Sunday, November 23, 2014

ब्राह्मी : दिमाग के लिए एक उत्तम टॉनिक

यदि व्यक्ति का दिमाग तेज़ है तो फिर वो जग जीत सकता है। यदि मनुष्य का दिमाग स्वस्थ है तो फिर चिंता की कोई बात नहीं है। दिमाग की तरोताजगी के लिए आयुर्वेद में ब्रहमी विशेष उपयोगी एंव लाभकारी मानी गयी है क्योंकि यह मानव मस्तिष्क की मेघा शक्ति को बढ़ाने में महत्पूर्ण भूमिका निभाती है मस्तिष्क का सम्बन्ध शरीर के विभिन्न अंगो से होता है।
इसलिए जब भी शरीर में किसी प्रकार का रसायनिक या भौतिक परिवर्तन होता है तो, उसकी सूचना सर्वप्रथम मस्तिष्क को पहुंचती है। कहा जाता है कि ’जैसा खाओगे अन्न, वैसा रहेगा मन और जैसा रहेगा मन, वैसा रहेगा तन’। यदि आपका दिमाग स्वसथ्य है तो सम्भवतः शरीर भी स्वस्थ्य रहेगा। अब मैं ब्रहमी के कुछ विशेष उपाय बता रहा हूं, जिनका प्रयोग करके आप अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते है।
1- जिन व्यक्तियों को अनिंद्रा से सम्बन्धित शिकायत रहती है, उन्हे यह प्रयोग करना चाहिए। सोने से 1 घन्टा पूर्व 250 मिली0 गर्म दूध में 1 चम्मच ब्रहमी का चूर्ण मिलाकर नित्य सेंवन करने से रात्रि में नींद अच्छी आती है, तनाव से मुक्ति मिलती है एंव स्मरण शक्ति तेज होती है।
2- जिन बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता एंव घबराते है। उनको 200 मिली0 गर्म दूध में 1 चम्मच ब्रहमी का चूर्ण नित्य सेंवन कराने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती तथा उनका पढ़ाई में मन भी लगने लगता है।
3- जिन जातकों का चन्द्र ग्रह कमजोर होकर अशुभ फल देता है जिसके कारण वे चिड़चिड़े हो जाते है तथा अनिर्णय की स्थिति में रहते है। वह लोग भी उपरोक्त विधि का प्रयोग कर सकते है।
4- ब्रहमी को वास्तु की दृष्टि से भी महत्पूर्ण माना जाता है। जिस घर में ब्रहमी का पेड़ लगा होता है, उस परिवार के बच्चों की स्मरण शक्ति अच्छी होती है। और घर में अचानक दुर्घटना होने की आशंका भी नहीं रहती है।

Tuesday, June 17, 2014

बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना Home remedies for bed-wetting in Children

बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना -
बच्चों का थोड़ा बड़े होने पर पेशाब करना एक आम समस्या है | इस समस्या के बहुत से कारण हो सकते हैं | कई अनुभवियों के अनुसार स्नायु विकृति के कारण या पेट में कीड़े होने पर भी बच्चे सोते हुए बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं | पेशाब की नली में रोग के कारण भी बच्चा सोते हुए पेशाब कर देता है | कई बार कुछ गरिष्ठ भोजन व ठंडे पदार्थों के अधिक सेवन से भी यह समस्या उत्पन्न हो जाती है | इस समस्या को समाप्त करने के लिए कोई भी औषधि देने से पूर्व माता-पिता को बच्चे के भोजन की कुछ आदतें सुधारनी जरूरी हैं | बच्चों को सोने से एक घंटा पहले भोजन करा देना चाहिए और सोने के बाद उसे जगाकर कुछ भी खाने-पीने को नहीं देना चाहिए | बच्चे को बिस्तर पर जाने से पहले एक बार पेशाब अवश्य करा देना चाहिए |
कुछ औषधियों द्वारा भी इस समस्या का समाधान सम्भव है -

१- पचास ग्राम अजवायन का चूर्ण कर लें | प्रतिदिन एक ग्राम चूर्ण को रात को सोने से पूर्व बच्चे को खिलाएं | ऐसा कुछ दिनों तक नियमित रूप से करने से यह रोग ठीक हो जाता है |

२- दो मुनक्कों के बीज निकालकर उसमें १-१ काली मिर्च डालकर बच्चों को रात को सोने से पहले खिला दें | ऐसा दो हफ़्तों तक नियमित रूप से सेवन करने से यह बीमारी दूर हो जाती है |

३- प्रतिदिन दो अखरोट और बीस किशमिश बच्चों को खिलाने से बिस्तर में पेशाब करने की समस्या दूर हो जाती है |

४- रात को सोते समय बच्चों को शहद खिलाने से यह रोग समाप्त हो जाता है |

५- जामुन की गुठलियों को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें | इस चूर्ण का २-२ ग्राम दिन में दो बार पानी के साथ सेवन करने से बच्चे बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं |

६- २५० मिली दूध में एक छुहारा डालकर उबाल लें | इसे दो घंटे तक रखा रहने दें | इसके बाद इसमें से छुहारा निकाल कर बच्चे को खिला दें और इस दूध को हल्का गर्म करके ऊपर से पिला दें | ऐसा प्रतिदिन करने से कुछ ही दिनों में बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना बंद हो जाता है |

Wednesday, June 4, 2014

गन्ने के रस के फायदे

 गन्ने के रस के फायदे  Health benefits of Sugarcane juice
ग्रीष्म ऋतु में गन्ने का रस बडी आसानी से उपलब्ध हो जाता है इसके सेवन के बहुत फायदे हैं -
-इस रस के निरन्तर सेवन से शरीर का दुबला पन, पेट की गर्मी , हृदय की जलन एवं कमजोरी दूर होती है !
-यह रस पीलिया रोग में अमृत तुल्य है !
-भोजन के उपरांत एक ग्लास रस पीने से त्वचा रोगों में लाभ मिलता है !
-इस रस में कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन, फास्फोरस आदि पाए जाते हैं जो शरीर के लिए आवश्यक है !
-इसके सेवन से पैशाब जलन और मूत्राशय पथरी का नाश होता है !
ग्रीष्म ऋतु में गन्ने का रस बडी आसानी से उपलब्ध हो जाता है इसके सेवन के बहुत फायदे हैं -
-इस रस के निरन्तर सेवन से शरीर का दुबला पन, पेट की गर्मी , हृदय की जलन एवं कमजोरी दूर होती है !
-यह रस पीलिया रोग में अमृत तुल्य है !
-भोजन के उपरांत एक ग्लास रस पीने से त्वचा रोगों में लाभ मिलता है !
-इस रस में कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन, फास्फोरस आदि पाए जाते हैं जो शरीर के लिए आवश्यक है !
-इसके सेवन से पैशाब जलन और मूत्राशय पथरी का नाश होता है !

आलूबुखारा के औषधीय गुण

आलूबुखारा के औषधीय गुण
आलूबुखारा -
                      यह मूलतः यूरोप तथा पश्चिमी एशिया में प्राप्त होता है | भारत में विशेषतः पश्चिमी शीतोष्ण हिमालय के जम्मू एवं कश्मीर,हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड तथा दक्षिण भारत में नीलगिरि के पहाड़ी क्षेत्रों में १५००-२१०० मीटर की ऊंचाई पर उत्त्पन्न होता है | इसके फल गोलाकार तथा चमकदार होते हैं | इसके कच्चे फल खट्टे तथा पके फल खट्टे-मीठे होते हैं,फलों के भीतर पीला गूदा तथा एक बड़ा बीज होता है | इसके वृक्ष से एक प्रकार का पीले रंग का गोंद निकलता है,जो बबूल के गोंद के सामान दिखाई देता है | इसका पुष्पकाल तथा फलकाल फ़रवरी से जुलाई तक होता है | 
                                       इसके फल में प्रोटीन,कार्बोहायड्रेट,वसा,कैल्शियम,मैग्नीशियम,लौह,पोटैशियम , विटामिन C तथा आर्गेनिक अम्ल भी पाया जाता है | बीज में तेल,प्रोटीन,कार्बोहायड्रेट,खनिज एवं एमीग्लैडीन पाया जाता है | आलूबुखारे के औषधीय उपयोग - 

१- नकसीर 
           आलूबुखारे के पत्तों का रस निकालकर १-२ बूँद नाक में डालने से नकसीर में लाभ होता है | 

२- पित्तविकार-
           भोजन से पूर्व आलूबुखारे के मीठे फल का सेवन करने से यह पित्त विकारों का शमन करता है |

३- उदरकृमि 
           आलूबुखारे के पत्तों को पीसकर पेट पर लेप करने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं | 

४- तृष्णा -
           आलूबुखारे का सेवन करने से प्यास व अरुचि का शमन होता है | 

५-अजीर्ण -
           इसके बीजों को बादाम की तरह शुष्क फल (dry fruits ) के रूप में खाने से अजीर्ण में लाभ होता है | 

६- स्मृतिवर्धनार्थ-
            आलूबुखारे के बीज की गिरी का सेवन करने से धीरे-धीरे स्मरणशक्ति बढ़ती है |
यह मूलतः यूरोप तथा पश्चिमी एशिया में प्राप्त होता है | भारत में विशेषतः पश्चिमी शीतोष्ण हिमालय के जम्मू एवं कश्मीर,हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड तथा दक्षिण भारत में नीलगिरि के पहाड़ी क्षेत्रों में १५००-२१०० मीटर की ऊंचाई पर उत्त्पन्न होता है | इसके फल गोलाकार तथा चमकदार होते हैं | इसके कच्चे फल खट्टे तथा पके फल खट्टे-मीठे होते हैं,फलों के भीतर पीला गूदा तथा एक बड़ा बीज होता है | इसके वृक्ष से एक प्रकार का पीले रंग का गोंद निकलता है,जो बबूल के गोंद के सामान दिखाई देता है | इसका पुष्पकाल तथा फलकाल फ़रवरी से जुलाई तक होता है |
इसके फल में प्रोटीन,कार्बोहायड्रेट,वसा,कैल्शियम,मैग्नीशियम,लौह,पोटैशियम , विटामिन C तथा आर्गेनिक अम्ल भी पाया जाता है | बीज में तेल,प्रोटीन,कार्बोहायड्रेट,खनिज एवं एमीग्लैडीन पाया जाता है | आलूबुखारे के औषधीय उपयोग -

१- नकसीर
आलूबुखारे के पत्तों का रस निकालकर १-२ बूँद नाक में डालने से नकसीर में लाभ होता है |
२- पित्तविकार-
भोजन से पूर्व आलूबुखारे के मीठे फल का सेवन करने से यह पित्त विकारों का शमन करता है |
३- उदरकृमि
आलूबुखारे के पत्तों को पीसकर पेट पर लेप करने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं |
४- तृष्णा -
आलूबुखारे का सेवन करने से प्यास व अरुचि का शमन होता है |
५-अजीर्ण -
इसके बीजों को बादाम की तरह शुष्क फल (dry fruits ) के रूप में खाने से अजीर्ण में लाभ होता है |
६- स्मृतिवर्धनार्थ-
आलूबुखारे के बीज की गिरी का सेवन करने से धीरे-धीरे स्मरणशक्ति बढ़ती है |

वमन (उल्टी) Home remedies for vomiting

वमन (उल्टी) Home remedies for vomiting 
 
वमन या उल्टी कोई बड़ा रोग नहीं है बल्कि पेट की खराबी का ही एक रूप है । जब कभी कोई अनावश्यक पदार्थ पेट में अधिक एकत्रित हो जाता है तो उसे निकालने के लिए पेट प्रतिक्रिया करता है जिससे पेट में एकत्रित पदार्थ उल्टी द्वारा बाहर निकल जाता है | कभी - कभी अधिक उल्टी होने से रोगी के शरीर में पानी की कमी होने के साथ-साथ कमजोरी भी आ जाती है |
आइये जानते हैं विभिन्न औषधियों द्वारा रोग का उपचार -

१- पुदीने और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिला लें | यह एक चम्मच की मात्रा में ३-४ बार रोगी को पिलाने से उल्टी का बार- बार आना बंद हो जाता है |

२- १०-१० मिली पुदीना,प्याज़ और नींबू का रस मिलाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रोगी को पिलाने से हैजे में होने वाली उलटी में बहुत लाभ होता है |

३- तुलसी के पत्तों का रस पीने से उल्टी भी बंद हो जाती है और पेट के कीड़े भी मर जाते हैं| शहद और तुलसी का रस मिलाकर चाटने से जी मिचलाना और उल्टी ठीक होती है|

४- अगर उल्टी बंद न हो रही हो तो दो लौंग और थोड़ी सी दालचीनी लेकर एक कप पानी में डालकर उबाल लें और जब पानी आधा रह जाए तब छानकर रोगी को पिलायें| इससे उल्टी का बार-बार आना बंद हो जाता है|

