलाकर मुंह में रखिए। या केवल अमलतास के गूदे को मुंह में रखने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
अमरूद के मुलायम पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुंह के छाले से राहत मिलती है और छाले ठीक हो जाते हैं।
सूखे पान के पत्ते का चूर्ण बना लीजिए, इस चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटिए, इससे मुंह के छाले समाप्त हो जाएंगे।
पान के पत्तों का रस निकालकर, देशी घी में मिलाकर छालों पर लगाने से फायदा मिलता है और छाले समाप्त हो जाते हैं।
नींबू के रस में शहद मिलाकर इसके कुल्ले करने से मुंह के छाले दूर होते हैं।
ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन कीजिए, इससे पेट साफ होगा और मुंह के छाले नहीं होंगे।
मशरूम को सुखाकर बारीक चूर्ण तैयार कर लीजिए, इस चूर्ण को छालों पर लगा दीजिए। मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे।
मुंह के छाले होने पर चमेली के पत्तों को चबाइए। इससे छाले समाप्त हो जाते हैं।
छाछ से दिन में तीन से चार बार कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
खाना खाने के बाद गुड चूसने से छालों में राहत होती है।
मेंहदी और फिटकरी का चूर्ण बनाकर छालों पर लगाएं, इससे मुंह के छाले समाप्त होते हैं।
अगर आपको बार-बार मुंह के छाले हो रहे हैं तो अपने मुंह की सफाई पर विशेष ध्यान दीजिए। ज्यादा मसालेदार और गरिष्ठ भोजन करने से बचें। अगर फिर भी छाले ठीक न हो रहे हों तो चिकित्सक से सलाह अवश्य कर लीजिए

