Tuesday, February 18, 2014

बच्चो के पेट में कीड़े, मुंहासे नुसखे

नुसखे
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बच्चो के पेट में कीड़े
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* कृमि की अवस्था में खाली पेट अनन्नास सेवन करना चाहिए क्योंकि यह कृमि नाशक है। पेट में कृमि होने पर अनन्नास सेवन करने से सप्ताह भर में ही कृमि दूर हो जाते हैं। इस दृष्टि से यह बच्चों के लिए भी विशेष उपयोगी है।
* यदि बच्चों के पेट में कीड़े पड़ गए हों तो प्याज का रस पिलाने से कीड़े मर कर निकल जायेंगे।

मुंहासे
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* एक छोटा चम्मच दही तथा एक बड़ा चम्मच मूली का रस मिलाकर लोशन बनाकर रुई से चेहरे पर लगाने से कील, मुँहासे एवं झुर्रियां सदा के लिए मिट जाते हैं।
* सेब, संतरा, केला तथा अमरूद आदि को पीसकर फल मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण में दही और पीसी हुई हल्दी ऊपर से डालकर मिला लें। इसके बाद उसमें तुलसी का एक चम्मच रस और शहद की चार बूंद डालकर इससे बनाये गये लेप से सुबह-शाम चार सप्ताह तक चेहरे पर लगाया करें। इससे झुरियां और मुहांसे जड़ से नष्ट हो जाते हैं।

चोट लगना, खून बहना
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* लोहे से लगने वाली चाटों पर फिटकरी घिसकर लगा दें या फूली फिटकरी बुरक दें। इससे खून तो रुकेगा ही साथ ही सैप्टिक होने के डर से टिटेनस का इन्जैक्शन लगवाने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है।
* 125 ग्राम दही और 250 ग्राम पानी में एक ग्राम फिटकरी पीसकर मिला दें और उसका लस्सी बनाकर घायल को पिला दें। इससे शरीर के किसी भी हिस्से से खून बह रहा हो तो बन्द हो जाता है।

शहद चाटने के फायदे

आलस आ रहा है? शहद चाटिये

शहद का टेस्ट काफी लाजवाब होता है। इसमें बहुत सारा कार्बोहाड्रेट होता है जो कि चाटने पर शरीर को तुरंह ही एनर्जी देता है। तो अगर आपको ऐसा लगता है कि आप सुबह बहुत सुस्त सा फील कर रहे हैं और आपका मन ऑफिस जाने का नहीं कर रहा है तो शहद का सेवन करें। इसी कारण से चाइना में रहने वाले लोग रोज सुबह दूध, ब्रेड या गरम पानी में शहद घोल मिला कर पीते और खाते हैं। चाइनीज लोगों को शहद इसलिये नहीं पसंद है क्योंकि यह टेस्टी होता है बल्कि वे इसे इसलिये पसंद करते हैं क्योंकि इसमें बहुत सारा पौष्टिक गुण होता है, जिससे दर्द से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा चाइना कि अधिकतर दवाओं में भी शहद मिला होता है। पढिये और जानिये कि आपको अपनी डाइट में शहद क्यों खाना चाहिये।

शहद चाटने के फायदे

1. बूढे़ लोग जिनका पाचन तंत्र कमजोर हो चुका है, उनके लिये शहद बहुत फायदेमंद होता है।

2. हर सुबह शहद चाटने से कब्ज की समस्या समाप्त होती है और पेट साफ रहता है।

3. शराब पीने के बाद हैंगओवर उतारने के लिये पानी में शहद मिला कर पीने से लीवर भी सही रहता है और हैंगओवर भी उतर जाता है।

4. अगर त्वचा जल गई हो तो वहां पर शहद लगा लें, दर्द से तुरंत छुटकारा मिलेगा। इससे इंफेक्शन भी नहीं होगा और यह जलन तुरंत सही हो जाएगी।

5. अच्छी नींद लाने के लिये रात में एक चम्मच शहद चाटें।

6. सुबह और रात को एक कप में शहद और पानी पीने से हाई ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है।

7. खाना खाने के आधे घंटे पहले शहद खाने से गैस्ट्रिक की समस्या नहीं होती। सावधानी हांलाकि शहद स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है लेकिन यह मधुमेह रोगियों और 1 साल से छोटे शिशु के लिये अच्छा नहीं है।

दो हफ्ते में कम करें पेट

दो हफ्ते में कम करें पेट

पेट कम करने के लिए खाना छोड़ने या कम खाना खाने की बजाय स्वस्थ व पौष्टिक आहार का सेवन करें। नियमित व्यायाम संतुलित आहार पेट की चर्बी कम करने में मददगार साबित हो सकता है।

पेटी की चर्बी से हर दूसरा व्यक्ति परेशान नजर आता है। यह समस्या काफी आम हो चुकी है। इसके लिए अपनी एक नियमित दिनचर्या बनाएं और गंभीरता से इसका अनुसरण करें। आइए जानें कुछ ऐसे उपाय जिन्हें अपनाकर महज दो सप्ताह में ही बढ़े हुए पेट को कम किया जा सकता है।

जौ-चने की रोटी
भोजन में गेहूं के आटे की रोटी की जगह जौ-चने के आटे की रोटी का सेवन शुरू कर दें। इसका अनुपात है 10 किलो चना व 2 किलो जौ। इन्हें मिलाकर पिसवा लें। और इसी आटे की रोटी खाएं। इससे आप अतिरिक्त कॉर्बोहाइड्रेट लेने से बचेंगे और शरीर में अतिरिक्त कैलोरी भी जमा नहीं होंगी।

पानी में सौंफ
आधा चम्मच सौंफ लेकर एक कप खौलते पानी में डाल दी जाए और 10 मिनट तक इसे ढककर रखा जाए और बाद में ठंडा होने पर पी लिया जाए। नियमित रुप से इसे लेने पर पेट जल्द कम होगा।

नारियल पानी
नारियल पानी इसमें अन्य फलों के मुकाबले ज्यादा इलेक्ट्रोलाइट्स पाया जाता है। न तो इसमें अतिरिक्त शुगर की मात्रा होती है और न ही कोई कृत्रिम फ्लेवर पाया जाता है। इसमें बिल्कुल भी कैलोरी नहीं होती, जिससे मोटापा नहीं बढ़ता। इसके अलावा यह शरीर को तुरंत स्फूर्ति देता है।

बॉल एक्सरसाइज
बॉल एक्सररसाइज करें जमीन पर पीठ के बल पर सीधा लेट जाए। अब हाथों पर एक्सरसाइज वाली बडी़ बॉल को हाथों में ले कर अपने दोनों पैरों को ऊपर उठाएं। अब अपने हाथों की बॉल को अपने पैरों में पकड़ाएं और फिर पैरों को नीचे ले जा कर दुबारा बॉल ले कर ऊपर आएं। फिर पैरों से जो बॉल उठाई गई है उसे दुबारा हाथों में पकाड़ाएं। इस क्रिया को लगातार 12 बार करें।

पानी में शहद
शहद एक काम्पलेक्स शर्करा की तरह है, जो मोटापा कम करने में काफी हद तक मदद करता है। गर्म पानी में एक चम्मच शहद प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीने से कुछ ही समय में परिणाम दिखने लगते हैं, आप चाहें तो इसमें इस मिश्रण में एक चम्मच नींबू रस भी डाल सकते हैं।

पुदीने की चटनी
पुदीना की ताजी हरी पत्तियों की चटनी बनाई जाए और चपाती के साथ सेवन किया जाए, असरकारक होती है।

खाने के बीच में पानी न पियें
खाना खाते समय ध्यान रखें कि बीच में कभी भी पानी न पीएं साथ ही खाना खाने के बाद भी पानी पीने से बचें। खाने के कम से कम 10-15 मिनट बाद गुनगुना पानी पियें। कुछ दिनों तक लगातार इस उपाय को अपनाएं और असर देखें।

लेमन टी या ग्रीन टी लें
दोपहर और रात के बीच में भूख लगने पर तले स्नैक्स खाने के बजाय ग्रीन या ब्लैक टी पीएं। इसमें थायनाइन नामक अमीनो एसिड होता है, जो मस्तिष्क में रिलैक्सग केमिकल्स का स्त्राव करता है और आपकी भूख पर कंट्रोल करता है।

जॉगिंग व मॉर्निंग वॉक
पेट कम करने के लिए सुबह-सुबह जॉगिंग या वॉक करना अच्छा माना जाता है। अगर आपको जॉगिंग में समस्या आ रही है तो तेज चाल से वॉक कर सकते हैं। नियमित रुप से मॉर्निंग वॉक आपको बढ़ते पेट से जल्द निजात दिला सकता है।

6 चीजें जो घटाती हैं कोलेस्ट्राल

6 चीजें जो घटाती हैं कोलेस्ट्राल

कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ने की समस्‍या हृदय रोग सहित कई गंभीर बीमारियों को जन्‍म देती है। पर खानपान की स्‍वस्‍थ आदतों को अपनाकर इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ने की समस्‍या के बारे में करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर कोलेस्‍ट्रॉल है क्‍या।