५- उल्टी होने पर सूखा या हरा धनिया कूटकर पानी में डालकर फिर निचोड़कर ५ चम्मच रस निकाल लें | यह रस बार-बार रोगी को पिलाने से उलटी आनी बंद हो जाती है |

६- नींबू को काटकर इसमें चीनी और काली मिर्च भरकर चूंसने से उल्टी और जी मिचलाना बंद हो जाता है |

७- पका हुआ केला खाने से खून की उल्टी बंद हो जाती है |

८- २० ग्राम सौंफ और दस पुदीने के पत्तों को एक लीटर पानी में उबालकर छान लें और ठंडा करके थोड़ी-थोड़ी देर में रोगी को पिलायें | इससे उल्टी में बहुत आराम होता है |

उड़द के स्वास्थ लाभ

Health benefits of Urd 
उड़द -
उड़द का उपयोग दाल के रूप में प्रायः समस्त भारतवर्ष में किया जाता है । इसकी दाल व बाजरे की रोटी मेहनती लोगों का प्रिय भोजन है| उड़द काली व हरी कई प्रकार की होती है | सब प्रकार की उड़दों में काली उड़द उत्तम मानी गयी है। वैद्यक ग्रंथो में अनेक पौष्टिक प्रयोगों में उड़द की प्रशंसा की गयी है | यह दाल वायुकारक होती है | इसके इस दोष को दूर करने के लिए इसमें हींग पर्याप्त मात्रा में डालना चाहिए| दूध देने वाली गाय या भैंस को उड़द खिलाने से ये दूध अधिक मात्रा में देती हैं | इसके पत्तों और डंडी का चूरा भी पशुओं को खिलाया जाता है |
उड़द एक पौष्टिक दाल है | यह पित्त और कफ को बढ़ाता है | उड़द को अपनी पाचन शक्ति को ध्यान में रखते हुए उपयोग करना चाहिए | विभिन्न रोगों में उड़द का उपयोग -

१- उड़द की दाल को पानी में भिगो लें | जब यह पूरी तरह फूल जाए तब इसको पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है |

२- साबुत उड़द जले हुए कोयले पर डालें और इसका धुआं सूंघें | इससे हिचकी रोग ठीक हो जाता है |

३- उड़द को पीसकर घाव के ऊपर बाँधने से पस निकल जाती है तथा घाव ठीक हो जाता है |

४- उड़द के आटे में थोड़ी सौंठ,थोड़ा नमक,और थोड़ी हींग मिलाकर उसकी रोटी बनाकर एक तरफ से सेंक लें और उसको उतारकर कच्चे भाग की तरफ तिल का तेल लगाकर वेदनायुक्त स्थान पर बाँधने से वेदना का शमन होता है |

५- रात को ५० ग्राम उड़द की दाल भिगो दें | सुबह इसे पीसकर आधा गिलास दूध में स्वादानुसार मिश्री मिलाकर पियें | यह हृदय को शक्ति देता है |

Ayurveda is a vast medicinal science. It is said to have been originated in India about 5000 years back. Unlike other medicinal systems, Ayurveda focuses more on healthy living than treatment of diseases. The main concept of Ayurveda is that it personalizes the healing process. According to Ayurveda, the human body is composed of four basics-the dosha, dhatu, mala and agni. There is immense significance of all these basics of the body in Ayurveda. These are also called the Mool Siddhant or the basic fundamentals of Ayurvedic treatment.

Basic Concepts Of Ayurveda

Dosha
The three vital principles of doshas are vata, pitta and kapha, which together regulate and control the catabolic and anabolic metabolism. The main function of the three doshas is to carry the byproduct of digested foods throughout the body, which helps in building up the body tissues. Any malfunction in these doshas causes disease.

Dhatu
Dhatu can be defined, as one, which supports the body. There are seven tissue systems in the body. They are as Rasa, Rakta, Mamsa, Meda, Asthi, Mjja and Shukra which represent the plama, blood, muscle, fat tissue, bone, bone marrow and semen respectively. Dhatus only provide the basic nutrition to the body. And it helps in the growth and structure of mind.

Mala
Mala means waste products or dirty. It is third in the trinity of the body i.e. doshas and dhatu. There are three main types of malas, e.g. stool, urine and sweat. Malas are mainly the waste products of the body so their proper excretion from the body is essential to maintain the proper health of the individual. There are mainly two aspect of mala i.e. mala and kitta. Mala is about waste products of the body whereas kitta is all about the waste products of dhatus.

Agni
All kinds of metabolic and digestive activity of the body takes place with the help of the biological fire of the body called Agni. Agni can be termed as the various enzymes present in the elementary canal, liver and the tissue cells.

Diseases
Disease is defined as the state of mind wherein a person experiences discomfort, pain and injury. Fundamentally, a disease is caused by the imbalance of the three doshas - Vata, Pitta and Kapha. However, the diseases are also categorized into those that can be cured and the one that cannot be cured by Ayurvedic treatment. Moreover, the texts of Ayurveda suggest that diseases are also classified according to the underlying cause - whether it is psychological, physiological or an external factor.

Ayurveda Basics
Ayurveda is an ancient medicine system of the Indian subcontinent. The word Ayurveda has been a conjugation of two Sanskrit words ayus, meaning 'life' and veda, meaning 'science', thus ayurveda literally means the 'science of life'. Unlike other traditional medicinal systems, Ayurveda is more focused on simple and logical therapies. It is in fact a set of practical and simple guidelines for long life and good health.

Dhatu
Dhatu are basically the body tissues which are responsible for the functioning of the systems and organs and the structure of the body. Each of the Dhatus is built out of a previous one and they develop on the nourishment that comes from the digestive system.

Doshas
Doshas play a vital role in the basic foundation of Ayurveda. They are responsible for coordinating and directing all the substances and structures of the body. According to Ayurveda there are three vital principles, which regulate and control the biological functions of the body. They are known as Vata, Pitta and Kapha.

Mala
Mala are the substances or waste matter to be thrown out of the body. They are actually by products formed as a result of various physiological activities going on in the body. Purish (stool), Mutra (urine) and Sweda (sweat) are considered as main excretory product of the body. These are also known as Dushya as these tend to be influenced to cause pathology or disease by imbalanced doshas.

- See more at: http://ayurveda.iloveindia.com/ayurveda-fundamentals/#sthash.Y8MLHcaJ.dpuf

Tuesday, June 3, 2014

उदर-वायु [पेट में गैस बनना], Ayurvedic remedies for Gas trouble

Ayurvedic remedies for Gas trouble in Hindi

उदर-वायु [पेट में गैस बनना]

वैद्य नवीन चौहान, आयुर्वेद फिजीशियन 

उदर-वायु एक आम तथा कभी न कभी हर किसी को होने वाली समस्या है। आयुर्वेद में  पेट गैस को अपांनवायु या  अधोवायु बोलते हैं। इसका मूल कारण जठराग्नि का असंतुलन होना  है।  पेट में वायु की विकृति से कई बीमारियां हो सकती हैं, जैसे एसिडिटी, कब्ज, पेटदर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, बेचैनी आदि। :

सामान्य कारण

पेट में गैस बनने के कई कारण हो सकते हैं जैसे:


  • बैक्टीरिया का पेट में ओवरप्रोडक्शन होना 
  • मिर्च-मसाला, तली-भुनी चीजें, जंक फूड  ज्यादा खाने से
  • पाचन संबधी विकार (कमजोर जठराग्नि)
  • विरुद्ध आहार का सेवन : बींस, राजमा, छोले, लोबिया, मोठ, उड़द की दाल, फास्ट फूड, ब्रेड और किसी-किसी को दूध या भूख से ज्यादा खाने से। खाने के साथ कोल्ड ड्रिंक लेने से क्योंकि इसमें गैसीय तत्व होते हैं। इसके साथ बासी खाना खाने से और खराब पानी पीने से भी गैस हो जाती है।
  • समय पर भोजन न करना 


आयुर्वेद उपचार व बचाव 

आयुर्वेद में जठराग्नि को प्रधान अग्नि माना गया है। अतः उन कारणो का त्याग करें जिनसे जठराग्नि में विकृति आती है। सही समय पर, सही भोज्य पदार्थों को ही ग्रहण करें । 
काला नमक, जीरा, सोंठ, काली मिर्च, पिप्पली, अजवायन आदि औषधियाँ अग्नि को ठीक करने में सहायक हैं। इसके अतिरिक्त वैद्य की सलाह से हिंगवासटक चूर्ण, अभयारिस्ट, शंख भस्म, महाशंख वटी आदि औषधियों का प्रयोग भी गैस की समस्या में किया जा सकता है। 

घरेलू उपचार


* भोजन के साथ सलाद के रूप में टमाटर का प्रतिदिन सेवन करना लाभप्रद होता है। यदि उस पर काला नमक डालकर खाया जाए तो लाभ अधिक मिलता है। पथरी के रोगी को कच्चे टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए।
* 1/2 चम्मच सूखा अदरक पाउडर [सौंठ] लें और उसमें एक चुटी हींग और सेंधा नमक मिला कर एक कप गरम पानी में डाल कर पीएं।
* गैस के कारण सिर दर्द होने पर चाय में पिसी कालीमिर्च डालें। वही चाय पीने से लाभ मिलता है।
* कुछ ताजा अदरक स्लाइस की हुई नींबू के रस में भिगो कर भोजन के बाद चूसने से राहत मिलेगी।
* पेट में या आंतों में ऐंठन होने पर एक छोटा चम्मच अजवाइन में थोड़ा नमक मिलाकर गर्म पानी में लेने पर लाभ मिलता है। बच्चों को अजवायन थोड़ी दें।
*भोजन के एक घंटे बाद 1 चम्मच काली मिर्च, 1 चम्मच सूखी अदरक और 1 चम्मच इलायची के दानो को 1/2 चम्मच पानी के साथ मिला कर पिएं।
* वायु समस्या होने पर हरड़ के चूर्ण को शहद के साथ मिक्स कर खाना चाहिए।
* अजवायन, जीरा, छोटी हरड़ और काला नमक बराबर मात्रा में पीस लें। बड़ों के लिए दो से छह ग्राम, खाने के तुरंत बाद पानी से लें। बच्चों के लिए मात्रा कम कर दें।
* अदरक के छोटे टुकड़े कर उस पर नमक छिड़क कर दिन में कई बार उसका सेवन करें। गैस परेशानी से छुटकारा मिलेगा, शरीर हलका होगा और भूख खुलकर लगेगी।

योग

वज्रासन : खाने के बाद घुटने मोड़कर बैठ जाएं। दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें। 5 से 15 मिनट तक करें।
गैस पाचन शक्ति कमजोर होने से होती है। यदि पाचन शक्ति बढ़ा दें तो गैस नहीं बनेगी। योग की अग्निसार क्रिया से आंतों की ताकत बढ़कर पाचन सुधरेगा।

गर्मी के मौसम में स्वस्थ रहने के लिए कुछ हेल्थ टिप्स

 गर्मी के मौसम में स्वस्थ रहने के लिए कुछ हेल्थ टिप्स
 Keep yourself healthy in summer!
(१) गर्मी के मौसम में धूप से असरग्रस्त चमड़ी के ताम्बेजैसा होने को मुल्तवी रखने के लिए चेहरे पर ताज़ा टमाटर काटके मलें। पंद्रह मिनिट बाद मुलायमियत के साथ आहिस्ता से चेहरा धोलें ,रगड़ें नहीं।

(२) अंदर बाहर से संक्रमण सूजन (रोगपूर्व की स्थिति )बोले तो इन्फ्लेमेशन से बचाने के लिए कुदरत ने सब्ज़ियों के राजा आलू को विटामिन -C ,विटामिन -B और पोटेशियम खनिज से भर दिया है। छिलके समेत आलू खाएं। अच्छे से गर्म पानी से साफ़ करें पकाने से पहले ,काटने के बाद पानी में न भिगोएं ,भिगो दिया है तो इस पानी का इस्तेमाल सब्ज़ी में ही करें इसे फेंके न।

(३) मख्खन विटामिन -A की सहज ज़ज़्ब होने वाली किस्म लिए रहता है। थायरॉइड और एड्रीनल (अड्रीनल )ग्रंथियों की सेहत के लिए यह बढ़िया साबित होता है। दांतों को खोखला होने से भी थामे रहता है।

(४) मीठे नीम्बू (लाइम ज्यूस )का ज्यूस गुर्दों में पथरी को बनने से रोकने में समर्थ है। इसमें मौजूद साइट्रिक अम्ल एक कुदरती उपाय है केल्शियम क्रिस्टलों से पैदा होने वाली पथरी को मुल्तवी रखने का।