Tuesday, April 22, 2014

Hair Care in Ayurveda बालों की तमाम समस्याओं से छुटकारा

बालों की तमाम समस्याओं से छुटकारा पाएं..
अगर आप भी परेशान हैं बालों की समस्याओं से जैसे असमय सफ़ेद बाल, गंजापन, दो मुंहे बाल,रुसी, झड़ते बाल, रूखे बाल, खुजली बाली स्कैल्प तो आजमाएं हमारे ये देसी नुस्खे या हमे इनबॉक्स करें सोलुशन के लिए
बालों को घने काले और लम्बे बनाने के चमत्कारी 29 सूत्र
1- घी खाएं और बालों के जड़ों में घी मालिश करें।
2- गेहूं के जवारे का रस पीने से भी बाल कुछ समय बाद काले हो जाते हैं।
3- तुरई या तरोई के टुकड़े कर उसे धूप मे सूखा कर कूट लें। फिर कूटे हुए मिश्रण में इतना नारियल तेल डालें कि वह डूब जाएं। इस तरह चार दिन तक उसे तेल में डूबोकर रखें फिर उबालें और छान कर बोतल भर लें। इस तेल की मालिश करें। बाल काले होंगे।
4- नींबू के रस से सिर में मालिश करने से बालों का पकना, गिरना दूर हो जाता है। नींबू के रस में पिसा हुआ सूखा आंवला मिलाकर सफेद बालों पर लेप करने से बाल काले होते हैं।
5- बर्रे(पीली) का वह छत्ता जिसकी मक्खियाँ उड़ चुकी हो 25 ग्राम, 10-15 देसी गुड़हल के पत्ते,1/2 लीटर नारियल तेल में मंद मंद आग पर उबालें सिकते-सिकते जब छत्ता काला हो जाये तो तेल को अग्नि से हटा दें. ठंडा हो जाने पर छान कर तेल को शीशी में भर लें. प्रतिदिन सिर पर इसकी हल्के हाथ से मालिश करने से बाल उग जाते हैं और गंजापन दूर होता है.
6- कुछ दिनों तक, नहाने से पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।
7- नीबू के रस में आंवला पाउडर मिलाकर सिर पर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
8- तिल का तेल भी बालों को काला करने में कारगर है।
9- आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाए। 15 मिनट बाद बाल धो लें। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।
10- नीम का पेस्ट सिर में कुछ देर लगाए रखें। फिर बाल धो लें। बाल झड़ना बंद हो जाएगा।
11- चाय पत्ती के उबले पानी से बाल धोएं। बाल कम गिरेंगे।
12- बेसन मिला दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। फायदा होगा।
13- दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ (रूसी) भी नहीं होगी।
14- 50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें। इस उबले हुए पानी से बालों को धोएं। इससे बाल 1 महीने में ही काफी लंबे हो जाते हैं।
15- नीम और बेर के पत्तो को पानी के साथ पीसकर सिर पर लगा लें और इसके 2-3 घण्टों के बाद बालों को धो डालें। इससे बालों का झड़ना कम हो जाता है और बाल लंबे भी होते हैं।
16- लहसुन का रस निकालकर सिर में लगाने से बाल उग आते हैं।
17- सीताफल के बीज और बेर के बीज के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। ऐसा करने से बाल लंबे हो जाते हैं।
18- 10 ग्राम आम की गिरी को आंवले के रस में पीसकर बालों में लगाना चाहिए। इससे बाल लंबे और घुंघराले हो जाते हैं।
19- शिकाकाई और सूखे आंवले को 25-25 ग्राम लेकर थोड़ा-सा कूटकर इसके टुकड़े कर लें। इन टुकड़ों को 500 ग्राम पानी में रात को डालकर भिगो दें। सुबह इस पानी को कपड़े के साथ मसलकर छान लें और इससे सिर की मालिश करें। 10-20 मिनट बाद नहा लें। इस तरह शिकाकाई और आंवलों के पानी से सिर को धोकर और बालों के
सूखने पर नारियल का तेल लगाने से बाल लंबे, मुलायम और चमकदार बन जाते हैं।
20- ककड़ी में सिलिकन और सल्फर अधिक मात्रा में होता है जो बालों को बढ़ाते हैं। ककड़ी के रस से बालों को धोने से तथा ककड़ी, गाजर और पालक सबको मिलाकर रस पीने से बाल बढ़ते हैं। यदि यह सब उपलब्ध न हो तो जो भी मिले उसका रस मिलाकर पी लें। इस प्रयोग से नाखून गिरना भी बन्द हो जाता है।
21- कपूर कचरी 100 ग्राम, नागरमोथा 100 ग्राम, कपूर तथा रीठे के फल की गिरी 40-40 ग्राम, शिकाकाई 250 ग्राम और आंवले 200 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी का चूर्ण तैयार कर लें। इस मिश्रण के 50 ग्राम चूर्ण में पानी मिलाकर लुग्दी(लेप) बनाकर बालों में लगाना चाहिए। इसके पश्चात् बालों को गरम पानी से खूब साफ कर लें। इससे सिर के अन्दर की जूं-लींकें मर जाती हैं और बाल मुलायम हो जाते हैं।
22- गुड़हल के फूलों के रस को निकालकर सिर में डालने से बाल बढ़ते हैं।
23- गुड़हल के ताजे फूलों के रस में जैतून का तेल बराबर मिलाकर आग पर पकायें, जब जल का अंश उड़ जाये तो इसे शीशी में भरकर रख लें। रोजाना नहाने के बाद इसे बालों की जड़ों में मल-मलकर लगाना चाहिए। इससे बाल चमकीले होकर लंबे हो जाते हैं।
24- बालों को छोटा करके उस स्थान पर जहां पर बाल न हों भांगरा के पत्तों के रस से मालिश करने से कुछ ही दिनों में अच्छे काले बाल निकलते हैं जिनके बाल टूटते हैं या दो मुंहे हो जाते हैं।
25- त्रिफला के चूर्ण को भांगरा के रस में 3 उबाल देकर अच्छी तरह से सुखाकर खरल यानी पीसकर रख लें। इसे प्रतिदिन सुबह के समय लगभग 2 ग्राम तक सेवन करने से बालों का सफेद होना बन्द जाता है तथा इससे आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
26- आंवलों का मोटा चूर्ण करके, चीनी के मिट्टी के प्याले में रखकर ऊपर से भांगरा का इतना डाले कि आंवले उसमें डूब जाएं। फिर इसे खरलकर सुखा लेते हैं। इसी प्रकार 7 भावनाएं (उबाल) देकर सुखा लेते हैं। प्रतिदिन 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ सेवन से करने से असमय ही बालों का सफेद होना बन्द जाता
है। यह आंखों की रोशनी को बढ़ाने वाला, उम्र को बढ़ाने वाला लाभकारी योग है।
27- भांगरा, त्रिफला, अनन्तमूल और आम की गुठली का मिश्रण तथा 10 ग्राम मण्डूर कल्क व आधा किलो तेल को एक लीटर पानी के साथ पकायें। जब केवल तेल शेष बचे तो इसे छानकर रख लें। इसके प्रयोग से बालों के सभी प्रकार के रोग मिट जाते हैं।
28- 250 ग्राम अमरबेल को लगभग 3 लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाये तो इसे उतार लें। सुबह इससे बालों को धोयें। इससे बाल लंबे होते हैं।
29- त्रिफला के 2 से 6 ग्राम चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौह भस्म मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है।.