क्‍या है कोलेस्‍ट्रॉल
कोलेस्‍ट्रॉल एक तरह का वसायुक्‍त तत्‍व है, जिसका उत्‍पादन लिवर करता है। यह कोशिकाओं की दवीारों, नर्वस सिस्‍टम के सुरक्षा कवच और हार्मोंस के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। यह प्रोटीन के साथ मिलकर लिपोप्रोटीन बनाता है, जो फैट को खून में घुलने से रोकता है। हमारे शरीर में दो तरह के कोलेस्‍ट्रॉल होते हैं- एचडीएल (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन, अच्‍छा प्रोटीन) और एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन, बैड कोलेस्‍ट्रॉल) एचडीएल यानी अच्‍छा कोलेस्‍ट्रॉल काफी हल्‍का होता है और रक्‍तवाहिनियों में जमे फैट को अपने साथ बहाकर ले जाता है।

बुरा कोलेस्‍ट्रॉल यानी एलडीएल ज्‍यादा चिपचिपा और गाढ़ा होता है। अगर इसकी मात्रा अधिक हो तो यह रक्‍तवाहिनियों और धमनियों की दीवारों पर जम जाता है, जिससे खून के बहाव में रुकावट आती है। इसके बढ़ने से हार्ट अटैक, हाई ब्‍लडप्रेशर और मोटापे जैसी समस्‍यायें हो सकती हैं। कोलेस्‍ट्रॉल की जांच के लिए लिपिड प्रोफाइल नामक रक्‍त जांच की जाती है। किसी स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति के शरीर में कुल कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा 200 मिग्रा/डीएल से कम, एचडीएल 60 मिग्रा/डीएल से अधिक और एलडीएल 100 म्रिग्री/डीएल से कम होना चाहिए। अगर सचेत तरीके से खानपान में कुछ चीजों को शामिल किया जाए तो बढ़ते कोलेस्‍ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है ।

1ड्राई फ्रूट्स-
बादाम, अखरोट और पिस्‍ते में पाया जाने वाला फाइबर, ओमगा-3 फैटी एसिड और अन्‍य विटामिन बुरे कोलेस्‍ट्रॉल को घटाने और अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इनमें मौजूद फाइबर देर तक पेट भरे होने का अहसास कराता है। इससे व्‍यक्ति नुकसानदेह फैटयुक्‍त स्‍नैक्‍स के सेवन से बचा रहता है।
कितना खायें
प्रतिदिन पांच से दस दाने
ध्‍यान रखें
घी-तेल में भुने और नमकीन मेवों का सेवन न करें। इससे हाई ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या हो सकती है। बादाम-अखरोट को पानी में भिगोकर और पिस्‍ते को वैसे ही छीलकर खाना अधिक फायदेमंद होता है। पानी में भिगोने से बादाम-अखरोट में मौजूद फैट कम हो जाता है और इसमें विटामिन-ई की मात्रा बढ़ जाती है। अगर अखरोट से एलर्जी हो, तो इसके सेवन से बचें। शारीरिक श्रम न करने वाले लोग अधिक मात्रा में बादाम न खाएं। इससे मोटापा बढ़ सकता है।

2लहसुन-
लहसुन में कई ऐसे एंजाइम पाए जाते हैं जो एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा कराये गए शोध के अनुसार लहसुन के नियमित सेवन से एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर 9 से 15 फीसदी तक बढ़ सकता है। इसके अलावा यह हाई ब्‍लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है।
कितना खायें
प्रतिदिन लहसुन की दो कलियां छीलकर खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
ध्‍यान रखें
अगर लहसुन के गुण्‍कारी तत्‍वों का फायदा लेना हो तो बाजार में‍ मिलने वाले गार्लिक सप्‍लीमेंट के बजाय सुबह खाली पेट कच्‍चा लहसुन खाना अधिक फायदेमंद होता है। कुछ लोगों को इससे एलर्जी होती है। अगर ऐसी समस्‍या है, तो लहसुन न खायें

3ओट्स-
ओट्स में मौजूद बीटा ग्‍लूकोन नाम गाढ़ा चिपचिपा तत्‍व हमारी आंखों की सफाई करते हुए कब्‍ज की समस्‍या को दूर करता है। इसकी वजह से शरीर में बुरे कोलेस्‍ट्रॉल का अवशोषण नहीं हो पाता। वैज्ञानिकों द्वारा किये गए अध्‍ययनों से यह साबित हो चुका है कि अगर तीन महीनों तक लगातार ओट्स का सेवन किया जाए, तो इससे कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर में पांच फीसदी तक की कमी लायी जा सकती है।

कितना खायें
एक स्‍वस्‍थ व्‍‍यक्ति को प्रतिदिन लगभग तीन ग्राम बीटा ग्‍लूकोन की जरूरत होती है। अगर रोजाना एक कटोरी ओट्स या दो ओट्स स्‍लाइस का सेवन किया जाए तो हमारे शरीर को पर्याप्‍त मात्रा में बीटा ग्‍लूकोन मिल जाता है।

4सोयाबीन और दालें-
सोयाबीन, दालें और अंकुरित अनाज खून में से एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल को बाहर निकालने में मदद करते हैं। ये चीजें अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल को बढ़ाने में भी सहायक होती हैं।

कितना खायें
एक स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति को प्रतिदिन 18 ग्राम फाइबर की जरूरत होती है। इसके लिए एक कटोरी दाल और एक कटोरी रेशेदार सब्जियों (बींस, भिंडी और पालक) के साथ वैकल्पिक रूप से स्‍प्राउट्स का सेवन पर्याप्‍त होता है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रतिदिन सोयाबीन से बनी दो चीजों का सेवन जरूर करना चाहिए। इससे बैड कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर में पांच फीसदी तक की कमी की जा सकती है। इसके लिए एक कटोरी उबला हुआ सोयाबीन, सोया मिल्‍क, दही और टोफू का सेवन किया जा सकता है।

ध्‍यान रखें
यूरिक एसिड की समस्‍या से ग्रस्‍त लोगों के लिए दालें और सोयाबीन में मौजूद प्रोटीन नुकसानदेह होता है। अगर आपको ऐसी समस्‍या हो इन चीजों का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।

5नींबू-
नींबू सहित सभी खट्टे फलों में कुछ ऐसे घुलनशील फाइबर होते हैं, जो खाने की थैली में बैड कोलेस्‍ट्रॉल को रक्‍त प्रवाह में जाने से रोक देते हैं। ऐसे फलों में मौजूद विटामिन सी रक्‍तवाहिका नलियों की सफाई करता है। इस तरह बैड कोलेस्‍ट्रॉल पाचन तंत्र के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है। खट्टे फलों में ऐसे एंजाइम्‍स पाए जाते हैं, जो मेटाबॉलिज्‍म की प्रक्रिया को तेज करके कोलेस्‍ट्रॉल घटाने में सहायक होते हैं।

कितना खायें
गुनगुने पानी के साथ सुबह खाली पेट एक नींबू के रस का सेवन करें।

ध्‍यान रखें
चकोतरा बुरे कोलेस्‍ट्रॉल को घटाने में बहुत मददगार होता है। इसलिए कुछ लोग आसानी से इसे अपनी डायट में शामिल करते हैं, लेकिन आप अगर कुछ दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो इसे अपने आहार में शामिल करने से पहले डॉक्‍टर से सलाह जरूर लें क्‍योंकि कुछ दवाओं के साथ इनका बहुत तेजी से केमिकल रिएक्‍शन होता है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक जैसी समस्‍या हो सकती है।

6ऑलिव ऑयल-
इसमें मौजूद मोनो अनसैचुरेटेड फैट कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर को स्थिर रखने में सहायक होता है। यह ऑर्टरी की दीवारों को मजबूत बनाता है। इससे हृदय रोग की आशंका कम हो जाती है। यह हाई ब्‍लड प्रेशर और शुगर लेवल को भी नियंत्रित करता है। रिसर्च से यह प्रमाणित हो चुका है कि अगर छह सप्‍ताह तक लगातार ऑलिव ऑयल का सेवन किया जाए तो इससे कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर में आठ फीसदी तक की कमी आ सकती है।

ध्‍यान रखें
कुकिंग के लिए वर्जिन ऑलिव ऑयल और सैलेड ड्रेसिंग के लिए एक्‍सट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल का इस्‍तेमाल करना चाहिए। कुछ लोगों को इससे एलर्जी भी होती है, अगर ऐसी समस्‍या हो तो इसके बजाए फ्लैक्‍स सीड (अलसी) या राइस ब्रैन ऑयल का सेवन किया जा सकता है। ऑलि ऑयल हाई ब्‍लडप्रेशर और शुगर को नियंत्रित रखता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा दोनों चीजों का लेवल बहुत कम कर देती है।

गठिया होने का कारण, लक्षण और इलाज

गठिया होने का कारण, लक्षण और इलाज

क्‍या है गठिया? जब हड्डियों के जोडो़ में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो वह गठिया का रूप ले लेता है। यूरिक एसिड कई तरह के आहारों को खाने से बनता है। रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया कहते हैं। यह कई तरह का होती है, जैसे-एक्यूट, आस्टियो, रूमेटाइट, गाउट आदि।

क्‍या है गठिया?
जब हड्डियों के जोडो़ में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो वह गठिया का रूप ले लेता है। यूरिक एसिड कई तरह के आहारों को खाने से बनता है। रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है।

गठिया के लक्षण
गठिया के किसी भी रूप में जोड़ों में सूजन दिखाई देने लगती है। इस सूजन के चलते जोड़ों में दर्द, जकड़न और फुलाव होने लगता है। रोग के बढ़ जाने पर तो चलने-फिरने या हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती है।