(५)सुबह उठकर पानी पीना बड़ी आंत के आगे के हिस्से (COLON ) को साफ़ सुथरा रखने में मददगार साबित होता है लिहाज़ा खाने में मौजूद पुष्टिकर तत्वों की जज़्बी में भी सुधार आता है।
(६)अपनी खुराक में किसी भी बिध लेमन ग्रास को शरीक कीजिये। यह लिवर(यकृत ,जिगर ) की सफाई में काम आता है। अग्नाश्य (PANCREAS )तथा गुर्दों को भी साफ़ रखने में सहायक साबित होता है। मूत्राशय तथा पाचन मार्ग को भी साफ़ सुथरा दुरुस्त रखने में सहायक सिद्ध हुआ है।

Monday, June 2, 2014

मोटापा [Obesity] से छुटकारा पाने के कुछ सरल उपाय

मोटापा [Obesity]
मोटापा एक बीमारी है जो अनेक कारणों से होती है यथा व्यायाम न करना , हर समय आराम करना , अधिक मात्रा में चिकने व मीठे पदार्थों का सेवन आदि | कुछ लोगों में मोटापा वंशानुगत भी होता है | मोटापे के कारण रक्तचाप बढ़ जाता है और वायु संचरण में रुकावट महसूस होती है| मोटापे के कारण त्वचा फूल जाती है जिससे शरीर पूर्ण रूप से वायु ग्रहण नहीं कर पाता | अधिक चर्बी के कारण हृदय पर भी प्रभाव पढता है जिससे हृदय की गति धीमी हो जाती है|
मोटापे से छुटकारा पाने के लिये जीवनशैली में परिवर्तन की आवश्यकता होती है | आईये जानते हैं इससे छुटकारा पाने के कुछ सरल उपाय -

१- मोटापे से पीड़ित व्यक्ति को प्रातःकाल उठकर टहलना चाहिए तथा आसान व प्राणायाम का अभ्यास नियमित रूप से करना चाहये | ऐसा करने से वजन बहुत तेज़ी से घटता है |
२- २५ मिलीलीटर में नींबू के रस में २५ ग्राम शहद मिलाकर १०० मिलीलीटर गुनगुने पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मोटापा दूर होता है |
३- सूखा धनिया,मिश्री और मोटी सौंफ को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें | इस चूर्ण को एक चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से अधिक चर्बी कम होकर मोटापा दूर होता है | मधुमेह के रोगी यह प्रयोग न करें |
४- तुलसी के पत्तों का रस १० बूँद और शहद २ चम्मच को एक गिलास पानी में मिलाकर प्रतिदिन पीने से मोटापा कम होता है |
५- टमाटर और प्याज में थोड़ा सा सेंधा नमक और थोड़ी सी पीसी हुई काली मिर्च डालकर भोजन से पहले सलाद के रूप में खाने से भूख कम लगती है और मोटापा कम होता है |
६- रात को सोने से पहले १५ ग्राम त्रिफला चूर्ण को हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर एक चम्मच शहद मिलकर पी लें | इससे मोटापा जल्दी दूर होता है |

मूंग के स्वास्थ्य लाभ


मूंग -
मूंग से हम सब बहुत अच्छी तरह परिचित हैं | मूंग की दाल द्विदल धान्य है और समस्त दलहनों में अपने विशेष गुणों के कारण अच्छी मानी जाती है | मूंग काले,हरे,पीले,सफ़ेद और लाल अनेक तरह की होती है | रोगियों के लिए मूंग बहुत श्रेष्ठ बताई जाती है | मूंग की दाल से पापड़,बड़ियां व पौष्टिक लड्डू भी बनाये जाते हैं | मूंग की दाल खाने में शीतल व पचने में हलकी होती है |
विभिन्न रोगों में मूंग का उपयोग -

१- चावल और मूंग की खिचड़ी खाने से कब्ज दूर होता है | खिचड़ी में घी डालकर खाने से कब्ज दूर होकर दस्त साफ़ आता है |
२- मूंग को सेंककर पीस लें | इसमें पानी डालकर अच्छी तरह से मिलाकर लेप की तरह शरीर पर मालिश करें | इससे ज्यादा पसीना आना बंद हो जाता है |
३- मूंग की छिलके वाली दाल को दो घंटे के लिए पानी में भिगो दें| इसके बाद इसे पीसकर गाढ़ा लेप दाद और खुजली युक्त स्थान पर लगाएं,लाभ होगा |
४- टाइफाइड के रोगी को मूंग की दाल बनाकर देने से लाभ होता है,लेकिन दाल के साथ घी और मसालों का प्रयोग बिलकुल न करें |
५- मूंग को छिलके सहित खाना चाहिए | बुखार होने पर मूंग की दाल में सूखे आंवले को डालकर पकाएं | इसे रोज़ दिन में दो बार खाने से बुखार ठीक होता है और दस्त भी साफ़ होता है |

लीची के फायदे

लीची-

लीची समस्त भारत में मुख्यतयः उत्तरी भारत,बिहार,आसाम,पश्चिम बंगाल,उत्तराखंड,आंध्र प्रदेश एवं नीलगिरि क्षेत्रों में इसको घरों व बगीचों में लगाया जाता है | इसके फल गोल,कच्ची अवस्था में हरे रंग के,पकने पर मखमली लाल रंग के होते हैं | फल के अंदर का गूदा सफ़ेद रंग का व मीठा होता है | फल के अंदर एक भूरे रंग का बड़ा सा बीज होता है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल फ़रवरी से जून तक होता है |
इसके फल में शर्करा, मैलिक अम्ल,साइट्रिक अम्ल,टार्टरिक अम्ल,विटामिन A ,B ,C तथा खनिज पदार्थ पाये जाते हैं | गर्मियों में जब शरीर में पानी व खनिज लवणों की कमी हो जाती है तब लीची का रस बहुत फायदेमंद रहता है |लीची के औषधीय उपयोग -

१- लीची के फल का सेवन करने से आँतों की बिमारी तथा पेट दर्द में लाभ होता है |
२- लीची का सेवन करने से कमजोरी दूर होती है तथा शरीर पुष्ट होता है |
३- लीची खाने से पित्त की अधिकता कम होती है तथा कब्ज भी ख़त्म होती है |
५- गर्मी के मौसम में आधा कप लीची का रस प्रतिदिन पीने से हृदय को बल मिलता है |
६- बवासीर के रोगियों के लिए लीची का सेवन बहुत लाभकारी है |
७- लीची जल्दी पच जाती है| यह पाचन क्रिया को मजबूत बनाने वाली तथा लीवर के रोगों में लाभकारी है

मधुमेह [डायबिटीज ]

मधुमेह [डायबिटीज ]------- 

- आजकल टीवी में तरह तरह के विज्ञापन आते रहते है की इन दवाइयों का उपयोग करने से आप मधुमेह से छुटकारा पा सकेंगे. इसमें कई आयुर्वेदिक है कई एलोपेथी के .
- मधुमेह से परेशान व्यक्ति सब तरह की दवाइयां आजमाता है पर मधुमेह से छुटकारा नहीं पा पाता क्योंकि यह एक बहुत बड़ा मिथक है की मधुमेह एक रोग है.
- मधुमेह एक स्थिति है जिसमे शरीर के एक महत्वपूर्ण अंग ने बगावत कर दी है . आसपास बहुत शकर है , ऊर्जा है पर शरीर उसे इस्तेमाल नहीं कर पाता.
- वह क्या कारण है जो हमारे शरीर का ही एक अंग हमारा साथ नहीं देता . वह है हमारी आत्मा जो हमारे विचार निरंतर झेलती है. कुछ नकारात्मक विचार जो हम लगातार करते रहते है हमारे किसी ना किसी नाज़ुक ग्रंथी को या तो सुस्त या अधिक कार्यरत कर देते है.
- जीवनी शक्ति उन अंगों तक पहुँच नहीं पाती. इस लिए ध्यान अत्यावश्यक है. मधुमेह के मरीज़ रोज़ भोजन से पहले शांत चित्त हो कर विचार करे की प्रभु की दिव्य शक्ति लीवर को प्राप्त हो रही है जिससे हमारे रक्त में जो शर्करा है वह कम हो रही है.
- ध्यान करते हुए हमें स्वयं को परेशान करने वाले विचारों को फेंक देना है. जो पुराने और भुला दिए गए नकारात्मक विचार है उन्हें भी हटाना है.
- ये नकारात्मक विचार किसी के लिए गुस्सा , नफरत , किसी का दिया आघात , कोई कमी का अनुभव आदि हो सकते है.
- कभी बिना भूख के खाना और कभी भूख लगने पर भी ना खाना दोनों ही गलत है.
- कई दिनों के उपवास जिसमे चाय कॉफ़ी पी जाए , साबूदाना , वनस्पति घी , रबड़ी , पेड़े , सफ़ेद शकर , तले हुए कंद आदि लिए जाए गलत है.
- उपवास जिसमे एसिडिटी हो गलत है.
- पॉलिश वाले चावल , सफ़ेद शकर, मैदा, आदि पदार्थों का अधिक सेवन कभी ना करे.
- भोजन प्रेशर कूक ना करे. हो सके तो मिटटी के बर्तन में उबला अन्न ले. एल्युमिनियम में तो बिलकुल ना पकाए.
- वात प्रवृत्ति पर नियंत्रण पाने के लिए अनुलोम विलोम और कपालभाती प्राणायाम अत्यावश्यक है. मंडूकासन करने से भी लाभ होता है |
- पेट और कमर के आसपास कभी चर्बी जमा ना होने दे. यह मधुमेह को जन्म देती है.
- सभी प्रकार के रस वाले और हर प्रकार से खाए जाने वाले अन्न ले.
- ज़मीन पर बैठ कर हाथों से भोजन ले. भोजन के पहले प्रार्थना अवश्य करे.
- गौसेवा करे और पंचगव्य का सेवन करे.

Sunday, May 25, 2014

हरड़ Helath benefits of Harad

हरड़ -
हरड़ के नाम से तो हम सब बचपन से ही परिचित हैं | इसके पेड़ पूरे भारत में पाये जाते हैं | इसका रंग काला व पीला होता है तथा इसका स्वाद खट्टा,मीठा और कसैला होता है | आयुर्वेदिक मतानुसार हरड़ में पाँचों रस -मधुर ,तीखा ,कड़ुवा,कसैला और अम्ल पाये जाते हैं | वैज्ञानिक मतानुसार हरड़ की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसके फल में चेब्यूलिनिक एसिड ३०%,टैनिन एसिड ३०-४५%,गैलिक एसिड,ग्लाइकोसाइड्स,राल और रंजक पदार्थ पाये जाते हैं | ग्लाइकोसाइड्स कब्ज़ दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| ये तत्व शरीर के सभी अंगों से अनावश्यक पदार्थों को निकालकर प्राकृतिक दशा में नियमित करते हैं | यह अति उपयोगी है | आज हम हरड़ के कुछ लाभ जानेंगे -
१- हरड़ के टुकड़ों को चबाकर खाने से भूख बढ़ती है |
२- छोटी हरड़ को पानी में घिसकर छालों पर प्रतिदिन ०३ बार लगाने से मुहं के छाले नष्ट हो जाते हैं | इसको आप रात को भोजन के बाद भी चूंस सकते हैं |
३- छोटी हरड़ को पानी में भिगो दें | रात को खाना खाने के बाद चबा चबा कर खाने से पेट साफ़ हो जाता है और गैस कम हो जाती है |
४- कच्चे हरड़ के फलों को पीसकर चटनी बना लें | एक -एक चम्मच की मात्रा में तीन बार इस चटनी के सेवन से पतले दस्त बंद हो जाते हैं |
५- हरड़ का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दो किशमिश के साथ लेने से अम्लपित्त (एसिडिटी ) ठीक हो जाती है |
६- हरीतकी चूर्ण सुबह शाम काले नमक के साथ खाने से कफ ख़त्म हो जाता है |
७- हरड़ को पीसकर उसमे शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आनी बंद हो जाती है|