Saturday, April 19, 2014

Health Benefits of Aloe vera in Hindi

Health Benefits of Aloe vera  in Hindi
हमारे आस पास तमाम ऐसी वनस्पतियां पाई जाती हैं जिनमें औषधीय गुण मिलते हैं। समझ और सजगता का अभाव होने के कारण इनका सही प्रयोग नहीं हो पाता। इन्हीं वस्पतियों में घृतकुमारी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। आयुर्वेद में इसे ग्वारपाठा, घी कुंवारा, स्थूलदला, कुमारी आदि नामों से इसे जाना जाता है। घृतकुमारी के पत्तों का इस्तेमाल यकृत विकार, आमवात, कोष्ठबद्धता, बवासीर, स्त्रियों के अनियमित मासिक चक्र और मोटापा घटाने के साथ ही चर्म रोग में भी लाभकारी होता है। घृतकुमारी सभी स्थानों पर पूरे वर्ष सुगमता से मिलता है। इसके गूदे में लौह, कैल्शियम, पोटैशियम एवं मैग्नीशियम पाया जाता है।
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1- एलोवेरा में 18 धातु, 15 एमिनो एसिड और 12 विटामिन मौजूद होते हैं जो खून की कमी को दूर कर रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढाते हैं।
2- एलोवेरा के कांटेदार पत्तियों को छीलकर रस निकाला जाता है। 3 से 4 चम्मदच रस सुबह खाली पेट लेने से दिन-भर शरीर में चुस्ती व स्फूर्ति बनी रहती है।
3- एलोवेरा का जूस पीने से कब्ज की बीमारी से फायदा मिलता है।
4- एलोवेरा का जूस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार व स्वस्थ होते हैं।
5- एलोवेरा का जूस पीने से शरीर में शुगर का स्तर उचित रूप से बना रहता है।
एलोवेरा का जूस बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग व पेट के विकारों को दूर करता है।
6- एलोवेरा का जूस पीने से त्वचा की खराबी, मुहांसे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्वचा, झुर्रियां, चेहरे के दाग धब्बों, आखों के काले घेरों को दूर किया जा सकता है।
7- एलोवेरा का जूस पीने से मच्छर काटने पर फैलने वाले इन्फेक्शन को कम किया जा सकता है।
8- एलोवेरा का जूस ब्लड को प्यूरीफाई करता है साथ ही हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करता है।
9- शरीर में वहाईट ब्लड सेल्स की संख्या को बढाता है।
10- एलोवेरा का जूस त्वचा की नमी को बनाए रखता है जिससे त्वचा स्वस्थ्य दिखती है। यह स्किन के कोलेजन और लचीलेपन को बढाकर स्किन को जवान और खूबसूरत बनाता है।
11- एलोवेरा के जूस का नियमित रूप से सेवन करने से त्वचा भीतर से खूबसूरत बनती है और बढती उम्र से त्वचा पर होने वाले कुप्रभाव भी कम होते हैं।
12- एलोवेरा के जूस का हर रोज सेवन करने से शरीर के जोडों के दर्द को कम किया जा सकता है।
13- एलोवेरा को सौंदर्य निखार के लिए हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट जैसे एलोवेरा जैल, बॉडी लोशन, हेयर जैल, स्किन जैल, शैंपू, साबुन, फेशियल फोम आदि में प्रयोग किया जा रहा है।
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सावधानी: गर्भवती औरतों और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये घृतकुमारी-एलोविरा के आन्तरिक सेवन करने की सख्त मनाही है।