किसको होता है आर्थराइटिस गठिया
महिलाओं से ज्‍यादा पुरुषों को होता है। यह पुरुषों को 75 की उम्र के बाद होता है। महिलाओं में यह मेनोपॉज के बाद होता है।

आर्थराइटिस के जोखिम कारक
महिलाओं में एस्ट्रोजन की कमी के कारण, शरीर में आयरन व कैल्सियम की अधिकता, पोषण की कमी, मोटापा, ज्‍यादा शराब पीना, हाई ब्‍लड प्रेशर और किडनियों को ठीक प्रकार से काम ना करने की वजह से गठिया होता है।

किस तरह से दिखता है गठिया?
पैरों के अंगूठों में सूजन पैरों में गठिया का असर सबसे पहले देखने को मिलता है। अंगूठे बुरी तरह से सूज जाते हैं और तब तक ठीक नहीं होते जब तक की उनका इलाज ना करवाया जाए।

उंगलियों का होता है यह हाल
उंगलियों के जोड़ में यूरिक एसिड के क्रिस्‍टल जमा हो जाते हैं। इससे उंगलियों के जोडो़ में बहुत दर्द होता है जिसके लिये डॉक्‍टर का उपचार लेना पड़ता है।

दर्द से भरी कुहनियां
गठिया रोग कुहनियां तथा घुटनों में हो सकता है। इसमें कुहनियां बहुत ही तकलीफ देह हो जाती हैं और सूजन से भर उठती हैं।

कैसा हो आहार
संतुलित और सुपाच्य आहार लें। चोकर युक्त आटे की रोटी तथा छिलके वाली मूंग की दाल खाएं। हरी सब्जियों में सहिजन, ककड़ी, लौकी, तोरई, पत्ता गोभी, गाजर, आदि का सेवन करें। दूध और उससे बने पदार्थों का सेवन करें।

दवाइयों से ठीक करें
गठिया अगर दर्द ज्‍यादा बढ़ गया हो तो डॉक्‍टर को दिखा कर दवाइयां खाएं। यह सूजन और दर्द को कम करती हैं तथा खून में यूरिक एसिड की मात्रा को कम करके जोडो़ में इसे जमा होने से बचाती हैं।

घरेलू नुस्खों से दूर करें दर्द

घरेलू नुस्खों से दूर करें दर्द

जिस तरह का जीवन हम जी रहे हैं, उसमें सिरदर्द होना एक आम बात है। लेकिन यह दर्द हमारी दिनचर्या में शामिल हो जाए तो हमारे लिए बहुत कष्टदायी हो जाता है। दर्द से छुटकारा पाने के लिए हम पेन किलर घरेलू उपाय अपनाकर इसे दूर कर सकते हैं। इन घरेलू उपायों के कोई साईड इफेक्ट भी नहीं होते।

1. अदरक: अदरक एक दर्द निवारक दवा के रूप में भी काम करती है। यदि सिरदर्द हो रहा हो तो सूखी अदरक को पानी के साथ पीसकर उसका पेस्ट बना लें और इसे अपने माथे पर लगाएं। इसे लगाने पर हल्की जलन जरूर होगी लेकीन यह सिरदर्द दूर करने में मददगार होती है।

2. सोडा: पेट में दर्द होने पर कप पानी में एक चुटकी खाने वाला सोडा डालकर पीने से पेट दर्द में राहत मिलती है। सि्त्रयो के मासिक धर्म के समय पेट के नीचे होने वाले दर्द को दूर करने मे खाने वाला सोडा पानी में मिलाकर पीने से दर्द दूर होता है। एसिडिटी होने पर एक चुटकी सोडा, आधा चम्मच भुना और पिसा हुआ जीरा, 8 बूंदे नींबू का रस और स्वादानुसार नमक पानी में मिलाकर पीने से एसिडिटी में राहत मिलती है।

3. अजवायन: सिरदर्द होने पर एक चम्मच अजवायन को भूनकर साफ सूती कपडे में बांधकर नाक के पास लगाकर गहरी सांस लेने से सिरदर्द में राहत मिलती है। ये प्रक्रिया तब तक दोहराएं जब तक आपका सिरदर्द ठीक नहीं हो जाता। पेट दर्द को दूर करने में भी अजवायन सहायक होती है। पेट दर्द होने पर आधा चम्मच अजवायन को पानी के साथ फांखने से पेट दर्द में राहत मिलती है।

4. बर्फ : सिरदर्द में बर्फ की सिंकाई करना बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा स्पॉन्डिलाइटिस में भी बर्फ की सिंकाई लाभदायक होती है। गर्दन में दर्द होने पर भी बर्फ की सिंकाई लाभदायक होती है।

5. हल्दी: हल्दी कीटाणुनाशक होती है। इसमें एंटीसेप्टिक, एंटीबायोटिक और दर्द निवारक तत्व पाए गए हैं। ये तत्व चोट के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। घाव पर हल्दी का लेप लगाने से वह ठीक हो जाता है। चोट लगने पर दूध में हल्दी डालकर पीने से दर्द में राहत मिलती है। एक चम्मच हल्दी में आधा चम्मच काला गर्म पानी के साथ फांखने से पेट दर्द व गैस में राहत मिलती है।

6. तुलसी के पत्ते: तुलसी में बहुत सारे औषधीय तत्व पाए जाते हैं। तुलसी की पत्तियों को पीसकर चंदन पाउडर में मिलाकर पेस्ट बना लें। दर्द होने पर प्रभावित जगह पर उस लेप को लगाने से दर्द में राहत मिलेगी। एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर हल्का गुनगुना करके खाने से गले की खराश और दर्द दूर हो जाता है। खांसी में भी तुलसी का रस काफी फायदेमंद होता है।

7. मेथी: एक चम्मच मेथी दाना में चुटकी भर पिसी हुई हींग मिलाकर पानी के साथ फांखने से पेटदर्द में आराम मिलता है। मेथी डायबिटीज में भी लाभदायक होती है। मेथी के लड्डू खाने से जोडों के दर्द में लाभ मिलता है।

8. हींग: हींग दर्द निवारक और पित्तवर्द्धक होती है। छाती और पेटदर्द में हींग का सेवन लाभकारी होता है। छोटे बच्चों के पेट में दर्द होने पर हींग को पानी में घोलकर पकाने और उसे बच्चो की नाभि के चारो ओर उसका लेप करने से दर्द में राहत मिलती है।

9. सेब: सुबह खाली पेट प्रतिदिन एक सेब खाने से सिरदर्द की समस्या से छुटकारा मिलता है। चिकित्सकों का मानना है कि सेब का नियमित सेवन करने से रोग नहीं घेरते।

10. करेला: करेले का रस पीने से पित्त में लाभ होता है। जोडों के दर्द में करेले का रस लगाने से काफी राहत मिलती है

गरम पानी पीने के फायदे

गरम पानी पीने के फायदे-

सफाई और शुद्धी- यह शरीर को अंदर से साफ करता है। अगर आपका पाचन तंत्र सही नहीं रहता है, तो आपको दिन में दो बार गरम पानी पीना चाहिये। सुबह गरम पानी पीने से शरीर के सारे विशैले तत्‍व बाहर निकल जाते हैं, जिससे पूरा सिस्‍टम साफ हो जाता है। नींबू और शहद डालने से बड़ा फायदा होता है।

कब्‍ज दूर करे- शरीर में पानी की कमी हो जाने की वजह से कब्‍ज की समस्‍या पैदा हो जाती है। रोजाना एक ग्‍लास सुबह गरम पानी पीने से फूड पार्टिकल्‍स टूट जाएंगे और आसानी से मल बन निकल जाएंगे। मोटापा कम करे- सुबह के समय या फिर हर भोजन के बाद एक ग्‍लास गरम पानी में नींबू और शहद मिला कर पीने से चर्बी कम होती है। नींबू मे पेकटिन फाइबर होते हैं जो बार-बार भूख लगने से रोकते हैं।

मासिक धर्म की समस्या

मासिक धर्म की समस्या

10 से 15 साल की आयु की लड़की के अंडाशय हर महीने एक विकसित डिम्ब (अण्डा) उत्पन्न करना शुरू कर देते हैं। वह अण्डा अण्डवाहिका नली (फैलोपियन ट्यूव) के द्वारा नीचे जाता है जो कि अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है, उसका अस्तर रक्त और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अण्डा उर्वरित हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। यदि उस डिम्ब का पुरूष के शुक्राणु से सम्मिलन न हो तो वह स्राव बन जाता है जो कि योनि से निष्कासित हो जाता है। इसी स्राव को मासिक धर्म, रजोधर्म या माहवारी (Menstural Cycle or MC) कहते हैं।

ऑस्ट्रेलिया में हुए शोध के मुताबिक जिन लड़कियों के भाई उनसे उम्र में बड़े होते हैं, उनका मासिक धर्म देर से शुरू होता है। एक और शोध के मुताबिक टीवी देखना और कृत्रिम रोशनी में ज़्यादा वक्त गुजारने से भी मासिक धर्म जल्द शुरू होने की समस्या हो सकती है। एक अन्य थिअरी के मुताबिक मासिक धर्म जल्द होने की वजह मां से कमजोर भावनात्मक रिश्ता भी है। हालांकि, इंग्लैंड के डॉक्टर हाइंडमार्श का मानना है कि इन अवधारणाओं के पीछे ठोस मेडिकल तर्क नहीं है। कम उम्र मंक ही मासिक धर्म शुरू होने की वजह से लड़कियां अपनी हम उम्र लड़कियों की तुलना में काफी लंबी जाती हैं। लेकन जानकारों के मुताबिक जब वे बड़ी होती हैं तो उनका कद अपनी हम उम्र लड़कियों की तुलना में छोटा रहता है