Saturday, April 26, 2014

गुर्दा रोग की प्राकृतिक चिकित्सा

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गुर्दा रोग की प्राकृतिक चिकित्सा
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गुर्दा शरीर का महत्वपूर्ण अंग है इसे अंग्रेजी में किडनी कहा जाता है। गुर्दे का वजन लगभग 150 ग्राम होता है इसका आकार सेम के बीज या काजू की भांति होता है। यह शरीर में पीछे कमर की ओर रीढ़ के ढांचे के ठीक नीचे के दोनों सिरों पर स्थित होते हैं। शरीर में दो गुर्दे होते हैं। गुर्दे लाखों छलनियों तथा लगभग 140 मील लंबी नलिकाओं से बने होते हैं। गुर्दों में उपस्थित नलिकाएं छने हुए द्रव्य में से जरूरी चीजों जैसे सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम आदि को दोबारा सोख लेती हैं और बाकी अनावश्यक पदार्थों को मूत्र के रूप में बाहर निकाल देती हैं। किसी ख़राबी की वजह से यदि एक गुर्दा कार्य करना बंद कर देता है तो उस स्थिति में दूसरा गुर्दा पूरा कार्य संभाल सकता है।
गुर्दे शरीर को विषाक्‍त होने से बचाते हैं और स्वस्थ रखते हैं। गुर्दों का विशेष संबंध हृदय, फेफड़ों, यकृत और प्लीहा (तिल्ली) के साथ होता है। हृदय एवं गुर्दे परस्पर सहयोग के साथ कार्य करते हैं। इसलिए जब किसी को हृदयरोग होता है तो उसके गुर्दे भी प्रभावित हो सकते हैं। जब गुर्दे ख़राब होते हैं तो रोगी का रक्‍तचाप बढ़ जाता है और वह धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है।

गुर्दे का कार्य :
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• गुर्दा रक्त में से जल और बेकार पदार्थो को अलग करता है।
• शरीर में रसायन पदार्थों का संतुलन, हॉर्मोन्स छोड़ना, रक्तचाप नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करता है।
• यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायता करता है।
• इसका एक और कार्य है विटामिन-डी का निर्माण करना, जो मनुष्य की हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है।
• गुर्दे रक्‍त में मौजूद विकारों को छान कर साफ़ करते हैं और शरीर को स्वच्छ रखते हैं।
• रक्‍त को साफ कर मूत्र बनाने का कार्य भी गुर्दों के द्वारा ही पूरा होता है।
• गुर्दे रक्‍त में उपस्थित अनावश्यक कचरे को मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल देते हैं।
• गुर्दों के सही से काम न करने पर शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है।
गुर्दे के रोग के कारण :
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• लगातार दूषित पदार्थ खाने, दूषित जल पीने और नेफ्रॉन्स के टूटने से गुर्दे के रोग उत्पन्न होते हैं।
• किडनी के लिए मधुमेह, पथरी और हाईपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) बडे़ जोखिम कारक हैं।
• गंदा मांस, मछली, अंडा, फल और भोजन और गंदे पानी का सेवन गुर्दे की बीमारी का कारण बन सकते हैं।
• भोजन और पेय पदार्थों में भी कीटाणुनाशकों, रासायनिक खादों, डिटरजेंट, साबुन, औद्योगिक रसायनों के अंश पाएं जाते हैं। ऐसे में फेफड़े और जिगर के साथ ही गुर्दे भी सुरक्षित नहीं हैं।
• शरीर में नमक की मात्रा अधिक होने के कारण गुर्दे शरीर से व्यर्थ पदार्थो को निकालने में अक्षम हो जाते हैं |
• गुर्दे के रोग का बहुत समय तक पता नहीं चलता, लेकिन जब भी कमर के पीछे दर्द उत्पन्न हो तो इसकी जांच करा लेनी चाहिए।
गुर्दे के रोग :
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गुर्दे के गंभीर रोगों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
1. एक्यूट रीनल फेल्योर :
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इसमें गुर्दे आंशिक अथवा पूर्ण रूप से काम करना बंद कर देते हैं परंतु लगातार उपचार द्वारा यह धीरे-धीरे पुन: कार्यशील हो जाते हैं।
2. क्रोनिक रीनल फेल्योर :
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यह तब होती है जब किडनी ख़राब हो या तीन माह या इससे अधिक समय से काम नहीं कर रही हो। इसका यदि ठीक प्रकार से इलाज न हो तो क्रोनिक किडनी समस्या बढ़ती जाती है। वृक्क (गुर्दा) रोग में क्रोनिक किडनी रोग के पांच चरण होते हैं। किडनी समस्या के अंतिम चरण में गुर्दे केवल पंद्रह प्रतिशत ही कार्य कर पाते हैं। इसमें नेफ्रॉन्स की अत्यधिक मात्रा में क्षति हो जाती है जिसके कारण गुर्दो की कार्यक्षमता लगातार कम होती चली जाती है।
गुर्दे की जांच :
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उपर्युक्त दोनों तरह के रोगों के निदान के लिए सबसे पहले रक्त यूरिया, नाइट्रोजन तथा किरेटिनाइन का रक्त परीक्षण करवाना चाहिए।
मूत्र जांच भी करा लेना चाहिए क्योंकि इससे यह पता चलता है कि गुर्दो की कार्यशीलता और कर्यक्षमता कैसी है।
लक्षण :
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• जब गुर्दा किसी रोग से रोगग्रस्त हो जाता है तो मूत्र सम्बन्धी तकलीफ शुरू हो सकती है।
• आंखों के ‍नीचे सूजन या पैरों के पंजों में सूजन हो सकती है।
• पाचन क्रिया भी कमजोर पड़ जाती है।
प्राकृतिक चिकित्सा :
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1- किडनी पैक :
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प्राकृतिक चिकित्सा में साधारण सी दिखने वाली क्रियाएं शरीर पर अपना रोगनिवारक प्रभाव छोडती हैं | किसी सूती या खादी के कपडे की पट्टी को सामान्य ठन्डे जल में भिगोकर , निचोड़कर अंग विशेष पर लपेटने के पश्चात् उसके ऊपर से ऊनी कपडे की [सूखी] पट्टी इस तरह लपेटी जाती है कि अन्दर वाली सूती/खादी पट्टी पूर्ण रूप से ढक जाये |
किडनी पैक के लाभ :
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गुर्दों के अतिरिक्त पेट के समस्त रोगों,पुरानी पेचिस, कोलायिटिस,पेट की नयी-पुरानी सूजन,अनिद्रा,बुखार एवं स्त्रियों के गुप्त रोगों की रामबाण चिकित्सा है | इसे रात्रि भोजन के दो घंटे बाद पूरी रात तक लपेटा जा सकता है |
किडनी पैक के लिए आवश्यक साधन :
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* खद्दर या सूती कपडे की पट्टी इतनी चौड़ी जो पेडू सहित नाभि के तीन-चार अंगुल ऊपर तक आ जाये एवं इतनी लम्बी कि पेट के तीन-चार लपेट लग सकें |
* सूती कपडे से दो इंच चौड़ी एवं इतनी ही लम्बी ऊनी पट्टी |
विधि :-
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खद्दर या सूती पट्टी को ठन्डे पानी में भिगोकर अच्छी तरह से निचोड़ लें तत्पश्चात पेडू से नाभि के तीन – चार अंगुल ऊपर तक लपेट दें ,इसके ऊपर से ऊनी पट्टी इस तरह से लपेट दें कि नीचे वाली गीली पट्टी पूरी तरह से ढक जाये |एक से दो घंटा या सारी रात इसे लपेट कर रखें |
2- कमर (पीठ पर) की गर्म – ठंडी सेंक :
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प्रातः कमर पर गर्म-ठंडी सेंक गुर्दों के लिए अत्यंत लाभदायक है | गर्म-ठंडी सेंक के लिए एक रबड़ की थैली में गर्म पानी भरें | एक बर्तन में खूब ठंडा पानी रख लें | गर्म सेंक रबड़ की थैली से एवं ठंडी सेंक पानी में एक छोटा तौलिया भिगोकर निम्नलिखित क्रम से करें -
• गर्म सेंक – 3 मिनट ठंडी सेंक - 1 मिनट
• गर्म सेंक – 3 मिनट ठंडी सेंक - 1 मिनट
• गर्म सेंक – 3 मिनट ठंडी सेंक - 1 मिनट
• गर्म सेंक – 3 मिनट ठंडी सेंक - 3 मिनट
यदि गर्म सेंक के लिए रबड़ की थैली उपलब्ध न हो तो ठंडी सेंक की तरह गर्म पानी में छोटा तौलिया भिगोकर, हल्का निचोड़कर सेंक की जा सकती है | सेंक के दौरान तौलिया प्रति मिनट पुनः पानी में भिगोकर बदलते रहें |
आहार चिकित्सा एवं परहेज :
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नियंत्रित आहार से खराब किडनी को ठीक किया जा सकता है।
• नियमित नींबू, आलू का रस और हमेशा शुद्ध जल का अधिक से अधिक सेवन करें।
• गुर्दे की सूजन से पीड़ित रोगी को भोजन करने के तुरंत बाद मूत्र त्याग करना चाहिए। इससे न सिर्फ गुर्दे की बीमारी से बचे रहेंगे बल्कि कमर दर्द, लिवर के रोग, गठिया, पौरुष ग्रंथि की वृद्धि आदि अनेक बीमारियों से भी बचाव होगा।
• गुर्दे के रोग में बथुआ फायदेमन्द होता है। पेशाब कतरा-कतरा सा आता हो या पेशाब रुक-रुककर आता हो तो इसका रस पीने से पेशाब खुलकर आने लगता है।
• गुर्दे के रोगी को आलू खाना चाहिए। इसमें सोडियम की मात्रा बहुत पायी जाती है और पोटेशियम की मात्रा कम होती है।
• मकोय का रस 10-15 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है। इससे गुर्दे और मूत्राशय की सूजन व पीड़ा दूर होती है।
• गुर्दे की खराबी से यदि पेशाब बनना बन्द हो गया हो तो मूली का रस 20-40 मिलीलीटर दिन में 2 से 3 बार पीना चाहिए।
• पुनर्नवा के 10 से 20 मिलीलीटर पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा सेवन करने से गुर्दे के रोगों में बेहद लाभकारी होता है।
• गाजर और ककड़ी या गाजर और शलजम का रस पीने से गुर्दे की सूजन, दर्द व अन्य रोग ठीक होते हैं। यह मूत्र रोग के लिए भी लाभकारी होता है।
परहेज :
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• ज्यादा मात्रा में दूध, दही, पनीर व दूध से बनी कोई भी वस्तु न खाएं।
• इस रोग से पीड़ित रोगी को मांस, मछली, मुर्गा, चॉकलेट, काफी, दूध, चूर्ण, बीयर, वाइन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
• गुर्दा रोग में सूखे फल(ड्राई फ्रूट), केक, पेस्ट्री, नमकीन, मक्खन नहीं खाना चाहिए।
• भोजन में मसालेदार भोज्यपदार्थ का सदा के लिए त्याग कर दें।
• नमक का प्रयोग कम-से-कम करें |
• तनाव और प्रदूषण से दूर रहें।
योग चिकित्सा :
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1. खड़े होकर किए जाने वाले आसन :
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वृक्षासन, ताड़ासन,अंर्धचंद्रासन, त्रिकोणासन और पश्चिमोत्तनासन।
2. बैठकर किए जाने वाले आसन :
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उष्ट्रासन और योगमुद्रा ।
3. लेटकर किए जाने वाले आसन :
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सर्पासन, धनुरासन और हलासन।
यदि उपरोक्त आसन न कर सकें तो सूर्यनमस्कार और खड़े रहकर किए जाने वाले अंग संचालन को नियमित करें। अंगसंचालन (सूक्ष्म व्यायाम) जिसमें कमर का अधिक व्यायाम होता हो वह ‍करें। जल्दी लाभ के लिए किसी योग चिकित्सक से योग के सभी बंधों (मूल बंध,उड्डीयान बंध, जालंधर बंध) को सीख लें। तीनों बंध और अर्थमत्येंद्रासन का नियमित अभ्यास करें ।