Thursday, April 3, 2014

नारियल के लाभ

नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। ऐसा इसकी धार्मिक महत्ता के साथ-साथ औषधीय गुणों के कारण कहा जाता है। नारियल में विटामिन, पोटैशियम, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। नारियल कई बीमारियों के इलाज में काम आता है। नारियल में वसा और कोलेस्ट्रॉल नही होता है, इसलिए नारियल मोटापे से भी निजात दिलाने में मदद करता है। आइए जानते हैं नारियल के चमत्कारी गुणों के बारे में।

नारियल के लाभ –
नकसीर के लिए –नकसीर की समस्या कई लोगों को हो सकती है। नाक से खून निकलने पर कच्चे नारियल का पानी का सेवन नियमित रूप से करना फायदेमंद होता है। अगर खाली पेट नारियल का सेवन किया जाए तो खून का बहाव बंद हो जाता है।

दिमाग के लिए – नारियल खाने से याद्दाश्त बढती है। नारियल की गरी में बादाम, अखरोट एवं मिश्री मिलाकर हर रोज खाने से स्मृति में बढती है। बच्चों को नारियल खिलाना चाहिए, इससे बच्चों का दिमागी विकास होता है।

मुहांसे के लिए – मुहांसों से निजात दिलाने में भी नारियल बहुत फायदेमंद होता है। नारियल के पानी में खीरे का रस मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से लगाने से चेहरे के दाग-धब्बे मिटते हैं और चेहरा सुंदर एवं चमकदार होता है। नारियल के तेल में नींबू का रस अथवा ग्लिसरीन मिलाकर चेहरे पर लेप करने से भी मुहांसे समाप्त होते हैं।

वजन घटाने के लिए - मोटापा कम करने में नारियल बहुत फायदेमंद है। नारियल में कोलेस्ट्रॉल और वसा नहीं होता है। इसलिए नारियल का सेवन करके वजन को घटाया जा सकता है। मोटे लोगों को नारियल का सेवन करना चाहिए।

अच्छी नींद के लिए – अगर नींद न आने की समस्या है तो नारियल का सेवन कीजिए। नियमित रूप से रात के खाने के बाद आधा गिलास नारियल का पानी पीना चाहिए। इससे नींद न आने की समस्या खतम होती है और नींद अच्छी आती है।

सिरदर्द के लिए - नारियल तेल में बादाम को मिलाकर तथा बारीक पीसकर सिर पर लेप लगाना चाहिए। इससे सिरदर्द में तुरंत आराम होता है।

रूसी के लिए – बालों में रूसी की समस्या के लिए नारियल का तेल बहुत फायदेमंद है। नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाने से रूसी एवं खुश्की से छुटकारा मिलता है।

पेट के लिए - पेट में कीड़े होने पर सुबह नाश्ते के समय एक चम्मच पिसा हुआ नारियल का सेवन करने से पेट के कीडे बहुत जल्दी मर जाते हैं।

नारियल शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। नारियल को कई प्रकार से प्रयोग किया जाता है। नारियल त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए नारियल का प्रयोग किसी न किसी रूप में जरूर करना चाहिए।