लड़कियों में 12 साल से पहले मासिक धर्म शुरू होने की समस्या को ‘प्रेकोसस प्यूबर्टी’ कहते हैं। हैदराबाद में प्रैक्टिस कर रहे कई डॉक्टरों का मानना है कि पिछले कुछ सालों में प्रेकोसस प्यूबर्टी की समस्या बढ़ी है। इसके चलते इस बीमारी की रोकथाम के लिए लिए इलाज कराने वालों की तादाद भी बढ़ी है।मासिक धर्म की गड़बड़ी स्त्री के लिए किसी मानसिक परेशानी से कम नहीं। इसके अलग-अलग कारणों से अधिकतम स्त्रियां त्रस्त एवं परेशान रहती है।

माहवारी चक्र की सामान्य अवधि क्या है?
माहवारी चक्र महीने में एक बार होता है, सामान्यतः 28 से 32 दिनों में एक बार। हालांकि अधिकतर मासिक धर्म का समय तीन से पांच दिन रहता है परन्तु दो से सात दिन तक की अवधि को सामान्य माना जाता है।

माहवारी सम्बन्धी समस्याएं
ज्यादातर महिलाएं माहवारी (Menstrual cycle) की समस्याओं से परेशान रहती है लेकिन अज्ञानतावश या फिर शर्म या झिझक के कारण लगातार इस समस्या से जूझती रहती है. यहां समस्या बताने से पहले यह भी बता दें कि माहवारी है क्या. दरअसल दस से पन्द्रह साल की लड़की के अण्डाशय हर महीने एक परिपक्व अण्डा या अण्डाणु पैदा करने लगता है। वह अण्डा डिम्बवाही थैली (फेलोपियन ट्यूब) में संचरण करता है जो कि अण्डाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है तो रक्त एवं तरल पदाथॅ से मिलकर उसका अस्तर गाढ़ा होने लगता है। यह तभी होता है जब कि अण्डा उपजाऊ हो, वह बढ़ता है, अस्तर के अन्दर विकसित होकर बच्चा बन जाता है। गाढ़ा अस्तर उतर जाता है और वह माहवारी का रूधिर स्राव बन जाता है, जो कि योनि द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है। जिस दौरान रूधिर स्राव होता रहता है उसे माहवारी अवधि/पीरियड कहते हैं। औरत के प्रजनन अंगों में होने वाले बदलावों के आवर्तन चक्र को माहवारी चक्र कहते हैं। यह हॉरमोन तन्त्र के नियन्त्रण में रहता है एवं प्रजनन के लिए जरूरी है। माहवारी चक्र की गिनती रूधिर स्राव के पहले दिन से की जाती है क्योंकि रजोधर्म प्रारम्भ का हॉरमोन चक्र से घनिष्ट तालमेल रहता है। माहवारी का रूधिर स्राव हर महीने में एक बार 28 से 32 दिनों के अन्तराल पर होता है। परन्तु महिलाओं को यह याद करना चाहिए कि माहवारी चक्र के किसी भी समय गर्भ होने की सम्भावना है।

माहवारी से पहले की स्थिति के क्या लक्षण हैं?
माहवारी होने से पहले (पीएमएस) के लक्षणों का नाता माहवारी चक्र से ही होता है। सामान्यतः ये लक्षण माहवारी शुरू होने के 5 से 11 दिन पहले शुरू हो जाते हैं। माहवारी शुरू हो जाने पर सामान्यतः लक्षण बन्द हो जाते हैं या फिर कुछ समय बाद बन्द हो जाते हैं। इन लक्षणों में सिर दर्द, पैरों में सूजन, पीठ दर्द, पेट में मरोड़, स्तनों का ढीलापन अथवा फूल जाने की अनुभूति होती है।

भारी माहवारी के स्राव के क्या कारण हैं?

भारी माहवारी स्राव के कारणों में शामिल है –
(1) गर्भाषय के अस्तर में कुछ निकल आना।
(2) जिसे अपक्रियात्मक गर्भाषय रक्त स्राव कहा जाता है। जिस की व्याख्या नहीं हो पाई है।
(3) थायराइड ग्रन्थि की समस्याएं
(4) रक्त के थक्के बनने का रोग
(5) अंतरा गर्भाषय उपकरण
(6) दबाव।

सामान्य पांच दिन की अपेक्षा अगर माहवारी रक्त स्राव दो या चार दिन के लिए चले तो चिन्ता का कोई कारण होता है? नहीं, चिन्ता की कोई जरूरत नहीं। समय के साथ पीरियड का स्वरूप बदलता है, एक चक्र से दूसरे चक्र में भी बदल जाता है।

Health Benefits of Fenukgreek (Methi) in Hindi

Health Benefits of Fenukgreek (Methi) in Hindi 

आयुर्वेद के अनुसार मेथी एक बहुगुणी औषधि के रूप में प्रयोग की जा सकती है.भारतीय रसोईघर की यह एक महत्वपूर्ण हरी सब्जी है.प्राचीनकाल से ही इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण इसे सब्जी और औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है.
मेथी की सब्जी तीखी, कडवी और उष्ण प्रकृति की होती है.इसमें प्रोटीन केल्शियम,पोटेशियम, सोडियम,फास्फोरस,करबोहाई ड्रेट , आयरन और विटामिन सी प्रचुर मात्र में होते हैं. ये सब ही शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्व हैं.यह कब्ज, गैस,बदहजमी, उलटी, गठिया, बवासीर, अपच, उच्चरक्तचाप , साईटिका जैसी बीमारियों को दूर करने में सहायक है.यह ह्रदय रोगियों के लिए भी लाभकारी है.मेथी के सूखे पत्ते, जिन्हें कसूरी मेथी भी कहते हैं का प्रयोग कई व्यंजनों को सुगन्धित बनाने में होता है.मेथी के बीज भी एक बहुमूल्य औषधि के सामान हैं.ये भूख को बढ़ाते हैं एवं संक्रामक रोगों से रक्षा करते हैं.इनको खाने से पसीना आता है, जिससे शरीर के विजातीय तत्व बाहर निकलते हैं. इससे सांस एवं शरीर की दुर्गन्ध से भी छुटकारा मिलता है.आधुनिक शोध के अनुसार यह अल्सर में भी लाभकारी है.
मेथी से बने लड्डू एक अच्छा टॉनिक है जो प्रसूति के बाद खिलाये जाते हैं.शरीर की सारी व्याधियों को दूर कर यह शरीर में बच्चे के लिए दूध की मात्र बढाती है.डायबिटीज में मेथी के दानों का पावडर बहुत लाभकारी होता है.इसमें अमीनो एसिड होते है जो कि इन्सुलिन निर्माण में सहायक होता है.ये थकान , कमरदर्द और बदनदर्द में लाभदायक है.इसकी पत्तियों का लेप बालों एवं चहरे के कई विकारों को दूर कर उसे कांतिमय बनाता है.

खाँसी की आयुर्वेदिक चिकित्सा

खाँसी की आयुर्वेदिक चिकित्सा
खाँसी कोई रोग नहीं होता। यह गले में हो रही खराश और उत्तेजना की सहज प्रतिक्रिया होती है। असल में खाँसी गले और सांस की नलियों को खुला रखने के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है, पर हद से ज़्यादा होनेवाली खाँसी किसी नकिसी बीमारी या रोग से जुड़ी होती है। कुछ खाँसी सूखी होती हैं, और कुछ बलगम वाली।
खाँसी तीव्र या पुरानी होती है:
तीव्र खाँसी अचानक शुरू हो जाती हैं, और सर्दी-ज़ुकाम, फ्लू या सायनस के संक्रमण के कारण होती है। यह आम तौर से दो या तीन हफ़्तों में ठीक हो जाती है।
पुरानी या दीर्घकालीन खाँसी दो तीन हफ़्तों से ज़्यादा जारी रहती है।
खाँसी तीव्र या पुरानी होती है:
तीव्र खाँसी अचानक शुरू हो जाती हैं, और सर्दी-ज़ुकाम, फ्लू या सायनस के संक्रमण के कारण होती है। यह आम तौर से दो या तीन हफ़्तों में ठीक हो जाती है।
पुरानी या दीर्घकालीन खाँसी दो तीन हफ़्तों से ज़्यादा जारी रहती है।