Friday, April 25, 2014

Hypertension and Ayurveda उच्च रक्तचाप और आयुर्वेद

 
उच्च रक्तचाप और आयुर्वेद
उच्च रक्त चाप के लक्षण व उपचार
रक्त चाप बढने से तेज सिर दर्द,थकावट,टांगों में दर्द ,उल्टी होने की शिकायत और चिडचिडापन होने के लक्छण मालूम पडते हैं। यह रोग जीवन शैली और खान-पान की आदतों से जुडा होने के कारण केवल दवाओं से इस रोग को समूल नष्ट करना संभव नहीं है। जीवन चर्या एवं खान-पान में अपेक्षित बदलाव कर इस रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर के मुख्य कारण--
१) मोटापा
२) तनाव(टेंशन)
३) महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन
४) ज्यादा नमक उपयोग करना
अब यहां ऐसे सरल घरेलू उपचारों की चर्चा की जायेगी जिनके सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने से बिना गोली केप्सुल लिये इस भयंकर बीमारी पर पूर्णत: नियंत्रण पाया जा सकता है-
१) सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोगी को नमक का प्रयोग बिल्कुल कम कर देना चाहिये। नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है।
२) उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है।लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू वस्तु है।यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है।
३)एक बडा चम्मच आंवला का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह -शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।
४) जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास मामूली गरम पानी में काली मिर्च पावडर एक चम्मच घोलकर २-२ घंटे के फ़ासले से पीते रहें। ब्लड प्रेशर सही मुकाम पर लाने का बढिया उपचार है।
५) तरबूज का मगज और पोस्त दाना दोनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर मिला लें। एक चम्मच सुबह-शाम खाली पेट पानी से लें।३-४ हफ़्ते तक या जरूरत मुताबिक लेते रहें।
६) बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा निंबू निचोडकर २-२ घंटे के अंतर से पीते रहें। हितकारी उपचार है।
७) तुलसी की १० पती और नीम की ३ पत्ती पानी के साथ खाली पेट ७ दिवस तक लें।
८) पपीता आधा किलो रोज सुबह खाली पेट खावें। बाद में २ घंटे तक कुछ न खावें। एक माह तक प्रयोग से बहुत लाभ होगा।
९) नंगे पैर हरी घास पर १५-२० मिनिट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।
१०) सौंफ़,जीरा,शकर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पावडर बनालें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।
११) उबले हुए आलू खाना रक्त चाप घटाने का श्रेष्ठ उपाय है।आलू में सोडियम(नमक) नही होता है।
पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह-शाम पीयें। अन्य सब्जीयों के रस भी लाभदायक होते हैं।
१३) नमक दिन भर में ३ ग्राम से ज्यादा न लें।
१४) अण्डा और मांस ब्लड प्रेशर बढाने वाली चीजें हैं। ब्लड प्रेशर रोगी के लिये वर्जित हैं।
१५) करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।
१६) केला,अमरूद,सेवफ़ल ब्लड प्रेशर रोग को दूर करने में सहायक कुदरती पदार्थ हैं।
१७) मिठाई और चाकलेट का सेवन बंद कर दें।
१८)सूखे मेवे :--जैसे बादाम काजू, आदि उच्च रक्त चाप रोगी के लिये लाभकारी पदार्थ हैं।
१९)चावल:-(भूरा)उपयोग में लावें। इसमें नमक ,कोलेस्टरोल,और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है। इसमें पाये जाने वाले केल्शियम से नाडी मंडल की भी सुरक्षा हो जाती है।
२०)अदरक:-प्याज और लहसून की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैलसियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।
२०)लालमिर्च:-धमनियों के सख्त होने के कारण या उनमे प्लेक जमा होने की वजह से रक्त वाहिकाएं और नसें संकरी हो जाती हैं जिससे कि रक्त प्रवाह में रुकावटें पैदा होती हैं। लेकिन लाल मिर्च से नसें और रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं, फलस्वरूप रक्त प्रवाह सहज हो जाता है और रक्तचाप नीचे आ जाता है.

Stomatitis; Ayurvedic treatment and Home remedies

मुंह में अगर छाले हो जाएं तो जीना मुहाल हो जाता है। खाना तो दूर पानी पीना भी मुश्किल हो जाता है। लेकिन, इसका इलाज आपके आसपास ही मौजूद है। मुंह के छाले गालों के अंदर और जीभ पर होते हैं।

संतुलित आहार, पेट में दिक्कत, पान- मसालों का सेवन छाले का प्रमुख कारण है। छाले होने पर बहुत तेज दर्द होता है। आइए हम आपको मुंह के छालों से बचने के लिए घरेलू उपचार बताते हैं।

मुंह के छालों से बचने के घरेलू उपचार –

शहद में मुलहठी का चूर्ण मिलाकर इसका लेप मुंह के छालों पर करें और लार को मुंह से बाहर टपकने दें।

मुंह में छाले होने पर अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उनका रस चूसना चाहिए।

छाले होने पर कत्था और मुलहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने चाहिए।

अमलतास की फली मज्जा को धनिये के साथ पीसकर थोड़ा कत्था मिलाकर मुंह में रखिए। या केवल अमलतास के गूदे को मुंह में रखने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।

अमरूद के मुलायम पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुंह के छाले से राहत मिलती है और छाले ठीक हो जाते हैं।

सूखे पान के पत्ते का चूर्ण बना लीजिए, इस चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटिए, इससे मुंह के छाले समाप्त हो जाएंगे।

पान के पत्तों का रस निकालकर, देशी घी में मिलाकर छालों पर लगाने से फायदा मिलता है और छाले समाप्त हो जाते हैं।

नींबू के रस में शहद मिलाकर इसके कुल्ले करने से मुंह के छाले दूर होते हैं।

ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन कीजिए, इससे पेट साफ होगा और मुंह के छाले नहीं होंगे।

मशरूम को सुखाकर बारीक चूर्ण तैयार कर लीजिए, इस चूर्ण को छालों पर लगा दीजिए। मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे।

मुंह के छाले होने पर चमेली के पत्तों को चबाइए। इससे छाले समाप्त हो जाते हैं।

छाछ से दिन में तीन से चार बार कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।

खाना खाने के बाद गुड चूसने से छालों में राहत होती है।

मेंहदी और फिटकरी का चूर्ण बनाकर छालों पर लगाएं, इससे मुंह के छाले समाप्त होते हैं।

अगर आपको बार-बार मुंह के छाले हो रहे हैं तो अपने मुंह की सफाई पर विशेष ध्यान दीजिए। ज्यादा मसालेदार और गरिष्ठ भोजन करने से बचें। अगर फिर भी छाले ठीक न हो रहे हों तो चिकित्सक से सलाह अवश्य कर लीजिए |
मुंह में अगर छाले हो जाएं तो जीना मुहाल हो जाता है। खाना तो दूर पानी पीना भी मुश्किल हो जाता है। लेकिन, इसका इलाज आपके आसपास ही मौजूद है। मुंह के छाले गालों के अंदर और जीभ पर होते हैं।
संतुलित आहार, पेट में दिक्कत, पान- मसालों का सेवन छाले का प्रमुख कारण है। छाले होने पर बहुत तेज दर्द होता है। आइए हम आपको मुंह के छालों से बचने के लिए घरेलू उपचार बताते हैं।
मुंह के छालों से बचने के घरेलू उपचार –
शहद में मुलहठी का चूर्ण मिलाकर इसका लेप मुंह के छालों पर करें और लार को मुंह से बाहर टपकने दें।
मुंह में छाले होने पर अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाकर उनका रस चूसना चाहिए।
छाले होने पर कत्था और मुलहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने चाहिए।
अमलतास की फली मज्जा को धनिये के साथ पीसकर थोड़ा कत्था मिलाकर मुंह में रखिए। या केवल अमलतास के गूदे को मुंह में रखने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
अमरूद के मुलायम पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुंह के छाले से राहत मिलती है और छाले ठीक हो जाते हैं।
सूखे पान के पत्ते का चूर्ण बना लीजिए, इस चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटिए, इससे मुंह के छाले समाप्त हो जाएंगे।
पान के पत्तों का रस निकालकर, देशी घी में मिलाकर छालों पर लगाने से फायदा मिलता है और छाले समाप्त हो जाते हैं।
नींबू के रस में शहद मिलाकर इसके कुल्ले करने से मुंह के छाले दूर होते हैं।
ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन कीजिए, इससे पेट साफ होगा और मुंह के छाले नहीं होंगे।
मशरूम को सुखाकर बारीक चूर्ण तैयार कर लीजिए, इस चूर्ण को छालों पर लगा दीजिए। मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे।
मुंह के छाले होने पर चमेली के पत्तों को चबाइए। इससे छाले समाप्त हो जाते हैं।
छाछ से दिन में तीन से चार बार कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
खाना खाने के बाद गुड चूसने से छालों में राहत होती है।
मेंहदी और फिटकरी का चूर्ण बनाकर छालों पर लगाएं, इससे मुंह के छाले समाप्त होते हैं।
अगर आपको बार-बार मुंह के छाले हो रहे हैं तो अपने मुंह की सफाई पर विशेष ध्यान दीजिए। ज्यादा मसालेदार और गरिष्ठ भोजन करने से बचें। अगर फिर भी छाले ठीक न हो रहे हों तो चिकित्सक से सलाह अवश्य कर लीजिए

Tuesday, April 22, 2014

Hair Care in Ayurveda बालों की तमाम समस्याओं से छुटकारा

बालों की तमाम समस्याओं से छुटकारा पाएं..
अगर आप भी परेशान हैं बालों की समस्याओं से जैसे असमय सफ़ेद बाल, गंजापन, दो मुंहे बाल,रुसी, झड़ते बाल, रूखे बाल, खुजली बाली स्कैल्प तो आजमाएं हमारे ये देसी नुस्खे या हमे इनबॉक्स करें सोलुशन के लिए
बालों को घने काले और लम्बे बनाने के चमत्कारी 29 सूत्र
1- घी खाएं और बालों के जड़ों में घी मालिश करें।
2- गेहूं के जवारे का रस पीने से भी बाल कुछ समय बाद काले हो जाते हैं।
3- तुरई या तरोई के टुकड़े कर उसे धूप मे सूखा कर कूट लें। फिर कूटे हुए मिश्रण में इतना नारियल तेल डालें कि वह डूब जाएं। इस तरह चार दिन तक उसे तेल में डूबोकर रखें फिर उबालें और छान कर बोतल भर लें। इस तेल की मालिश करें। बाल काले होंगे।
4- नींबू के रस से सिर में मालिश करने से बालों का पकना, गिरना दूर हो जाता है। नींबू के रस में पिसा हुआ सूखा आंवला मिलाकर सफेद बालों पर लेप करने से बाल काले होते हैं।
5- बर्रे(पीली) का वह छत्ता जिसकी मक्खियाँ उड़ चुकी हो 25 ग्राम, 10-15 देसी गुड़हल के पत्ते,1/2 लीटर नारियल तेल में मंद मंद आग पर उबालें सिकते-सिकते जब छत्ता काला हो जाये तो तेल को अग्नि से हटा दें. ठंडा हो जाने पर छान कर तेल को शीशी में भर लें. प्रतिदिन सिर पर इसकी हल्के हाथ से मालिश करने से बाल उग जाते हैं और गंजापन दूर होता है.
6- कुछ दिनों तक, नहाने से पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।
7- नीबू के रस में आंवला पाउडर मिलाकर सिर पर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
8- तिल का तेल भी बालों को काला करने में कारगर है।
9- आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाए। 15 मिनट बाद बाल धो लें। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।
10- नीम का पेस्ट सिर में कुछ देर लगाए रखें। फिर बाल धो लें। बाल झड़ना बंद हो जाएगा।
11- चाय पत्ती के उबले पानी से बाल धोएं। बाल कम गिरेंगे।
12- बेसन मिला दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। फायदा होगा।
13- दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ (रूसी) भी नहीं होगी।
14- 50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें। इस उबले हुए पानी से बालों को धोएं। इससे बाल 1 महीने में ही काफी लंबे हो जाते हैं।
15- नीम और बेर के पत्तो को पानी के साथ पीसकर सिर पर लगा लें और इसके 2-3 घण्टों के बाद बालों को धो डालें। इससे बालों का झड़ना कम हो जाता है और बाल लंबे भी होते हैं।
16- लहसुन का रस निकालकर सिर में लगाने से बाल उग आते हैं।
17- सीताफल के बीज और बेर के बीज के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। ऐसा करने से बाल लंबे हो जाते हैं।
18- 10 ग्राम आम की गिरी को आंवले के रस में पीसकर बालों में लगाना चाहिए। इससे बाल लंबे और घुंघराले हो जाते हैं।
19- शिकाकाई और सूखे आंवले को 25-25 ग्राम लेकर थोड़ा-सा कूटकर इसके टुकड़े कर लें। इन टुकड़ों को 500 ग्राम पानी में रात को डालकर भिगो दें। सुबह इस पानी को कपड़े के साथ मसलकर छान लें और इससे सिर की मालिश करें। 10-20 मिनट बाद नहा लें। इस तरह शिकाकाई और आंवलों के पानी से सिर को धोकर और बालों के
सूखने पर नारियल का तेल लगाने से बाल लंबे, मुलायम और चमकदार बन जाते हैं।
20- ककड़ी में सिलिकन और सल्फर अधिक मात्रा में होता है जो बालों को बढ़ाते हैं। ककड़ी के रस से बालों को धोने से तथा ककड़ी, गाजर और पालक सबको मिलाकर रस पीने से बाल बढ़ते हैं। यदि यह सब उपलब्ध न हो तो जो भी मिले उसका रस मिलाकर पी लें। इस प्रयोग से नाखून गिरना भी बन्द हो जाता है।
21- कपूर कचरी 100 ग्राम, नागरमोथा 100 ग्राम, कपूर तथा रीठे के फल की गिरी 40-40 ग्राम, शिकाकाई 250 ग्राम और आंवले 200 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी का चूर्ण तैयार कर लें। इस मिश्रण के 50 ग्राम चूर्ण में पानी मिलाकर लुग्दी(लेप) बनाकर बालों में लगाना चाहिए। इसके पश्चात् बालों को गरम पानी से खूब साफ कर लें। इससे सिर के अन्दर की जूं-लींकें मर जाती हैं और बाल मुलायम हो जाते हैं।
22- गुड़हल के फूलों के रस को निकालकर सिर में डालने से बाल बढ़ते हैं।
23- गुड़हल के ताजे फूलों के रस में जैतून का तेल बराबर मिलाकर आग पर पकायें, जब जल का अंश उड़ जाये तो इसे शीशी में भरकर रख लें। रोजाना नहाने के बाद इसे बालों की जड़ों में मल-मलकर लगाना चाहिए। इससे बाल चमकीले होकर लंबे हो जाते हैं।
24- बालों को छोटा करके उस स्थान पर जहां पर बाल न हों भांगरा के पत्तों के रस से मालिश करने से कुछ ही दिनों में अच्छे काले बाल निकलते हैं जिनके बाल टूटते हैं या दो मुंहे हो जाते हैं।
25- त्रिफला के चूर्ण को भांगरा के रस में 3 उबाल देकर अच्छी तरह से सुखाकर खरल यानी पीसकर रख लें। इसे प्रतिदिन सुबह के समय लगभग 2 ग्राम तक सेवन करने से बालों का सफेद होना बन्द जाता है तथा इससे आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
26- आंवलों का मोटा चूर्ण करके, चीनी के मिट्टी के प्याले में रखकर ऊपर से भांगरा का इतना डाले कि आंवले उसमें डूब जाएं। फिर इसे खरलकर सुखा लेते हैं। इसी प्रकार 7 भावनाएं (उबाल) देकर सुखा लेते हैं। प्रतिदिन 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ सेवन से करने से असमय ही बालों का सफेद होना बन्द जाता
है। यह आंखों की रोशनी को बढ़ाने वाला, उम्र को बढ़ाने वाला लाभकारी योग है।
27- भांगरा, त्रिफला, अनन्तमूल और आम की गुठली का मिश्रण तथा 10 ग्राम मण्डूर कल्क व आधा किलो तेल को एक लीटर पानी के साथ पकायें। जब केवल तेल शेष बचे तो इसे छानकर रख लें। इसके प्रयोग से बालों के सभी प्रकार के रोग मिट जाते हैं।
28- 250 ग्राम अमरबेल को लगभग 3 लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाये तो इसे उतार लें। सुबह इससे बालों को धोयें। इससे बाल लंबे होते हैं।
29- त्रिफला के 2 से 6 ग्राम चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौह भस्म मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है।.

Saturday, April 19, 2014

Health Benefits of Aloe vera in Hindi

Health Benefits of Aloe vera  in Hindi
हमारे आस पास तमाम ऐसी वनस्पतियां पाई जाती हैं जिनमें औषधीय गुण मिलते हैं। समझ और सजगता का अभाव होने के कारण इनका सही प्रयोग नहीं हो पाता। इन्हीं वस्पतियों में घृतकुमारी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। आयुर्वेद में इसे ग्वारपाठा, घी कुंवारा, स्थूलदला, कुमारी आदि नामों से इसे जाना जाता है। घृतकुमारी के पत्तों का इस्तेमाल यकृत विकार, आमवात, कोष्ठबद्धता, बवासीर, स्त्रियों के अनियमित मासिक चक्र और मोटापा घटाने के साथ ही चर्म रोग में भी लाभकारी होता है। घृतकुमारी सभी स्थानों पर पूरे वर्ष सुगमता से मिलता है। इसके गूदे में लौह, कैल्शियम, पोटैशियम एवं मैग्नीशियम पाया जाता है।
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1- एलोवेरा में 18 धातु, 15 एमिनो एसिड और 12 विटामिन मौजूद होते हैं जो खून की कमी को दूर कर रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढाते हैं।
2- एलोवेरा के कांटेदार पत्तियों को छीलकर रस निकाला जाता है। 3 से 4 चम्मदच रस सुबह खाली पेट लेने से दिन-भर शरीर में चुस्ती व स्फूर्ति बनी रहती है।
3- एलोवेरा का जूस पीने से कब्ज की बीमारी से फायदा मिलता है।
4- एलोवेरा का जूस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार व स्वस्थ होते हैं।
5- एलोवेरा का जूस पीने से शरीर में शुगर का स्तर उचित रूप से बना रहता है।
एलोवेरा का जूस बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग व पेट के विकारों को दूर करता है।
6- एलोवेरा का जूस पीने से त्वचा की खराबी, मुहांसे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्वचा, झुर्रियां, चेहरे के दाग धब्बों, आखों के काले घेरों को दूर किया जा सकता है।
7- एलोवेरा का जूस पीने से मच्छर काटने पर फैलने वाले इन्फेक्शन को कम किया जा सकता है।
8- एलोवेरा का जूस ब्लड को प्यूरीफाई करता है साथ ही हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करता है।
9- शरीर में वहाईट ब्लड सेल्स की संख्या को बढाता है।
10- एलोवेरा का जूस त्वचा की नमी को बनाए रखता है जिससे त्वचा स्वस्थ्य दिखती है। यह स्किन के कोलेजन और लचीलेपन को बढाकर स्किन को जवान और खूबसूरत बनाता है।
11- एलोवेरा के जूस का नियमित रूप से सेवन करने से त्वचा भीतर से खूबसूरत बनती है और बढती उम्र से त्वचा पर होने वाले कुप्रभाव भी कम होते हैं।
12- एलोवेरा के जूस का हर रोज सेवन करने से शरीर के जोडों के दर्द को कम किया जा सकता है।
13- एलोवेरा को सौंदर्य निखार के लिए हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट जैसे एलोवेरा जैल, बॉडी लोशन, हेयर जैल, स्किन जैल, शैंपू, साबुन, फेशियल फोम आदि में प्रयोग किया जा रहा है।
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सावधानी: गर्भवती औरतों और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये घृतकुमारी-एलोविरा के आन्तरिक सेवन करने की सख्त मनाही है।

Thursday, April 3, 2014

नारियल के लाभ

नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। ऐसा इसकी धार्मिक महत्ता के साथ-साथ औषधीय गुणों के कारण कहा जाता है। नारियल में विटामिन, पोटैशियम, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। नारियल कई बीमारियों के इलाज में काम आता है। नारियल में वसा और कोलेस्ट्रॉल नही होता है, इसलिए नारियल मोटापे से भी निजात दिलाने में मदद करता है। आइए जानते हैं नारियल के चमत्कारी गुणों के बारे में।

नारियल के लाभ –
नकसीर के लिए –नकसीर की समस्या कई लोगों को हो सकती है। नाक से खून निकलने पर कच्चे नारियल का पानी का सेवन नियमित रूप से करना फायदेमंद होता है। अगर खाली पेट नारियल का सेवन किया जाए तो खून का बहाव बंद हो जाता है।

दिमाग के लिए – नारियल खाने से याद्दाश्त बढती है। नारियल की गरी में बादाम, अखरोट एवं मिश्री मिलाकर हर रोज खाने से स्मृति में बढती है। बच्चों को नारियल खिलाना चाहिए, इससे बच्चों का दिमागी विकास होता है।

मुहांसे के लिए – मुहांसों से निजात दिलाने में भी नारियल बहुत फायदेमंद होता है। नारियल के पानी में खीरे का रस मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से लगाने से चेहरे के दाग-धब्बे मिटते हैं और चेहरा सुंदर एवं चमकदार होता है। नारियल के तेल में नींबू का रस अथवा ग्लिसरीन मिलाकर चेहरे पर लेप करने से भी मुहांसे समाप्त होते हैं।

वजन घटाने के लिए - मोटापा कम करने में नारियल बहुत फायदेमंद है। नारियल में कोलेस्ट्रॉल और वसा नहीं होता है। इसलिए नारियल का सेवन करके वजन को घटाया जा सकता है। मोटे लोगों को नारियल का सेवन करना चाहिए।

अच्छी नींद के लिए – अगर नींद न आने की समस्या है तो नारियल का सेवन कीजिए। नियमित रूप से रात के खाने के बाद आधा गिलास नारियल का पानी पीना चाहिए। इससे नींद न आने की समस्या खतम होती है और नींद अच्छी आती है।

सिरदर्द के लिए - नारियल तेल में बादाम को मिलाकर तथा बारीक पीसकर सिर पर लेप लगाना चाहिए। इससे सिरदर्द में तुरंत आराम होता है।

रूसी के लिए – बालों में रूसी की समस्या के लिए नारियल का तेल बहुत फायदेमंद है। नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाने से रूसी एवं खुश्की से छुटकारा मिलता है।

पेट के लिए - पेट में कीड़े होने पर सुबह नाश्ते के समय एक चम्मच पिसा हुआ नारियल का सेवन करने से पेट के कीडे बहुत जल्दी मर जाते हैं।

नारियल शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। नारियल को कई प्रकार से प्रयोग किया जाता है। नारियल त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए नारियल का प्रयोग किसी न किसी रूप में जरूर करना चाहिए।

Monday, March 31, 2014

उर्जा वाली व्रत की थाली

उर्जा वाली व्रत की थाली..........
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नवरात्र मे नौ दिन का व्रत प्राय: सभी लोग रखते हैं| मगर कुछ लोग ही सही डायट को फॉलो कर पाते हैं | नतीजा दो तीन दिन बाद ही तबियत खराब होने लगती है | Dehyration, बदहज़मी, सर दर्द आदि की समस्या होने लगती है | अब आप ही भला सोचिये, अस्वस्थ मन से माँ की आपकी पूजा बिना किसी बाधा के पूर्ण हो, तो व्रत के दौरान खानपान पर भी विशेष ध्यान दें |
व्रत के दौरान कमजोरी या अन्य परेशानियों से बचने के लिए हल्का फुल्का कुछ न कुछ जरुर खाते रहें | अगर खा नहीं सकते , तो पेय पदार्थ जैसे ताजा फलो का जूस, दूध , छाछ अवश्य लें | इससे dehyration नहीं होगा | सादे पानी की जगह बीच बीच मे नीबू पानी या नालियल पानी भी पी सकते हैं | इससे शरीर को भरपूर एनर्जी मिलती है |
व्रत के दौरान अपने आहार मे फाइबर युक्त फल व सब्जियों को शामिल करें |
अक्सर व्रत रखने वाले भक्त पूरे दिन हो भूखे रहते हैं, पर रात मे जैसे ही व्रत खोलने का समय आता है , वे खाने पर टूट पड़ते हैं | घी मे तली कुट्टू की पकौडियां , पूरियां आदि का सेवन खूब करने लगते हैं | जिससे शारीर मे फैट बदने लगता हैं | गैस और कब्ज़ की शिकायत भी होने लगती है | अगर आप व्रत के दौरान अपना वजन नहीं बढाना चाहते है, तो दिन मे आलू या आलू के चिप्स खाने के बजाय ताजे फल सब्जियों की सलाद खाएं | दूध से बनी खाद सामग्री, कुट्टू या सिंघाड़े के आटे की रोटी और घीया की सब्जी अपने भोजन मे शामिल कर सकते हैं | इसका नियमित सेवन शारीर मे पोषक तत्वों की कमी को पूरा करेगा | सलाद मे खीरा, टमाटर, मूली आदि ले सकते हैं|
दही का प्रोटीन गुणकारी होता है| इससे ६० कैलोरी उर्जा मिलती है | इसलिए व्रत मे थोडा सा दही खाने से भी पेट भरा लगता है | दही खाने से प्यास भी अधिक नहीं लगती |
शाम को व्रत खोते समय एकदम से तला भुना खाने की जगह पहले कुछ फल या दही की लस्सी पिए | इससे आपका हाजमा भी अच्छा रहेगा |
खाने मे सेंधा नमक का इस्तमाल जरूर करें, नहीं तो नमक की कमी के कारण आप परेशानी मे पड़ सकते हैं | जूस या नारियल पानी और पानी प्रयाप्त मात्रा मे पियें |
उपवास के नाम पर लोग साबूदाना , आलू, सिंघाड़े और कुट्टू के आटे का प्रोयोग करते हैं | ये सारी चीज़े गरिष्ट होती हैं | ऐसे मे इनको यदि घी के साथ तैयार करते हैं, तो ये और भी गरिष्ट हो जाता है |
पानी मात्रा मे जादा पीना चाहिए ताकि शारीर मे उत्पन्न होने वाले टोक्सिन , पेशाब एवं पसीने के रूप में हमारे शारीर से बाहर निकल सकें |
कुट्टू के आटे की पूरियां बनाने की जगह कुट्टू के आटे की रोटी सेकें |
सावा के चावल की खिचड़ी दही के साथ खा सकते हैं |
उर्जा वाली व्रत की थाली..........
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नवरात्र मे नौ दिन का व्रत प्राय: सभी लोग रखते हैं| मगर कुछ लोग ही सही डायट को फॉलो  कर पाते हैं | नतीजा दो तीन दिन बाद ही तबियत खराब होने लगती है | Dehyration, बदहज़मी, सर दर्द आदि की समस्या होने लगती है | अब आप ही भला सोचिये, अस्वस्थ मन से माँ की आपकी पूजा बिना किसी बाधा के पूर्ण हो, तो व्रत के दौरान खानपान पर भी विशेष ध्यान दें |