खाँसी तीव्र या पुरानी होती है:
तीव्र खाँसी अचानक शुरू हो जाती हैं, और सर्दी-ज़ुकाम, फ्लू या सायनस के संक्रमण के कारण होती है। यह आम तौर से दो या तीन हफ़्तों में ठीक हो जाती है।
पुरानी या दीर्घकालीन खाँसी दो तीन हफ़्तों से ज़्यादा जारी रहती है।
खाँसी के घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार
1 ग्राम हल्दी के पाउडर को एक चम्मच शहद में मिलाकर लेने से भी सूखी खाँसी में लाभ मिलता है।
आधा तोला अनार की सूखी छाल बारीक कूटकर, छानकर उसमे थोडा सा कपूर मिलायें। यह चूर्ण दिन में दो बार पानी के साथ मिलाकर पीने से भयंकर और कष्टदायक खाँसी मिटती है।
सौंफ और मिश्री का चूर्ण मुहं में रखने से रह रह कर होनेवाली गर्मी की खाँसी मिट जाती है।
सूखी खाँसी के उपचार के लिए एक छोटे से अदरक के टुकड़े को छील लें और उसपर थोड़ा सा नमक छिड़क कर उसे चूस लें।
2 ग्राम काली मिर्च और 1-1/2 ग्राम मिश्री का चूर्ण या शितोपलादी चूर्ण 1-1ग्राम दिन में 3 बार शहद के साथ चाटने से खाँसी में लाभ होता है।
नींबू के रस में 2 चम्मच ग्लिसरीन और 2 चम्मच शहद मिलाकर मिश्रण बना लें, और रोजाना इस मिश्रण का 1 चम्मच सेवन करने से खाँसी से काफी रहत मिलेगी।
मेहंदी के पत्तों के काढ़े से गरारे करना लाभदायक सिद्ध होता है।
अदरक की चाय का सेवन करने से भी खाँसी ठीक होने में लाभ मिलता है।
लंबे समय तक इलायची चबाने से भी खाँसी से राहत मिलती है।
लौंग के प्रयोग से भी खाँसी की उत्तेजना से काफी आराम मिलता है।
लौंग का तेल, अदरक और लहसून का मिश्रण बार बार होने वाली ऐसी खांसी से राहत दिलाता है जो कि तपेदिक, अस्थमा और ब्रौन्काइटिस के कारण उत्पन्न होती है। यह मिश्रण हर रात को सोने से पहले लें।
तुलसी के पत्तों का सार, अदरक और शहद मिलाकर एक मिश्रण बना लें, और ऐसी गंभीर खाँसी के उपचार के लिए लें जो कि तपेदिक और ब्रौन्काइटिस जैसी बीमारियों के कारण शुरू हुई है।
सीने में बलगम के जमाव को निष्काषित करने के लिए अंजीर बहुत ही उपयोगी होते हैं, और खाँसी को मिटाने में काफी सहायक सिद्ध होते हैं।
अदरक को पानी में 10-15 मिनट के लिए उबाल लें और उसमें एक दो चम्मच शुद्ध शहद मिलकर दिन में तीन चार बार पीये। ऐसा करने से आपका बलगम बाहर निकलता रहेगा और आपको खांसी में लाभ पहुंचेगा।
खान पान और आहार
ठंडे खान पान के सेवन से बचें क्योंकि इससे आपके गले की उत्तेजना और अधिक उग्र हो सकती है। और किसी भी तरल पदार्थ को पीने से पहले गर्म ज़रूर करें।
खान पान में पुराने चावल का प्रयोग करें।
ऐसे खान पान का सेवन बिलकुल ना करें जिससे शरीर को ठंडक पहुँचे। खीरे, हरे केले, तरबूज, पपीता और संतरों के सेवन को थोड़े दिनों के लिए त्याग दें।

खाँसी तीव्र या पुरानी होती है:तीव्र खाँसी अचानक शुरू हो जाती हैं, और सर्दी-ज़ुकाम, फ्लू या सायनस के संक्रमण के कारण होती है। यह आम तौर से दो या तीन हफ़्तों में ठीक हो जाती है।पुरानी या दीर्घकालीन खाँसी दो तीन हफ़्तों से ज़्यादा जारी रहती है।
खाँसी के घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार375 मिलीग्राम फुलाया हुआ सुहागा शहद के साथ रात्री में लेने से या मुनक्के और मिश्री को मुहं में रखकर चूसने से खाँसी में लाभ मिलता है।1 ग्राम हल्दी के पाउडर को एक चम्मच शहद में मिलाकर लेने से भी सूखी खाँसी में लाभ मिलता है।आधा तोला अनार की सूखी छाल बारीक कूटकर, छानकर उसमे थोडा सा कपूर मिलायें। यह चूर्ण दिन में दो बार पानी के साथ मिलाकर पीने से भयंकर और कष्टदायक खाँसी मिटती है।सौंफ और मिश्री का चूर्ण मुहं में रखने से रह रह कर होनेवाली गर्मी की खाँसी मिट जाती है।सूखी खाँसी के उपचार के लिए एक छोटे से अदरक के टुकड़े को छील लें और उसपर थोड़ा सा नमक छिड़क कर उसे चूस लें।2 ग्राम काली मिर्च और 1-1/2 ग्राम मिश्री का चूर्ण या शितोपलादी चूर्ण 1-1ग्राम दिन में 3 बार शहद के साथ चाटने से खाँसी में लाभ होता है।नींबू के रस में 2 चम्मच ग्लिसरीन और 2 चम्मच शहद मिलाकर मिश्रण बना लें, और रोजाना इस मिश्रण का 1 चम्मच सेवन करने से खाँसी से काफी रहत मिलेगी।मेहंदी के पत्तों के काढ़े से गरारे करना लाभदायक सिद्ध होता है।अदरक की चाय का सेवन करने से भी खाँसी ठीक होने में लाभ मिलता है।लंबे समय तक इलायची चबाने से भी खाँसी से राहत मिलती है।लौंग के प्रयोग से भी खाँसी की उत्तेजना से काफी आराम मिलता है।लौंग का तेल, अदरक और लहसून का मिश्रण बार बार होने वाली ऐसी खांसी से राहत दिलाता है जो कि तपेदिक, अस्थमा और ब्रौन्काइटिस के कारण उत्पन्न होती है। यह मिश्रण हर रात को सोने से पहले लें।तुलसी के पत्तों का सार, अदरक और शहद मिलाकर एक मिश्रण बना लें, और ऐसी गंभीर खाँसी के उपचार के लिए लें जो कि तपेदिक और ब्रौन्काइटिस जैसी बीमारियों के कारण शुरू हुई है।सीने में बलगम के जमाव को निष्काषित करने के लिए अंजीर बहुत ही उपयोगी होते हैं, और खाँसी को मिटाने में काफी सहायक सिद्ध होते हैं। अदरक को पानी में 10-15 मिनट के लिए उबाल लें और उसमें एक दो चम्मच शुद्ध शहद मिलकर दिन में तीन चार बार पीये। ऐसा करने से आपका बलगम बाहर निकलता रहेगा और आपको खांसी में लाभ पहुंचेगा। 
खान पान और आहारठंडे खान पान के सेवन से बचें क्योंकि इससे आपके गले की उत्तेजना और अधिक उग्र हो सकती है। और किसी भी तरल पदार्थ को पीने से पहले गर्म ज़रूर करें।खान पान में पुराने चावल का प्रयोग करें।ऐसे खान पान का सेवन बिलकुल ना करें जिससे शरीर को ठंडक पहुँचे। खीरे, हरे केले, तरबूज, पपीता और संतरों के सेवन को थोड़े दिनों के लिए त्याग दें।
खान पान और आहार
ठंडे खान पान के सेवन से बचें क्योंकि इससे आपके गले की उत्तेजना और अधिक उग्र हो सकती है। और किसी भी तरल पदार्थ को पीने से पहले गर्म ज़रूर करें।
खान पान में पुराने चावल का प्रयोग करें।
ऐसे खान पान का सेवन बिलकुल ना करें जिससे शरीर को ठंडक पहुँचे। खीरे, हरे केले, तरबूज, पपीता और संतरों के सेवन को थोड़े दिनों के लिए त्याग दें।
खाँसी तीव्र या पुरानी होती है:तीव्र खाँसी अचानक शुरू हो जाती हैं, और सर्दी-ज़ुकाम, फ्लू या सायनस के संक्रमण के कारण होती है। यह आम तौर से दो या तीन हफ़्तों में ठीक हो जाती है।पुरानी या दीर्घकालीन खाँसी दो तीन हफ़्तों से ज़्यादा जारी रहती है।
खाँसी के घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार375 मिलीग्राम फुलाया हुआ सुहागा शहद के साथ रात्री में लेने से या मुनक्के और मिश्री को मुहं में रखकर चूसने से खाँसी में लाभ मिलता है।1 ग्राम हल्दी के पाउडर को एक चम्मच शहद में मिलाकर लेने से भी सूखी खाँसी में लाभ मिलता है।आधा तोला अनार की सूखी छाल बारीक कूटकर, छानकर उसमे थोडा सा कपूर मिलायें। यह चूर्ण दिन में दो बार पानी के साथ मिलाकर पीने से भयंकर और कष्टदायक खाँसी मिटती है।सौंफ और मिश्री का चूर्ण मुहं में रखने से रह रह कर होनेवाली गर्मी की खाँसी मिट जाती है।सूखी खाँसी के उपचार के लिए एक छोटे से अदरक के टुकड़े को छील लें और उसपर थोड़ा सा नमक छिड़क कर उसे चूस लें।2 ग्राम काली मिर्च और 1-1/2 ग्राम मिश्री का चूर्ण या शितोपलादी चूर्ण 1-1ग्राम दिन में 3 बार शहद के साथ चाटने से खाँसी में लाभ होता है।नींबू के रस में 2 चम्मच ग्लिसरीन और 2 चम्मच शहद मिलाकर मिश्रण बना लें, और रोजाना इस मिश्रण का 1 चम्मच सेवन करने से खाँसी से काफी रहत मिलेगी।मेहंदी के पत्तों के काढ़े से गरारे करना लाभदायक सिद्ध होता है।अदरक की चाय का सेवन करने से भी खाँसी ठीक होने में लाभ मिलता है।लंबे समय तक इलायची चबाने से भी खाँसी से राहत मिलती है।लौंग के प्रयोग से भी खाँसी की उत्तेजना से काफी आराम मिलता है।लौंग का तेल, अदरक और लहसून का मिश्रण बार बार होने वाली ऐसी खांसी से राहत दिलाता है जो कि तपेदिक, अस्थमा और ब्रौन्काइटिस के कारण उत्पन्न होती है। यह मिश्रण हर रात को सोने से पहले लें।तुलसी के पत्तों का सार, अदरक और शहद मिलाकर एक मिश्रण बना लें, और ऐसी गंभीर खाँसी के उपचार के लिए लें जो कि तपेदिक और ब्रौन्काइटिस जैसी बीमारियों के कारण शुरू हुई है।सीने में बलगम के जमाव को निष्काषित करने के लिए अंजीर बहुत ही उपयोगी होते हैं, और खाँसी को मिटाने में काफी सहायक सिद्ध होते हैं। अदरक को पानी में 10-15 मिनट के लिए उबाल लें और उसमें एक दो चम्मच शुद्ध शहद मिलकर दिन में तीन चार बार पीये। ऐसा करने से आपका बलगम बाहर निकलता रहेगा और आपको खांसी में लाभ पहुंचेगा। 
खान पान और आहारठंडे खान पान के सेवन से बचें क्योंकि इससे आपके गले की उत्तेजना और अधिक उग्र हो सकती है। और किसी भी तरल पदार्थ को पीने से पहले गर्म ज़रूर करें।खान पान में पुराने चावल का प्रयोग करें।ऐसे खान पान का सेवन बिलकुल ना करें जिससे शरीर को ठंडक पहुँचे। खीरे, हरे केले, तरबूज, पपीता और संतरों के सेवन को थोड़े दिनों के लिए त्याग दें।