व्रत के दौरान कमजोरी या अन्य परेशानियों से बचने के लिए हल्का फुल्का कुछ न कुछ जरुर खाते रहें | अगर खा नहीं सकते , तो पेय पदार्थ जैसे ताजा फलो का जूस, दूध , छाछ अवश्य लें | इससे dehyration नहीं होगा | सादे पानी की जगह बीच बीच मे नीबू पानी या नालियल पानी भी पी सकते हैं | इससे शरीर को भरपूर एनर्जी मिलती है |

व्रत के दौरान अपने आहार मे फाइबर युक्त फल व सब्जियों को शामिल करें |

अक्सर व्रत रखने वाले भक्त पूरे दिन हो भूखे रहते हैं, पर रात मे जैसे ही व्रत खोलने का समय आता है , वे खाने पर टूट पड़ते हैं | घी मे तली कुट्टू की पकौडियां , पूरियां आदि का सेवन खूब करने लगते हैं | जिससे शारीर मे फैट बदने लगता हैं | गैस और कब्ज़ की शिकायत भी होने लगती है | अगर आप व्रत के दौरान अपना वजन नहीं बढाना चाहते है, तो दिन मे आलू या आलू के चिप्स खाने के बजाय ताजे फल सब्जियों की सलाद खाएं | दूध से बनी खाद सामग्री, कुट्टू या सिंघाड़े के आटे की रोटी और घीया की सब्जी अपने भोजन मे शामिल कर सकते हैं | इसका नियमित सेवन शारीर मे पोषक तत्वों की कमी को पूरा करेगा | सलाद मे खीरा, टमाटर, मूली आदि ले सकते हैं|

दही का प्रोटीन गुणकारी होता है| इससे ६० कैलोरी उर्जा मिलती है | इसलिए व्रत मे थोडा सा दही खाने से भी पेट भरा लगता है | दही खाने से प्यास भी अधिक नहीं लगती |

शाम को व्रत खोते समय एकदम से तला भुना खाने की जगह पहले कुछ फल या दही की लस्सी पिए | इससे आपका हाजमा भी अच्छा रहेगा |

खाने मे सेंधा नमक का इस्तमाल जरूर करें, नहीं तो नमक की कमी के कारण आप परेशानी मे पड़ सकते हैं | जूस या नारियल पानी और पानी प्रयाप्त मात्रा मे पियें |

उपवास के नाम पर लोग साबूदाना , आलू, सिंघाड़े और कुट्टू के आटे का प्रोयोग करते हैं | ये सारी चीज़े गरिष्ट होती हैं | ऐसे मे इनको यदि घी के साथ तैयार करते हैं, तो ये और भी गरिष्ट हो जाता है |

पानी मात्रा मे जादा पीना चाहिए ताकि शारीर मे उत्पन्न होने वाले टोक्सिन , पेशाब एवं पसीने के रूप में हमारे शारीर से बाहर निकल सकें |

कुट्टू के आटे की पूरियां बनाने की जगह कुट्टू के आटे की रोटी सेकें |

सावा के चावल की खिचड़ी दही के साथ खा सकते हैं |

Wednesday, March 26, 2014

सेंधा नमक खाए और स्वस्थ रहिए

सेंधा नमक खाए और स्वस्थ रहिए :-
सेंधा नमक कितना फायदेमंद है जानिए –

प्राकृतिक नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। इसके बावजूद हम सब घटिया किस्म का आयोडिन मिला हुआ समुद्री नमक खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे , पर यह एक हकीकत है ।
नमक विशेषज्ञ का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है जो की शरीर के लिए हानिकारक और जहर के समान है । समुद्री नमक तो अपने आप मे बहुत खतरनाक है लेकिन उसमे आयोडिन नमक मिलाकर उसे और जहरीला बना दिया जाता है , आयोडिन की शरीर मे मे अधिक मात्र जाने से नपुंसकता जैसा गंभीर रोग हो जाना मामूली बात है।
उत्तम प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है । आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है।आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप ,डाइबिटीज़,लकवा आदि गंभीर बीमारियो का भय रहता है । इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है । इसकी शुद्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है ।
ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था।
भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है ,उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है,
क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है । सफ़ेद रंग वाला नमक उत्तम होता है। यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और
पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है। यह पित्त नाशक और आंखों के लिये हितकारी है । दस्त, कृमिजन्य रोगो और रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है ।
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Tuesday, February 18, 2014

बच्चो के पेट में कीड़े, मुंहासे नुसखे

नुसखे
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बच्चो के पेट में कीड़े
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* कृमि की अवस्था में खाली पेट अनन्नास सेवन करना चाहिए क्योंकि यह कृमि नाशक है। पेट में कृमि होने पर अनन्नास सेवन करने से सप्ताह भर में ही कृमि दूर हो जाते हैं। इस दृष्टि से यह बच्चों के लिए भी विशेष उपयोगी है।
* यदि बच्चों के पेट में कीड़े पड़ गए हों तो प्याज का रस पिलाने से कीड़े मर कर निकल जायेंगे।

मुंहासे
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* एक छोटा चम्मच दही तथा एक बड़ा चम्मच मूली का रस मिलाकर लोशन बनाकर रुई से चेहरे पर लगाने से कील, मुँहासे एवं झुर्रियां सदा के लिए मिट जाते हैं।
* सेब, संतरा, केला तथा अमरूद आदि को पीसकर फल मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण में दही और पीसी हुई हल्दी ऊपर से डालकर मिला लें। इसके बाद उसमें तुलसी का एक चम्मच रस और शहद की चार बूंद डालकर इससे बनाये गये लेप से सुबह-शाम चार सप्ताह तक चेहरे पर लगाया करें। इससे झुरियां और मुहांसे जड़ से नष्ट हो जाते हैं।

चोट लगना, खून बहना
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* लोहे से लगने वाली चाटों पर फिटकरी घिसकर लगा दें या फूली फिटकरी बुरक दें। इससे खून तो रुकेगा ही साथ ही सैप्टिक होने के डर से टिटेनस का इन्जैक्शन लगवाने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है।
* 125 ग्राम दही और 250 ग्राम पानी में एक ग्राम फिटकरी पीसकर मिला दें और उसका लस्सी बनाकर घायल को पिला दें। इससे शरीर के किसी भी हिस्से से खून बह रहा हो तो बन्द हो जाता है।

शहद चाटने के फायदे

आलस आ रहा है? शहद चाटिये

शहद का टेस्ट काफी लाजवाब होता है। इसमें बहुत सारा कार्बोहाड्रेट होता है जो कि चाटने पर शरीर को तुरंह ही एनर्जी देता है। तो अगर आपको ऐसा लगता है कि आप सुबह बहुत सुस्त सा फील कर रहे हैं और आपका मन ऑफिस जाने का नहीं कर रहा है तो शहद का सेवन करें। इसी कारण से चाइना में रहने वाले लोग रोज सुबह दूध, ब्रेड या गरम पानी में शहद घोल मिला कर पीते और खाते हैं। चाइनीज लोगों को शहद इसलिये नहीं पसंद है क्योंकि यह टेस्टी होता है बल्कि वे इसे इसलिये पसंद करते हैं क्योंकि इसमें बहुत सारा पौष्टिक गुण होता है, जिससे दर्द से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा चाइना कि अधिकतर दवाओं में भी शहद मिला होता है। पढिये और जानिये कि आपको अपनी डाइट में शहद क्यों खाना चाहिये।

शहद चाटने के फायदे

1. बूढे़ लोग जिनका पाचन तंत्र कमजोर हो चुका है, उनके लिये शहद बहुत फायदेमंद होता है।

2. हर सुबह शहद चाटने से कब्ज की समस्या समाप्त होती है और पेट साफ रहता है।

3. शराब पीने के बाद हैंगओवर उतारने के लिये पानी में शहद मिला कर पीने से लीवर भी सही रहता है और हैंगओवर भी उतर जाता है।

4. अगर त्वचा जल गई हो तो वहां पर शहद लगा लें, दर्द से तुरंत छुटकारा मिलेगा। इससे इंफेक्शन भी नहीं होगा और यह जलन तुरंत सही हो जाएगी।

5. अच्छी नींद लाने के लिये रात में एक चम्मच शहद चाटें।

6. सुबह और रात को एक कप में शहद और पानी पीने से हाई ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है।

7. खाना खाने के आधे घंटे पहले शहद खाने से गैस्ट्रिक की समस्या नहीं होती। सावधानी हांलाकि शहद स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है लेकिन यह मधुमेह रोगियों और 1 साल से छोटे शिशु के लिये अच्छा नहीं है।

दो हफ्ते में कम करें पेट

दो हफ्ते में कम करें पेट

पेट कम करने के लिए खाना छोड़ने या कम खाना खाने की बजाय स्वस्थ व पौष्टिक आहार का सेवन करें। नियमित व्यायाम संतुलित आहार पेट की चर्बी कम करने में मददगार साबित हो सकता है।

पेटी की चर्बी से हर दूसरा व्यक्ति परेशान नजर आता है। यह समस्या काफी आम हो चुकी है। इसके लिए अपनी एक नियमित दिनचर्या बनाएं और गंभीरता से इसका अनुसरण करें। आइए जानें कुछ ऐसे उपाय जिन्हें अपनाकर महज दो सप्ताह में ही बढ़े हुए पेट को कम किया जा सकता है।

जौ-चने की रोटी
भोजन में गेहूं के आटे की रोटी की जगह जौ-चने के आटे की रोटी का सेवन शुरू कर दें। इसका अनुपात है 10 किलो चना व 2 किलो जौ। इन्हें मिलाकर पिसवा लें। और इसी आटे की रोटी खाएं। इससे आप अतिरिक्त कॉर्बोहाइड्रेट लेने से बचेंगे और शरीर में अतिरिक्त कैलोरी भी जमा नहीं होंगी।

पानी में सौंफ
आधा चम्मच सौंफ लेकर एक कप खौलते पानी में डाल दी जाए और 10 मिनट तक इसे ढककर रखा जाए और बाद में ठंडा होने पर पी लिया जाए। नियमित रुप से इसे लेने पर पेट जल्द कम होगा।

नारियल पानी
नारियल पानी इसमें अन्य फलों के मुकाबले ज्यादा इलेक्ट्रोलाइट्स पाया जाता है। न तो इसमें अतिरिक्त शुगर की मात्रा होती है और न ही कोई कृत्रिम फ्लेवर पाया जाता है। इसमें बिल्कुल भी कैलोरी नहीं होती, जिससे मोटापा नहीं बढ़ता। इसके अलावा यह शरीर को तुरंत स्फूर्ति देता है।

बॉल एक्सरसाइज
बॉल एक्सररसाइज करें जमीन पर पीठ के बल पर सीधा लेट जाए। अब हाथों पर एक्सरसाइज वाली बडी़ बॉल को हाथों में ले कर अपने दोनों पैरों को ऊपर उठाएं। अब अपने हाथों की बॉल को अपने पैरों में पकड़ाएं और फिर पैरों को नीचे ले जा कर दुबारा बॉल ले कर ऊपर आएं। फिर पैरों से जो बॉल उठाई गई है उसे दुबारा हाथों में पकाड़ाएं। इस क्रिया को लगातार 12 बार करें।

पानी में शहद
शहद एक काम्पलेक्स शर्करा की तरह है, जो मोटापा कम करने में काफी हद तक मदद करता है। गर्म पानी में एक चम्मच शहद प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीने से कुछ ही समय में परिणाम दिखने लगते हैं, आप चाहें तो इसमें इस मिश्रण में एक चम्मच नींबू रस भी डाल सकते हैं।

पुदीने की चटनी
पुदीना की ताजी हरी पत्तियों की चटनी बनाई जाए और चपाती के साथ सेवन किया जाए, असरकारक होती है।

खाने के बीच में पानी न पियें
खाना खाते समय ध्यान रखें कि बीच में कभी भी पानी न पीएं साथ ही खाना खाने के बाद भी पानी पीने से बचें। खाने के कम से कम 10-15 मिनट बाद गुनगुना पानी पियें। कुछ दिनों तक लगातार इस उपाय को अपनाएं और असर देखें।

लेमन टी या ग्रीन टी लें
दोपहर और रात के बीच में भूख लगने पर तले स्नैक्स खाने के बजाय ग्रीन या ब्लैक टी पीएं। इसमें थायनाइन नामक अमीनो एसिड होता है, जो मस्तिष्क में रिलैक्सग केमिकल्स का स्त्राव करता है और आपकी भूख पर कंट्रोल करता है।

जॉगिंग व मॉर्निंग वॉक
पेट कम करने के लिए सुबह-सुबह जॉगिंग या वॉक करना अच्छा माना जाता है। अगर आपको जॉगिंग में समस्या आ रही है तो तेज चाल से वॉक कर सकते हैं। नियमित रुप से मॉर्निंग वॉक आपको बढ़ते पेट से जल्द निजात दिला सकता है।

6 चीजें जो घटाती हैं कोलेस्ट्राल

6 चीजें जो घटाती हैं कोलेस्ट्राल

कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ने की समस्‍या हृदय रोग सहित कई गंभीर बीमारियों को जन्‍म देती है। पर खानपान की स्‍वस्‍थ आदतों को अपनाकर इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ने की समस्‍या के बारे में करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर कोलेस्‍ट्रॉल है क्‍या।

क्‍या है कोलेस्‍ट्रॉल
कोलेस्‍ट्रॉल एक तरह का वसायुक्‍त तत्‍व है, जिसका उत्‍पादन लिवर करता है। यह कोशिकाओं की दवीारों, नर्वस सिस्‍टम के सुरक्षा कवच और हार्मोंस के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। यह प्रोटीन के साथ मिलकर लिपोप्रोटीन बनाता है, जो फैट को खून में घुलने से रोकता है। हमारे शरीर में दो तरह के कोलेस्‍ट्रॉल होते हैं- एचडीएल (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन, अच्‍छा प्रोटीन) और एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन, बैड कोलेस्‍ट्रॉल) एचडीएल यानी अच्‍छा कोलेस्‍ट्रॉल काफी हल्‍का होता है और रक्‍तवाहिनियों में जमे फैट को अपने साथ बहाकर ले जाता है।

बुरा कोलेस्‍ट्रॉल यानी एलडीएल ज्‍यादा चिपचिपा और गाढ़ा होता है। अगर इसकी मात्रा अधिक हो तो यह रक्‍तवाहिनियों और धमनियों की दीवारों पर जम जाता है, जिससे खून के बहाव में रुकावट आती है। इसके बढ़ने से हार्ट अटैक, हाई ब्‍लडप्रेशर और मोटापे जैसी समस्‍यायें हो सकती हैं। कोलेस्‍ट्रॉल की जांच के लिए लिपिड प्रोफाइल नामक रक्‍त जांच की जाती है। किसी स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति के शरीर में कुल कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा 200 मिग्रा/डीएल से कम, एचडीएल 60 मिग्रा/डीएल से अधिक और एलडीएल 100 म्रिग्री/डीएल से कम होना चाहिए। अगर सचेत तरीके से खानपान में कुछ चीजों को शामिल किया जाए तो बढ़ते कोलेस्‍ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है ।

1ड्राई फ्रूट्स-
बादाम, अखरोट और पिस्‍ते में पाया जाने वाला फाइबर, ओमगा-3 फैटी एसिड और अन्‍य विटामिन बुरे कोलेस्‍ट्रॉल को घटाने और अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इनमें मौजूद फाइबर देर तक पेट भरे होने का अहसास कराता है। इससे व्‍यक्ति नुकसानदेह फैटयुक्‍त स्‍नैक्‍स के सेवन से बचा रहता है।
कितना खायें
प्रतिदिन पांच से दस दाने
ध्‍यान रखें
घी-तेल में भुने और नमकीन मेवों का सेवन न करें। इससे हाई ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या हो सकती है। बादाम-अखरोट को पानी में भिगोकर और पिस्‍ते को वैसे ही छीलकर खाना अधिक फायदेमंद होता है। पानी में भिगोने से बादाम-अखरोट में मौजूद फैट कम हो जाता है और इसमें विटामिन-ई की मात्रा बढ़ जाती है। अगर अखरोट से एलर्जी हो, तो इसके सेवन से बचें। शारीरिक श्रम न करने वाले लोग अधिक मात्रा में बादाम न खाएं। इससे मोटापा बढ़ सकता है।

2लहसुन-
लहसुन में कई ऐसे एंजाइम पाए जाते हैं जो एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा कराये गए शोध के अनुसार लहसुन के नियमित सेवन से एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर 9 से 15 फीसदी तक बढ़ सकता है। इसके अलावा यह हाई ब्‍लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है।
कितना खायें
प्रतिदिन लहसुन की दो कलियां छीलकर खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
ध्‍यान रखें
अगर लहसुन के गुण्‍कारी तत्‍वों का फायदा लेना हो तो बाजार में‍ मिलने वाले गार्लिक सप्‍लीमेंट के बजाय सुबह खाली पेट कच्‍चा लहसुन खाना अधिक फायदेमंद होता है। कुछ लोगों को इससे एलर्जी होती है। अगर ऐसी समस्‍या है, तो लहसुन न खायें

3ओट्स-
ओट्स में मौजूद बीटा ग्‍लूकोन नाम गाढ़ा चिपचिपा तत्‍व हमारी आंखों की सफाई करते हुए कब्‍ज की समस्‍या को दूर करता है। इसकी वजह से शरीर में बुरे कोलेस्‍ट्रॉल का अवशोषण नहीं हो पाता। वैज्ञानिकों द्वारा किये गए अध्‍ययनों से यह साबित हो चुका है कि अगर तीन महीनों तक लगातार ओट्स का सेवन किया जाए, तो इससे कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर में पांच फीसदी तक की कमी लायी जा सकती है।

कितना खायें
एक स्‍वस्‍थ व्‍‍यक्ति को प्रतिदिन लगभग तीन ग्राम बीटा ग्‍लूकोन की जरूरत होती है। अगर रोजाना एक कटोरी ओट्स या दो ओट्स स्‍लाइस का सेवन किया जाए तो हमारे शरीर को पर्याप्‍त मात्रा में बीटा ग्‍लूकोन मिल जाता है।

4सोयाबीन और दालें-
सोयाबीन, दालें और अंकुरित अनाज खून में से एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल को बाहर निकालने में मदद करते हैं। ये चीजें अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल को बढ़ाने में भी सहायक होती हैं।

कितना खायें
एक स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति को प्रतिदिन 18 ग्राम फाइबर की जरूरत होती है। इसके लिए एक कटोरी दाल और एक कटोरी रेशेदार सब्जियों (बींस, भिंडी और पालक) के साथ वैकल्पिक रूप से स्‍प्राउट्स का सेवन पर्याप्‍त होता है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रतिदिन सोयाबीन से बनी दो चीजों का सेवन जरूर करना चाहिए। इससे बैड कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर में पांच फीसदी तक की कमी की जा सकती है। इसके लिए एक कटोरी उबला हुआ सोयाबीन, सोया मिल्‍क, दही और टोफू का सेवन किया जा सकता है।

ध्‍यान रखें
यूरिक एसिड की समस्‍या से ग्रस्‍त लोगों के लिए दालें और सोयाबीन में मौजूद प्रोटीन नुकसानदेह होता है। अगर आपको ऐसी समस्‍या हो इन चीजों का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।

5नींबू-
नींबू सहित सभी खट्टे फलों में कुछ ऐसे घुलनशील फाइबर होते हैं, जो खाने की थैली में बैड कोलेस्‍ट्रॉल को रक्‍त प्रवाह में जाने से रोक देते हैं। ऐसे फलों में मौजूद विटामिन सी रक्‍तवाहिका नलियों की सफाई करता है। इस तरह बैड कोलेस्‍ट्रॉल पाचन तंत्र के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है। खट्टे फलों में ऐसे एंजाइम्‍स पाए जाते हैं, जो मेटाबॉलिज्‍म की प्रक्रिया को तेज करके कोलेस्‍ट्रॉल घटाने में सहायक होते हैं।

कितना खायें
गुनगुने पानी के साथ सुबह खाली पेट एक नींबू के रस का सेवन करें।

ध्‍यान रखें
चकोतरा बुरे कोलेस्‍ट्रॉल को घटाने में बहुत मददगार होता है। इसलिए कुछ लोग आसानी से इसे अपनी डायट में शामिल करते हैं, लेकिन आप अगर कुछ दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो इसे अपने आहार में शामिल करने से पहले डॉक्‍टर से सलाह जरूर लें क्‍योंकि कुछ दवाओं के साथ इनका बहुत तेजी से केमिकल रिएक्‍शन होता है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक जैसी समस्‍या हो सकती है।

6ऑलिव ऑयल-
इसमें मौजूद मोनो अनसैचुरेटेड फैट कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर को स्थिर रखने में सहायक होता है। यह ऑर्टरी की दीवारों को मजबूत बनाता है। इससे हृदय रोग की आशंका कम हो जाती है। यह हाई ब्‍लड प्रेशर और शुगर लेवल को भी नियंत्रित करता है। रिसर्च से यह प्रमाणित हो चुका है कि अगर छह सप्‍ताह तक लगातार ऑलिव ऑयल का सेवन किया जाए तो इससे कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर में आठ फीसदी तक की कमी आ सकती है।

ध्‍यान रखें
कुकिंग के लिए वर्जिन ऑलिव ऑयल और सैलेड ड्रेसिंग के लिए एक्‍सट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल का इस्‍तेमाल करना चाहिए। कुछ लोगों को इससे एलर्जी भी होती है, अगर ऐसी समस्‍या हो तो इसके बजाए फ्लैक्‍स सीड (अलसी) या राइस ब्रैन ऑयल का सेवन किया जा सकता है। ऑलि ऑयल हाई ब्‍लडप्रेशर और शुगर को नियंत्रित रखता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा दोनों चीजों का लेवल बहुत कम कर देती है।

गठिया होने का कारण, लक्षण और इलाज

गठिया होने का कारण, लक्षण और इलाज

क्‍या है गठिया? जब हड्डियों के जोडो़ में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो वह गठिया का रूप ले लेता है। यूरिक एसिड कई तरह के आहारों को खाने से बनता है। रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया कहते हैं। यह कई तरह का होती है, जैसे-एक्यूट, आस्टियो, रूमेटाइट, गाउट आदि।

क्‍या है गठिया?
जब हड्डियों के जोडो़ में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो वह गठिया का रूप ले लेता है। यूरिक एसिड कई तरह के आहारों को खाने से बनता है। रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है।

गठिया के लक्षण
गठिया के किसी भी रूप में जोड़ों में सूजन दिखाई देने लगती है। इस सूजन के चलते जोड़ों में दर्द, जकड़न और फुलाव होने लगता है। रोग के बढ़ जाने पर तो चलने-फिरने या हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती है।

किसको होता है आर्थराइटिस गठिया
महिलाओं से ज्‍यादा पुरुषों को होता है। यह पुरुषों को 75 की उम्र के बाद होता है। महिलाओं में यह मेनोपॉज के बाद होता है।

आर्थराइटिस के जोखिम कारक
महिलाओं में एस्ट्रोजन की कमी के कारण, शरीर में आयरन व कैल्सियम की अधिकता, पोषण की कमी, मोटापा, ज्‍यादा शराब पीना, हाई ब्‍लड प्रेशर और किडनियों को ठीक प्रकार से काम ना करने की वजह से गठिया होता है।

किस तरह से दिखता है गठिया?
पैरों के अंगूठों में सूजन पैरों में गठिया का असर सबसे पहले देखने को मिलता है। अंगूठे बुरी तरह से सूज जाते हैं और तब तक ठीक नहीं होते जब तक की उनका इलाज ना करवाया जाए।

उंगलियों का होता है यह हाल
उंगलियों के जोड़ में यूरिक एसिड के क्रिस्‍टल जमा हो जाते हैं। इससे उंगलियों के जोडो़ में बहुत दर्द होता है जिसके लिये डॉक्‍टर का उपचार लेना पड़ता है।

दर्द से भरी कुहनियां
गठिया रोग कुहनियां तथा घुटनों में हो सकता है। इसमें कुहनियां बहुत ही तकलीफ देह हो जाती हैं और सूजन से भर उठती हैं।

कैसा हो आहार
संतुलित और सुपाच्य आहार लें। चोकर युक्त आटे की रोटी तथा छिलके वाली मूंग की दाल खाएं। हरी सब्जियों में सहिजन, ककड़ी, लौकी, तोरई, पत्ता गोभी, गाजर, आदि का सेवन करें। दूध और उससे बने पदार्थों का सेवन करें।

दवाइयों से ठीक करें
गठिया अगर दर्द ज्‍यादा बढ़ गया हो तो डॉक्‍टर को दिखा कर दवाइयां खाएं। यह सूजन और दर्द को कम करती हैं तथा खून में यूरिक एसिड की मात्रा को कम करके जोडो़ में इसे जमा होने से बचाती हैं।