375 मिलीग्राम फुलाया हुआ सुहागा शहद के साथ रात्री में लेने से या मुनक्के और मिश्री को मुहं में रखकर चूसने से खाँसी में लाभ मिलता है।

भोजन के बाद वज्रासन से ठीक रखें पाचन

भोजन के बाद वज्रासन से ठीक रखें पाचन

बहुत हेवी डाइट के बाद तुरंत सोने या बैठकर टीवी देखने से हमें डाइजेशन संबंधी समस्याएं हो ही जाती हैं। ऐसे में अगर आप रोज खाने के बाद टीवी देखने या तुरंत सोने के बजाय वज्रासन को अपने रुटीन में शामिल करेंगे तो यकीनन आप डाइजेशन से संबंधित समस्याओं से दूर रहेंगे।

वज्रासन
वज्रासन को आप दिन में कभी भी कर सकते हैं लेकिन यह अकेला ऐसा आसन है जो खाने के तुरंत बाद यह आसन बहुत अधिक प्रभावी होता है। यह न सिर्फ पाचन की प्रक्रिया ठीक रखता है बल्कि लोवर बैकपेन से भी आराम दिलाता है।

ऐसे करें वज्रासन
- इस आसन को करने के लिए घुटनों को मोड़कर पंजों के बल सीधा बैठें।
- दोनों पैरों के अंगूठे आपस में मिलने चाहिए और एड़ियों में थोड़ी दूरी होनी चाहिए।
- शरीर का सारा भार पैरों पर रखें और दोनों हाथों को जांघों पर रखें।
- आपकी कमर से ऊपर का हिस्सा बिल्कुल सीधा होना चाहिए। थोड़ी देर इस अवस्था में बैठकर लंबी सांस लें।

रखें ध्यान
जिन लोगों को जोड़ों में दर्द हो या गठिया की दिक्कत हो वे इस आसन को न करें।

प्राणायाम करने के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ

प्राणायाम करने के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ

प्राणायाम, प्राण और आयाम से मिलकर बना होता है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है - शरीर में ऊर्जा लाने वाली शक्ति देना। प्राणायाम एक विधि है, यह एक साधना है जिसमें सांस को एक विशेष प्रकार से अंदर खींचा जाता है और बाहर छोड़ा जाता है। इसके करने से कई शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य लाभ होते है।

प्राणायाम करने के दौरान कई बातों का ध्‍यान भी रखना चाहिए। सूर्योदय के समय इसे करने से सबसे ज्‍यादा लाभ मिलता है और इसे सही प्रकार से करना चाहिए। आप चाहें तो प्राणायाम सीखने के लिए किसी योगा सेंटर या प्रोफेशनल ट्रेनर की मदद ले सकते हैं। प्राणायाम के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ निम्‍म प्रकार हैं :

फेफड़े को लाभ प्राणायाम करने के कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ होते है। इसका सबसे बड़ा स्‍वास्‍थ्‍य लाभ यह होता है कि इसे करने से फेफडों को आराम मिलता है। यह उन लोगों के लिए सबसे लाभदायक होता है जिन्‍हे अस्‍थमा या सांस सम्‍बंधी समस्‍या होती है।

वजन कम होता है प्राणायाम करने से बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है और वजन घटाने में आराम मिलता है। अगर आप इसे नियमित रूप से करें तो आपको अपने वजन में फर्क अवश्‍य महसूस होगा।

डिटॉक्‍सीफिकेशन प्राणायाम एक ऐसा तरीका होता है जिसके माध्‍यम से हम शरीर से कई विषैले तत्‍वों को बाहर निकाल सकते है। इसे नियमित रूप से करने से शरीर में डिटॉक्‍सीफिकेशन की प्रक्रिया होती है। यह सभी उम्र के लोगों के लिए लाभकारी होता है।

ट्रीट डिप्रेशन प्राणायाम करने से मानसिक रूप से दृढता आती है और व्‍यक्ति को डिप्रेशन की अवस्‍था से बाहर निकलने में आराम मिलता है। नियमित रूप से प्राणायाम करने से डिप्रेशन और तनाव में आराम मिलता है। आप पढ़ाई करने के बाद हुई थकान को भी प्राणायाम से दूर भगा सकते है।

नाक साफ रहती है
जि‍न लोगों को हर समय सर्दी और जुकाम की समस्‍या रहती है और उनकी नाक बहती रहती है, ऐसे ग्रसित लोगों को प्राणायाम अवश्‍य करना चाहिए, इससे उनकी नाक के रास्‍ते साफ रहते है और जुकाम आदि में भी आराम मिलता है।

इम्‍यून सिस्‍टम में मजबूती
क्‍या अपने अपने शरीर के इम्‍यून सिस्‍टम को स्‍ट्रांग करने के कई उपाय कर चुके हैं। इसलिए, बेहतर होगा कि प्राणायाम करें। इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार आएगा।

पाचन क्रिया में आसानी
हमारे शरीर में पाचन सम्‍बंधी कई प्रकार की समस्‍याएं होती है, प्राणायाम करने से इन सभी समस्‍याओं में लाभ मिलता है। इसके लिए, प्राणायाम और विभिन्‍न प्रकार के योगा किए जा सकते है। पेट में गड़बड़ी होने पर भी प्राणायाम से लाभ मिलता है।

ह्दय स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार प्राणायाम जैसे - अनुलोम विलोम और भास्त्रिका आदि करने से ह्दय सम्‍बंधी समस्‍याओं में लाभ मिलता है और दिल अच्‍छी तरह कार्य करता है। इससे शरीर में ब्‍लड़ सर्कुलेशन भी अच्‍छी तरह होता है और शरीर में ब्‍लड़ के माध्‍यम से ऑक्‍सीजन भरपूर मात्रा में पहुंचेगी।

मानसिक एकाग्रता सुधारने के लिए, प्राणायाम सबसे अच्‍छा तरीका है। इसे करने से दिमाग तेज होता है, दिमागी एकाग्रता बढ़ाने के लिए प्राणायाम करना बेहतर होता है।

साइनिसस से लड़ने की शक्ति अगर किसी भी व्‍यक्ति को साइनिसस की समस्‍या है तो उसे नियमित रूप से प्राणायाम करना चाहिए। इस बीमारी के इलाज के लिए भास्‍त्रिका नामक प्राणायाम योग सबसे अच्‍छा होता है। इसे घर पर आसानी से किया जा सकता है, लेकिन लाभ के लिए नियमित करना आवश्‍यक है।

Fenugreek seeds for DIABETES मधुमेह के लिए मेथी

Fenugreek seeds for DIABETES
मधुमेह के लिए मेथी 

Soak the methi seeds in water overnight and drink this water and chew on the seeds first thing in the morning.
रात भर पानी में मेथी के बीज भिगोएँ और सुबह सबसे पहले इसे पानी को पी लें और बीजों को चबा के खा लें 

Boil one cup of water and add 2 tablespoons of methi seeds, steep for about 10 minutes and then strain and consume the liquid. Do this twice every day to see a reduction of blood glucose levels.
पानी का एक कप उबाल लें और उसमे 2 चमच मेथी बीज मिलाएं 10 मिनट्स के लिए हलकी आंच पे रखें.. फिर इसे छान के पानी को पी लें.. इससे रक्त शर्करा के स्तर में कमी आती है दिन में दो बार ये प्रयोग करें

10 Tips to reduce fat पेट के फैट को कम करने के 10 तरीके

पेट के फैट को कम करने के 10 तरीके

पेट का फैट कम करना किसी के लिए भी चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है। हालांकि मुख्य समस्या होती है गलत तरीका अपनाने से। क्या आपने पेट का फैट कम करने का मन बना लिया है? आइए हम आपको पेट का फैट कम करने के 10 सबसे अच्छे तरीके के बारे में बताते हैं।

1. सही खाएं
पेट के फैट को कम करना 80 प्रतिशत सही खाने पर निर्भर करता है। मैक्रो और माइक्रो न्यूट्रीअंट्स के साथ स्वस्थ और संतुलित आहार लें। सबसे महत्वपूर्ण यह कि फास्ट फूड से तौबा करें। जहां तक हो सके घर पर तैयार भोजन ही खाएं। अगर आपके पास समय का अभाव है तो कच्चे फल व सब्जी या भांप से पकी सब्जियां खाएं।

2. पानी पीएं
कई लोग प्यासे, थके हुए और भूखे होने में फर्क नहीं कर पाते हैं और अंतत: सुगरयुक्त या फैटी फूड खा लेते हैं। हमेशा साथ में पानी की बोतल रखें और यह सुनिश्चित करें कि आप पूरे दिन पानी पीते रहें। एक व्यक्ति को दिन में 6 से 8 ग्लास पानी की जरूरत होती है, हालांकि यह आपके वजन और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है। इस बात को सुनिश्चित करें कि आप दिन भर में पर्याप्त पानी पीते हों।

3. कम समय के लिए एक्टिव एक्सरसाइज
हालिया शोध से यह बात सामने आई कि घंटों वर्कआउट करने या मीलों दौड़ने के बजाय थोड़े-थोड़े समय के लिए एक्टिव एक्सरसाइज करना फैट को कम करने में काफी कारगर होता है। उदाहरण के लिए अगर आप ट्रेडमिल पर वॉकिंग कर रहे हैं तो अचानक से कुछ सेकेंड के लिए स्पीड बढ़ा दें और फिर से वॉकिंग पर वापस आ जाएं।

4. सुगर को कहें न
सुगर एक ऐसी चीज है, जिसका सेवन आपको अवश्य कम करना चाहिए। सुगर के कई छिपे हुए स्रोत भी होते हैं, इसलिए इसे कम करना अच्छा रहेगा। सुगर के विकल्प के तौर पर आप शहद, पाम सुगर और लिकरिश के अर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं।

5. सोडियम का सेवन कम करें
बेशक आपके भोजन में नमक होना चाहिए। पर सोडियम नमक के बजाय आप पोटैशियम, लेमन और समुद्री नमक का भी सहारा ले सकते हैं। साथ ही काली मिर्च सहित कई मसाले के जरिए आप नमक की जरूरतों को कम कर सकते हैं।

6. विटामिन सी
विटामिन सी से कार्नीटाइन का स्राव होता है। यह एक ऐसा यौगिक है जो फैट को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है। इसके अलावा विटामिन सी कोर्टीसोल हार्मोन के स्राव को भी कम करता है जो कि तनाव के स्थिति में उत्पन्न होता है। कोर्टीसोल के स्तर में परिवर्तन पेट के फैट का मुख्य कारण है।

7. फैट बर्निंग फूड
प्राकृतिक तरीके से फैट कम करने के कई तरीके हैं। लहसुन, प्याज, अदरक, लाल मिर्च, गोभी, टमाटर, दालचीनी और सरसो फैट कम करने वाले फूड हैं। सुबह-सुबह कच्चा लहसुन और एक इंच अदरक का टुकड़ा खाना अच्छा रहता है। साथ ही, सुबह गर्म पानी को नींबू के रस और शहद के साथ लेना वजन कम करने का कारगर तरीका है। इसी तरह और भी कई तरीके हैं, जिसके जरिए आप अपने आहार में फैट बर्निंग फूड को शामिल कर सकते हैं।

8. हेल्थी फैट को शामिल करें
खराब कोलेस्टेरोल से छुटकारा पाने के लिए अच्छे कोलेस्टेरोल का सेवन मददगार साबित होता है। एवाकाडो, जैतून, नारियल और नट्स अच्छे कोलेस्टेरोल के कुछ स्रोत हैं।

9. नाश्ता लेना न छोड़ो
कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि नाश्ता न लेने से वजन कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन अगर आप नाश्ता नहीं कर रहे हैं तो भारी भूल कर रहे हैं। इससे ब्लोटिंग बढ़ता है और शरीर भूख की अवस्था में चला जाता है। यह पेट में फैट जमा होने का मुख्य कारण है।

10. सोना
आप सोच रहे होंगे कि हम यहां सोने की बात क्यों कर रहे हैं। वजन को संतुलित रखने के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है। हर किसी के 6 से 8 घंटे की नींद चाहिए होती है। हाल ही में किए गए एक शोध में यह बात सामने आई कि बहुत ज्यादा या बहुत कम सोने से वजन बढ़ जाता है।

Medicinal use of Shunthi (Sonth) महौषधि सौंठ


महौषधि सौंठ - 


सौंठ में अदरक के सारे गुण मौजूद होते हैं। सौंठ दुनिया की सर्वश्रेष्ठवातनाशक औषधि है. आम का रस पेट में गैस न करें इसलिए उसमें सौंठ और घी डाला जाता है। सौंठ में उदरवातहर (वायुनाशक) गुण होने से यह विरेचन औषधियों के साथ मिलाई जाती है। यह शरीर में समत्व स्थापित कर जीवनी शक्ति और रोग प्रतिरोधक सामर्थ्य को बढ़ाती है ।
बहुधा सौंठ तैयार करने से पूर्व अदरख को छीलकर सुखा लिया जाता है । परंतु उस छीलन में सर्वाधिक उपयोगी तेल (इसेन्शयल ऑइल) होता है, छिली सौंठ इसी कारण औषधीय गुणवत्ता की दृष्टि से घटिया मानी जाती है । वेल्थ ऑफ इण्डिया ग्रंथ के विद्वान् लेखक गणों का अभिमत है कि अदरक को स्वाभाविक रूप में सुखाकर ही सौंठ की तरह प्रयुक्त करना चाहिए । तेज धूप में सुखाई गई अदरक उस सौंठ से अधिक गुणकारी है जो बंद स्थान में कृत्रिम गर्मी से सुखाकर तैयार की जाती है । 
गर्म प्रकृति वाले लोगो के लिए सौंठ अनुकूल नहीं है.

- भोजन से पहले अदरक को चिप्स की तरह बारीक कतर लें। इन चिप्स पर पिसा काला नमक बुरक कर खूब चबा-चबाकर खा लें फिर भोजन करें। इससे अपच दूर होती है, पेट हलका रहता है और भूख खुलती है।

- सौंठ और उड़द उबालकर इसका पानी पीने से लकवा ठीक हो जाता है |

- सौंठ मिलाकर उबाला हुआ पानी पीने से पुराना जुकाम खत्म होता है। सौंठ के टुकड़े को रोजाना बदलते रहना चाहिए। 

- सोंठ, पीपल और कालीमिर्च को बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें 1 चुटकी त्रिकुटा को शहद के साथ चाटने से जुकाम में आराम आता है। 

- सौंठ, सज्जीखार और हींग का चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करने से सारे तरह के दर्द नष्ट हो जाते हैं। 

- सौंठ और जायफल को पीसकर पानी में अच्छी तरह मिलाकर छोटे बच्चों को पिलाने से दस्त में आराम मिलता है। 

- सौंठ, जीरा और सेंधानमक का चूर्ण ताजा दही के मट्ठे में मिलाकर भोजन के बाद सेवन करने से पुराने अतिसार (दस्त) का मल बंधता है। आम (कच्ची ऑव) कम होता है और भोजन का पाचन होता है। 

- सौंठ को पानी या दूध में घिसकर नाक से सूंघने से और लेप करने से आधे सिर के दर्द में लाभ होता है। 

- लगभग 12 ग्राम की मात्रा में सौंठ को गुड़ के साथ मिलाकर खाने से शरीर की सूजन खत्म हो जाती है। 

- सोंठ, कालीमिर्च और हल्दी का अलग-अलग चूर्ण बना लें। प्रत्येक का 4-4 चम्मच चूर्ण लेकर मिला लें और इसे कार्क की शीशी में भरकर रख लें। इसे 2 ग्राम (आधा चम्मच) गर्म पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए। इससे श्वासनली की सूजन और दर्द में लाभ मिलता है। ब्रोंकाइटिस के अतिरक्त यह खांसी, जोड़ों में दर्द, कमर दर्द और हिपशूल में लाभकारी होता है। इसे आवश्यकतानुसार एक हफ्ते तक लेना चाहिए। पूर्ण रूप से लाभ न होने पर इसे 4-5 बार ले सकते हैं।
सोंठ और कायफल के मिश्रित योग से बनाए गये काढे़ का सेवन करने से वायु प्रणाली की सूजन में लाभ मिलता है।

- सोंठ, हरड़, बहेड़ा, आंवला और सरसों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करें। इससे रोजाना सुबह-शाम कुल्ला करने से मसूढ़ों की सूजन, पीव, खून और दांतों का हिलना बंद हो जाता है। सौंठ को गर्म पानी में पीसकर लेप बना लें। इससे रोजाना दांतों को मलने से दांतों में दर्द नहीं होता और मसूढे़ मजबूत होते हैं। 

- सोंठ, मिर्च, पीपल, नागकेशर का चूर्ण घी के साथ माहवारी समाप्त होने के बाद स्त्री को सेवन कराने से गर्भ ठहर जाता है। 

- महारास्नादि में सोंठ का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम पीने और रोजाना रात को 2 चम्मच एरण्ड के तेल को दूध में मिलाकर सोने से पहले सेवन करने से अंगुलियों की कंपन की शिकायत दूर हो जाती है। 

- यदि दिल कमजोर हो, धड़कन तेज या बहुत कम हो जाती हो, दिल बैठने लगता हो तो 1 चम्मच सोंठ को एक कप पानी में उबालकर उसका काढ़ा बना लें। यह काढ़ा रोज इस्तेमाल करने से लाभ होता है। 

- 10 ग्राम सोंठ और 10 ग्राम अजवायन को 200 मिलीलीटर सरसों के तेल में डालकर आग पर गर्म करें। सोंठ और अजवायन भुनकर जब लाल हो जाए तो तेल को आग से उतार लें। यह तेल सुबह-शाम दोनों घुटनों पर मलने से रोगी के घुटनों का दर्द दूर हो जाता है। 10 ग्राम सोंठ, 10 ग्राम कालीमिर्च, 5 ग्राम बायविडंग और 5 ग्राम सेंधानमक को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को एक छोटी बोतल में भर लें, फिर इस चूर्ण में आधा चम्मच शहद मिलाकर चाटने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।

- 6 ग्राम पिसी हुई सोंठ में 1 ग्राम नमक मिलाकर गर्म पानी से फंकी लेने से पित्त की पथरी में फायदा होता है। 

- सोंठ, गुग्गुल तथा गुड़ को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सोते समय पीने से मासिक-धर्म सम्बन्धी परेशानी दूर हो जाती हैं।
50 ग्राम सोंठ, 25 ग्राम गुड़ और 5 ग्राम बायविडंग को कुचलकर 2 कप पानी में उबालें। जब एक कप बचा रह जाए तो उसे पी लेना चाहिए। इससे मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।

- गुड़ के साथ 10 ग्राम सोंठ खाने से पीलिया का रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। 

- बुढ़ापे में पाचन क्रिया कमजोर पड़ने लगती है. वात और कफ का प्रकोप बढ़ने लगता है. हाथो पैरो तथा शारीर के समस्त जोड़ो में दर्द रहने लगता है. सौंठ मिला हुआ दूध पीने से बुढ़ापे के रोगों से राहत मिलती है.

Milk with turmeric powder (हल्दी वाला दूध)

हल्दी वाला दूध

- रात को सोते समय देशी गाय के गर्म दूध में एक चम्मच देशी गाय का घी और चुटकी भर हल्दी डालें . चम्मच से खूब मिलाकर कर खड़े खड़े पियें. - इससे त्रिदोष शांत होते है.

- संधिवात यानी अर्थ्राईटिस में बहुत लाभकारी है. - किसी भी प्रकार के ज्वर की स्थिति में , सर्दी खांसी में लाभकारी है.

- हल्दी एंटी माइक्रोबियल है इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है. यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करती है.

- वजन घटाने में फायदेमंद गर्म दूध के साथ हल्दी के सेवन से शरीर में जमा चर्बी घटती है. इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल्स सेहतमंद तरीके से वजन घटाने में सहायक हैं।

- अच्छी नींद के लिए हल्दी में अमीनो एसिड है इसलिए दूध के साथ इसके सेवन के बाद नींद गहरी आती है.अनिद्रा की दिक्कत हो तो सोने से आधे घंटे पहले गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन करें.

- दर्द से आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया से लेकर कान दर्द जैसी कई समस्याओं में आराम मिलता है. इससे शरीर का रक्त संचार बढ़ जाता है जिससे दर्द में तेजी से आराम होता है.

- खून और लिवर की सफाई आयुर्वेद में हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल शोधन क्रिया में किया जाता है। यह खून से टॉक्सिन्स दूर करता है और लिवर को साफ करता है. पेट से जुड़ी समस्याओं में आराम के लिए इसका सेवन फायदेमंद है.

- पीरियड्स में आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से पीरियड्स में पड़ने वाले क्रैंप्स से बचाव होता है और यह मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा दिलाता है.

- मजबूत हड्डियां दूध में कैल्शियम अच्छी मात्रा में होता है और हल्दी में एंटीऑक्सीडेट्स भरपूर होते हैं

Amlapitta or Hyperacidity: Ayurveda view and Home remedies

Amlapitta or Hyperacidity: Ayurveda view and Home remedies
कई बीमारियां ऐसी होती हैं। जिसे हम खुद ही बुलावा देते हैं। कहने का मतलब यह है कि हमारी गलत जीवनशैली ही ऐसे रोगों को बढ़ावा देती है। एसिडिटी ऐसे ही रोगों में से एक है। एसिडिटी को चिकित्सकीय भाषा में गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफलक्स डिजीज (GERD) के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद में इसे अम्ल पित्त कहते हैं। आज इससे हर दूसरा व्यक्ति या महिला पीडि़त है। एसिडिटी होने पर शरीर की पाचन प्रक्रिया ठीक नहीं रहती।

एसिडिटी का कारण?
आधुनिक विज्ञान के अनुसार आमाशय में पाचन क्रिया के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पेप्सिन का स्रवण होता है। सामान्य तौर पर यह अम्ल तथा पेप्सिन आमाशय में ही रहता है तथा भोजन नली के सम्पर्क में नही आता है। आमाशय तथा भोजन नली के जोड पर विशेष प्रकार की मांसपेशियां होती है जो अपनी संकुचनशीलता से आमाशय एवं आहार नली का रास्ता बंद रखती है तथा कुछ खाते-पीते ही खुलती है। जब इनमें कोई विकृति आ जाती है तो कई बार अपने आप खुल जाती है और एसिड तथा पेप्सिन भोजन नली में आ जाता है। जब ऐसा बार-बार होता है तो आहार नली में सूजन तथा घाव हो जाते हैं।इसकी वजह गलत खान-पान, आरामदायक जीवनशैली, प्रदूषण, चाय, कॉफी, धूम्रपान, अल्कोहल और कैफीनयुक्त पदार्थों का ज्यादा इस्तेमाल करना है।

एसिडिटी के लक्षण?
एसिडिटी के लक्षणों में हैं सीने और छाती में जलन। खाने के बाद या प्राय: सीने में दर्द रहता है, मुंह में खट्टा पानी आता है। इसके अलावा गले में जलन और अपचन भी इसके लक्षणों में शामिल होता है। जहां अपचन की वजह से घबराहट होती है, खट्टी डकारें आती हैं। वहीं खट्टी डकारों के साथ गले में जलन-सी महसूस होती है।
कुछ घरेलू उपचार-
1:हर तीन टाइम भोजन के बाद गुड जरुर खाएं। इसको मुंह में रखें और चबा चबा कर खा जाएं।
2:एक कप पानी उबालिये और उसमें एक चम्मच सौंफ मिलाइये। इसको रातभर के लिए ढंक कर रख दीजिये और सुबह उठ कर पानी छान लीजिये। अब इसमें 1 चम्मच शहद मिलाइये और तीन टाइम भोजन के बाद इसको लीजिये।
3:एक गिलास गर्म पानी में एक चुटकी कालीमिर्च चूर्ण तथा आधा नींबू निचोड़कर नियमित रूप से सुबह सेवन करें। इसके साथ ही सदाल के रूप मे मूली को जरुर शामिल करें। उस पर काला नमक छिडक कर खाएं।
4:एक लौंग और एक इलायची ले कर पाउडर बना लें। इसको हर मील के बाद माउथफ्रेशनर के रूप में खाएं। इसको खाने से एसिडिटी भी सही होगी और मुंह से बदबू भी नहीं आएगी।

ऐसे करें बचाव-
1.समय पर भोजन करें और भोजन करने के बाद कुछ देर टहलें ।
2.अपने खाने में ताजे फल, सलाद, सब्जियों का सूप, उबली हुई सब्जी को शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियां और अंकुरित अनाज खूब खाएं। ये विटामिन बी और ई का बेहतरीन स्रोत होते हैं जो शरीर से एसिडिटी को बाहर निकाल देते हैं।
3.खाना हमेशा चबा कर और जरूरत से थोड़ा कम ही खाएं। सदैव मिर्च-मसाले और ज्यादा तेल वाले भोजन से बचें।
4.अपने रोजमर्रा के आहार में मट्ठा और दही शामिल करें।
5.शराब और मांसाहारी भोजन से परहेज करें।
6.पानी खूब पिएं। याद रखें इससे न सिर्फ पाचन में मदद मिलती है, बल्कि शरीर से टॉक्सिन भी बाहर निकल जाते हैं।
7.खाने के बाद तुरंत पानी का सेवन न करें। इसका सेवन कम से कम आधे घंटे के बाद ही करें।
8.धूम्रपान, शराब से बचें।
9.पाइनेपल के जूस का सेवन करें, यह एन्जाइम्स से भरा होता है। खाने के बाद अगर पेट अधिक भरा व भारी महसूस हो रहा है, तो आधा गिलास ताजे पाइनेपल का जूस पीएं। सारी बेचैनी और एसिडिटी खत्म हो जाए
10.आंवले का सेवन करें हालांकि यह खट्टा होता है, लेकिन एसिडिटी के घरेलू उपचार के रूप में यह बहुत काम की चीज है।
11.गैस से फौरन राहत के लिए 2 चम्मच ऑंवला जूस या सूखा हुआ ऑंवला पाउडर और दो चम्मच पिसी हुई मिश्री ले लें और दोनों को पानी में मिलाकर पी जाएं।